- सिलिगुड़ी में पीएम मोदी बोले- 2 मई के बाद नए बंगाल का उदय
- बंगाल में तोलबाजी का होगा अंत, किसानों को मिलेगा सम्मान
- 'अनुसूचित समाज के लोगों के साथ भिखारियों जैसा व्यवहार करती हैं ममता'
सिलिगुड़ी। बंगाल के लोगों ने तय कर दिया है कि आपको जाना ही होगा। बंगाल की जनता आपको निकाल कर ही दम लेने वाली है। आप अकेली नहीं जाएंगी। आपके पूरे गिरोह को जनता हटाने वाली है। अपनी हार सामने देख, दीदी का गुस्सा मुझ पर बढ़ता जा रहा है। बंगाल के लोगों का मुझ पर स्नेह देख, दीदी बंगाल के लोगों से भी नाराज हैं।दीदी, ओ दीदी! बंगाल के लोग यहीं रहेंगे। अगर जाना ही है तो सरकार से आपको जाना होगा। दीदी आप बंगाल के लोगों की भाग्य विधाता नहीं हैं। बंगाल के लोग आपकी जागीर नहीं हैं।
दीदी आउट, किसान सम्मान निधि इन
PM किसान सम्मान निधि का जो 18 हजार रुपये दीदी ने रोका है वो भी तेजी से आपके खाते में जमा किया जाएगा।मैं सिलीगुड़ी सहित नॉर्थ बंगाल के हर गरीब, हर कृषक परिवार के सामने अपना एक और वादा दोहराना चाहता हूं। बंगाल में भाजपा सरकार की पहली कैबिनेट बैठक में ही आपके हित में फैसले लेने का काम शुरू हो जाएगा। ।
तोलाबाजी को लगेगा विराम
सिलीगुड़ी में ही कुछ दिन पहले दीदी ने कहा कि उनके तोलाबाज तो सिर्फ 100-500 रुपए लेते हैं, इसमें क्या बड़ी बात!दीदी ने गरीबों, दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों किसी को उनका जायज हक नहीं दिया। दीदी ने घर में नल से जल नहीं दिया, खेतों में सिंचाई का पानी नहीं दिया, लेकिन यहां की नदियों को माफियाओं के हवाले जरूर कर दिया। हर स्कीम में टोलाबाजी, हर स्कीम में कटमनी।
10 साल तक गरीबों को सताने वाले गुंडों पर, हत्यारों पर, लुटेरे तोलाबाज़ों पर दीदी को गुस्सा नहीं आया। लेकिन दीदी उन सुरक्षाबलों पर गुस्सा कर रही हैं जो बंगाल के लोगों के अधिकार की रक्षा कर रहे हैं।एक video सामने आया है जिसमे दीदी की करीबी एक नेता ने अनुसूचित जाति के लोगो का बहुत बड़ा अपमान किया है। उन्होंने कहा कि बंगाल में जो अनुसूचित जाति है, अनुसूचित समाज वो जिसके साथ वो भिखारियों की तरह व्यवहार करती है।
असम में जो किया वो बंगाल में करेंगे
असम में भाजपा की डबल इंजन सरकार ने चाय बागान में काम करने वाले साथियों को घर, अस्पताल, स्कूल, भूमि पट्टा और लगभग दो गुनी मजदूरी सुनिश्चित की है। ऐसे ही काम 2 मई के बाद बंगाल में भी होने वाले हैं।ये बंगाल की स्वाभिमानी बहनें है जो हर दुख, तकलीफ के बावजूद अपनी मेहनत का खाती हैं, अपने स्वाभिमान से तकलीफों को सहन करती हैं, लेकिन स्वाभिमान को नहीं छोड़ती हैं।