- पश्चिम बंगाल में विधानसभा की 3 सीटों के लिए हुए उपचुनाव के नतीजे आ गए हैं
- तृणमूल कांग्रेस ने राज्य की सभी तीन विधानसभा सीटों पर जीत का परचम लहराया है
- इस विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी, कांग्रेस व वामपंथी पार्टियों को कुछ हाथ नहीं लगा
कोलकाता : पश्चिम बंगाल में तीन विधानसभा सीटों- खड़गपुर सदर, करीमपुर व कालीगंज के लिए हुए उपचुनाव में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने जीत का परचरम लहराया है, जबकि बीजेपी को इस चुनाव में कुछ भी हाथ नहीं लगा है। लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल की 42 संसदीय सीटों में से 18 पर जीत हासिल करने वाली बीजेपी हालांकि इस उपचुनाव में भी बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद कर रही थी, पर इस बार वह कुछ खास कमाल नहीं कर पाई।
लोकसभा चुनाव में जहां टीएमसी को बड़ा सियासी नुकसान हुआ था और 2014 में राज्य की 34 सीटों पर सीट हासिल करने वाली पार्टी जहां 2019 में केवल 22 पर सिमट गई, वहीं पांच साल पहले हुए संसदीय चुनाव में केवल दो सीटों तक सिमटी रहने वाली पार्टी बीजेपी ने 2019 लोकसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन करते हुए 18 सीटों पर जीत हासिल की थी। जाहिर तौर पर बीजेपी की इस जीत से टीएमसी के खेमे में खलबली थी तो वामपंथी पार्टियों और कांग्रेस के लिए भी यह बड़ा झटका था, जो राज्य में वापस अपनी जमीन तलाशने में जुटी थीं।
हालांकि राज्य में 25 नवंबर को तीन विधानसभा सीटों के लिए हुए उपचुनाव में टीएसमी ने क्लीन स्वीप करते हुए सभी सीटों पर जीत हासिल कर ली है। यह चुनाव न केवल बीजेपी के लिए उम्मीदों के विपरीत रहा, बल्कि कांग्रेस और वामपंथी पार्टियों को भी कुछ हाथ नहीं लगा। इस चुनाव में पहली बार कांग्रेस और सीपीएम साथ मिलकर लड़े थे, फिर भी उन्हें अपेक्षित परिणाम नहीं मिला, बल्कि कांग्रेस को इस चुनाव में नुकसान हुआ, जिसने कालीगंज सीट भी गंवा दी। इस सीट का प्रतिनिधित्व पहले कांग्रेस करती थी, लेकिन पार्टी विधायक प्रमथनाथ रे के निधन के कारण यह सीट रिक्त हो गई, जिसके कारण यहां उपचुनाव कराया गया।
वहीं, पश्चिम बंगाल की करीमपुर विधानसभा सीट स्थानीय विधायक महुआ मोइत्रा के इस्तीफे के बाद खाली हुई थी। उन्होंने कृष्णानगर से 2019 का लोकसभा चुनाव टीएमसी उम्मीदवार के तौर पर जीता है, जिसके बाद उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था। खड़गपुर सदर सीट भी स्थानीय विधायक के इस्तीफे के कारण खाली हुई, जिन्होंने 2019 का लोकसभा चुनाव जीता। पिछले चुनाव में यहां से बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष चुनाव जीते थे, पर लोकसभा चुनाव जीतने के बाद उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया।
इस तरह पश्चिम बंगाल में टीएमसी ने एक सीट (खड़गपुर सदर) बीजेपी से और एक (कालीगंज) कांग्रेस से छीनी, जबकि करीमपुर की अपनी सीट बचाए रखी। खड़गपुर सदर में तृणमूल प्रत्याशी प्रदीप सरकार ने अपने निकटम प्रतिद्वंद्वी को 20,811 वोटों के अंतर से हाराया, जबकि कालीगंज में पार्टी के प्रत्याशी तपन देब ने 2,304 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की। उन्होंने बीजेपी के कमल चंद्र सरकार को हराया। कांग्रेस ने यहां से पूर्व विधायक प्रमथनाथ राय की बेटी धृताश्री को मैदान में उतारा था, जो तीसरे स्थान पर रहीं।
उपचुनाव के नतीजों पर प्रतिक्रिया देते हुए ममता बनर्जी ने सीधे तौर पर बीजेपी पर वार किया। इसे पश्चिम बंगाल के लोगों की जीत करार देते हुए उन्होंने कहा कि राज्य की जनता ने साफ कर दिया है कि अहंकार की राजनीति नहीं चलेगी। लोगों ने बीजेपी को खारिज कर दिया है। उन्होंने सीपीएम व कांग्रेस पर भी वार किया और कहा कि खुद को मजबूत करने की बजाय ये पार्टियां पश्चिम बंगाल में बीजेपी को मदद दे रही हैं।