- एयर इंडिया एक्प्रेस का विमान केरल में कालीकट इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर हादसे का शिकार हो गया
- विमान में चालक दल के 6 सदस्यों सहित 191 यात्री सवार थे, जो दुबई से कालीकट आ रहा था
- बताया जा रहा है जिस कालीकट इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर हादसा हुआ है, वहां टेबल टॉप रनवे है
तिरुवनंतपुरम : कोरोना और भारी बारिश तथा भूस्खलन से जूझ रहे केरल में शुक्रवार शाम बड़ी दुर्घटना हुई, जब दुबई से कालीकट आ रहा एयर इंडिया एक्सप्रेस का विमान हादसे का शिकार हो गया। विमान में चालक दल के 6 सदस्यों सहित 191 यात्री सवार थे, जब विमान लैंडिंग के दौरान रनवे से फिसलकर घाटी में गिर गया। इस घटना में विमान का अगला हिस्सा बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। हालांकि दुर्घटना का शिकार होने के बाद इसमें आग नहीं लगी, जिसे राहत की बात समझी जा रही है। मौके पर दमकल की गाड़ियां और एंबुलेंस पहुंच गई हैं और बचाव कार्य शुरू कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि यह एक टेबल टॉप रनवे था और इसलिए यहां लैंडिंग के दौरान मुश्किल आई और विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया।
क्या होता है टेबल टॉप रनवे?
टेबल टॉप रनवे एक ऐसा रनवे होता है, जो अमूमन पठार या पहाड़ के शीर्ष पर होता। इसमें कई बार एक तरफ या कई बार दोनों तरफ गहरी ढाल होती है, जिसके नीचे घाटी होती है। इस तरह का रनवे देखने में आम तौर पर बेहद खूबसूरत होता है, पर यहां विमानों की लैंडिंग उतनी जोखिम भरी होती है। यहां लैंडिंग और उड़ान दोनों के दौरान खास एहतियात बरतने की जरूरत होती है और इसके लिए पायलट का विशेष रूप से दक्ष होना आवश्यक होता है। थोड़ी भी चूक यहां बड़े हादसों को आमंत्रित कर सकती है।
देश में ऐसे तीन एयरपोर्ट
देश में तीन ऐसे एयरपोर्ट हैं, जो बेहद ऊंचाई पर स्थित हैं और इन्हें टेबलटॉप रनवे कहा जाता है। इनमें एक केरल के मलाप्पुरम में स्थित कालीकट इंटरनेशनल एयरपोर्ट है, जहां शुक्रवार शाम बड़ा हादसा हुआ है। यह एयरपोर्ट जिले के कारीपुर में स्थित है और कोझिकोड से करीब 28 किलोमीटर दूर है। इस तरह का दूसरा एयरपोर्ट कर्नाटक के मंगलुरु में है, जबकि तीसरा एयरपोर्ट मिजोरम में है। पहाड़ों की वादियों के बीच इन एयरपोर्ट्स की नैसर्गिक खूबसूरती देखते ही बनती है, लेकिन यहां जोखिम भी उतना ही अधिक होता है।
भ्रम पैदा करता है रनवे
ये सभी एयरपोर्ट पहाड़ की ऊंचाई पर स्थित हैं और यहां कई बार लैंडिंग के दौरान पायलटों के लिए ऑप्टिकल भ्रम की स्थिति पैदा हो जाती है, जिसमें उन्हें पहाड़ी पर स्थित एयरपोर्ट व नीचे के मैदानी इलाके समानांतर नजर आने लगते हैं। इसके अतिरिक्त यहां स्पेस भी अपेक्षाकृति कम होता है, जबकि रनवे के एक या दोनों तरफ गहरी ढाल भी मुसीबत बन सकती है, जिससे विमान सीधे घाटी में जा सकता है, जैसा कि शुक्रवार को कालीकट एयरपोर्ट पर हुआ। यही वजह है कि इन एयरपोर्ट्स पर लैंडिंग और उड़ान के लिए पायलटों से अतिरिक्त कुशलता और सतर्कता की अपेक्षा की जाती है।