- अर्पिता की एपीए यूटीलिटी कंपनी में पार्थ साझेदार थे
- अर्पिता ने फ्लैट कैश दे खरीदे थे, रकम कहां से आई? हो रही जांच
- पार्थ जेल से बाहर सबूत कैसे नष्ट कर सकते हैं?- वकील
पश्चिम बंगाल के एसएससी स्कैम केस में बुधवार (तीन अगस्त, 2022) को नई जानकारियां सामने आईं। इस भर्ती घोटाले में सूबे के पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी और उनकी करीबी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी के बीच अच्छा तालमेल था। टाइम्स नाउ नवभारत ने पार्थ-अर्पिता की रिमांड कॉपी के हवाले से बताया कि अर्पिता की 31 भारतीय जीवन बीमा (एलआईसी) पॉलिसी में पार्थ नॉमिनी थे। डॉक्यूमेंट में प्वॉइंट नंबर-26 में यह भी लिखा था कि यह दर्शाता है कि वह किस प्रकार की मिलीभगत के साथ काम कर रहे थे।
आगे 27 नंबर के बिंदु में जिक्र किया गया था कि अर्पिता की एपीए यूटीलिटी कंपनी में पार्थ साझेदार थे। अर्पिता ने कुछ फ्लैट कैश देकर खरीदे थे। यह रकम कहां से आई? फिलहाल इस बारे में कोई जानकारी नहीं है, पर एजेंसी इस बारे में जांच-पड़ताल कर रही है।
यह भी बताया गया कि पार्थ के वकील ने कोर्ट में दलील दी कि पार्थ जेल से बाहर आखिरकार सबूत कैसे नष्ट कर सकते हैं? साथ ही दावा किया कि उन्हें कोई पैसे नहीं मिले हैं, जबकि ईडी के खुलासा के मुताबिक जानकारी सामने आई कि अर्पिता के साथ पार्थ ने चार फ्लैट लिए थे। चारों में पार्थ 50 फीसदी के हिस्सेदार थे और चार रजिस्ट्रियों में नौ फ्लैट की जानकारी शामिल थी।
कोलकाता के स्पेशल कोर्ट ने चटर्जी और मुखर्जी को पांच अगस्त तक ईडी की हिरासत में भेज दिया है। इस बीच, कोलकाता में इस घोटाले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करते हुए पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेन्दु अधिकारी ने कहा- ये सारा पैसा टीएमसी और ममता बनर्जी का है। पार्थ चटर्जी संरक्षक थे। इसलिए इसकी सरगना ममता बनर्जी है, उनको गद्दी छोड़नी चाहिए और उनके पूरे रैकेट को हिरासत में लेना चाहिए।
वैसे, मुखर्जी ने इससे पहले मंगलवार को कहा था कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उनके आवासों से जो रकम बरामद की है, वह उनकी जानकारी के बिना ही वहां रखी गई थी। शिक्षक भर्ती घोटाले की जांच के सिलसिले में ईडी ने अर्पिता को भी गिरफ्तार किया है।
ईडी अधिकारियों ने दक्षिण-पश्चिम कोलकाता और बेलघोरिया में स्थित अर्पिता के दो फ्लैटों से आभूषणों के साथ-साथ लगभग 50 करोड़ रुपये नकद बरामद किए। चटर्जी और अर्पिता मुखर्जी दोनों को दिन में चिकित्सा जांच के लिए शहर के दक्षिणी बाहरी इलाके में ईएसआई जोका ले जाया गया।
अर्पिता ने एक वाहन से उतरने के बाद प्रतीक्षारत पत्रकारों से कहा, ‘‘मेरी जानकारी के बिना मेरे घरों में पैसा रखा गया था।’’ उनके यह कहने के बाद अटकलें लगाई जाने लगीं कि उनका इशारा किसकी ओर था। इससे पहले, पार्थ चटर्जी ने कहा था कि वह ‘‘एक साजिश का शिकार हुए हैं।’’ मंत्री पद से हटा कर तृणमूल कांग्रेस से निलंबित किए जाने के फैसले पर भी चटर्जी ने नाराजगी व्यक्त की थी।
दिग्गज नेता ने यह भी कहा था कि उनके खिलाफ कार्रवाई उचित थी या नहीं, यह तो समय ही बताएगा। चटर्जी और अर्पिता मुखर्जी, दोनों ने कहा है कि बरामद किया गया पैसा उनका नहीं था। उन्हें बुधवार को पीएमएलए की अदालत में पेश किया जाएगा। बुधवार को ही दोनों की 10 दिन की ईडी हिरासत खत्म हो जाएगी।