- देश में पहली बार हुआ है वर्चुअल ऑटोप्सी
- एम्स में किया गया राजू श्रीवास्तव का वर्चुअल ऑटोप्सी
- इस प्रक्रिया में शव पर नहीं लगाया जाता है कट
Virtual Autopsy: पोस्टमार्टम की ऐसी तकनीक है जिसमें शव का चीर-फाड़ नहीं किया जाता है। दरअसल जब किसी की मौत होती है तो परिवार पहले ही गम में डूबा होता है, वैसे में वो नहीं चाहता कि शव का चीर-फाड़ किया जाए, लेकिन कानून बाध्यताओं के कारण पोस्टमार्टम करना ही पड़ता है।
क्या है वर्चुअल ऑटोप्सी (What is virtual autopsy)
वर्चुअस ऑटोप्सी को फॉरेंसिक जांच का एक नायाब खोज बताया जा रहा है। इसमें बिना चीर-फाड़ के शव का पोस्टमार्टम किया जाता है। दरअसल इस प्रक्रिया में मौत के कारणों का पता लगाने के लिए पारंपरिक तरीकों को छोड़कर तकनीक का सहारा लिया जाता है। इसमें एमआरआई, सीटी स्कैन, एक्स-रे के सहारे डॉक्टर शव का परीक्षण करते हैं। इस प्रक्रिया में रिजल्ट आसानी से और जल्द ही मिल जाता है।
भारत में पहला वर्चुल ऑटोप्सी
मशहूर कॉमेडियन और बॉलीवुड अभिनेता राजू श्रीवास्तव का 21 सितंबर को निधन हो गया था। वो 40 दिनों से एम्स में भर्ती थे। पिछले महीने एक जिम में ट्रेडमिल पर दौड़ते समय उन्हें दिल का दौरा पड़ने के बाद एम्स लाया गया था। निधन के बाद परिवार नहीं चाहता था कि राजू के शव के साथ कोई चीर-फाड़ हो लेकिन पुलिस केस की वजह से पोस्टमार्टम भी जरूरी थी, इसलिए देश में पहली बार इस तरह का पोस्टमार्टम किया गया।
क्यों हुआ पोस्टमार्टम
एम्स फॉरेंसिक विभाग के प्रमुख डॉ सुधीर गुप्ता ने कहा कि शुरुआत में जब राजू को एम्स लाया गया था, तो वह अपने होश में नहीं थे और ट्रेडमिल पर दौड़ने के दौरान गिरने के स्पष्ट कारण को ठीक से समझाया नहीं जा सकता था। यही कारण है कि यह एक लीगल केस बन गया था और ऐसे मामलों में अगर व्यक्ति की मौत हो जाती है तो पुलिस पोस्टमॉर्टम का विकल्प चुनती है।
क्या है फायदा
डॉक्टर सुधीर गुप्ता के अनुसार पुराने तरीकों से फ्रैक्चर और चोटें को पहचानना मुश्किल होता है। लेकिन वर्चुअल ऑटोप्सी की मदद से इसे तुरंत पकड़ा जा सकता है। कई और चीजें हैं जैसे खून, पुराना चोट...ये सब वर्चुअल ऑटोप्सी में आसानी से पता चल जाता है।
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