- कांग्रेस के अंदर खत को लेकर घमासान, 23 नेताओं ने लिखी थी चिट्ठी
- चिट्ठी पर गुलाबनबी आजाद के भी थे हस्ताक्षर, राहुल गांधी के बयान के बाद दिग्गज नेताओं में मची थी खलबली
- राहुल गांधी ने इशारों इशारों में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं पर बीजेपी के साथ साठगांठ का लगाया था आरोप
नई दिल्ली। कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में यह फैसला हुआ था कि एआईसीसी की अगली बैठक तक सोनिया गांधी ही पार्टी की अध्यक्ष रहेंगी। लेकिन उससे पहले एक खत विवादों के केंद्र में आ गया जिस पर कांग्रेस के 23 दिग्गज नेताओं के हस्ताक्षर थे। उनमें से एक गुलामनबी आजाद भी थे। बताया जा रहा है कि आजाद, राहुल गांधी की टिप्पणी से आहत थे। लेकिन उन्हें मना लिया गया है। गुरुवार को गुलामबनी आजाद ने बड़ी बात कही, वो कहते हैं कि पार्टी के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव होना चाहिए और यही उनकी विजय होगी जब 6 महीने के बाद पार्टी को पूर्णकालिक अध्यक्ष मिलेगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि संगठन के चुनाव के साथ साथ राज्यों और जिलों के भी अध्यक्षों का चुनाव होना चाहिए।
इंदिरा जी के समय में भी चिट्ठियां होती थीं लीक
सोनिया गांधी को 23 नेताओं द्वारा चिट्ठी लिखे जाने पर गुलामनबी आजाद ने कहा कि इसमें बड़ी बात क्या है। इसके साथ ही पूछा कि क्या उन नेताओं के खिलाफ कार्रवाई नहीं होनी चाहिए जो उन्हें निशाना बना रहे थे। उन्होंने कहा कि चिट्ठी कोई स्टेट सेक्रेट तो है नहीं जिस पर इतना बवेला मचा। इस चिट्ठी का मकसद पार्टी को मजबूत करना था। इसके जरिए पार्टी को कमजोर करने की कोशिश नहीं की गई। बड़ी बात तो यह है कि इंदिरा जी के जमाने में भी कैबिनेट की कार्यवाही लीक हो जाया करती थीं।
जो लोग कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में कमेंट्री कर रहे थे क्या वो अनुशासन की सीमा को नहीं लांघ रहे थे। ऐसे लोग जो खत की वजह से उन जैसे नेताओं को गाली दे रहे थे अनुशासन नहीं तोड़ा। क्या उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं होनी चाहिए। सच तो यह है कि उन्होंने किसी को गाली नहीं दी।
संघर्ष करने वाले कांग्रेसी बयान से होंगे सहमत
आजाद कहते हैं कि पार्टी के अंदर कोई भी शख्स जिसे लगता होगा कि कांग्रेस की बेहतरी के लिए आंतरिक स्तर पर चुनाव कराए जाने जरूरी वो उनकी बात से सहमत होगा। पार्टी के हर एक नेता की चाह होगी कि राज्यों और जिला अध्यक्षों का चुनाव होना ही चाहिए। गुलामनबी आजाद कहते हैं कि अगर उन्होंने खत लिखा तो उसमें गलत बात क्या थी। वो तो सिर्फ यह चाहते हैं कि पार्टी न सिर्फ मजबूत हो बल्कि सक्रियता के साथ काम करे। बड़ी बात यह है कि जिन लोगों को अप्वाइंटमेंट कार्ड मिलता है वो लोग उनके प्रस्ताव का विरोध कर रहे हैं। आखिर कांग्रेस कार्यसमिति के लिए लोगों को एक निश्चित अवधि के लिए चुनाव हो तो उसमें गलती क्या है। आखिरकार कार्यसमिति ही तो पार्टी के संबंध में बड़े बड़े फैसले करती है।
अप्वाइंटमेंट कार्ड वालों को सिर्फ परेशानी
आजाद, सोनिया गांधी और राहुल गांधी के बारे में कहते हैं कि दरअसल दोनों लोग एक महीने के अंदर ही चुनाव चाहते थे। लेकिन हम लोगों ने कहा इतनी जल्दी संभव नहीं है। वो कहते हैं कि यह उचित नहीं होगा कि ब्लॉक से लेकर कार्यसमिति के चुनाव के लिए सोनिया गांधी पर दबाव बनाया जाए। उन्हें इस बात से दिक्कत नहीं है कि पार्टी का अध्यक्ष कौन होगा। वो सिर्फ यह चाहते हैं कि चुनाव के जरिए ही पार्टी के अध्यक्ष पद का चुनाव संपन्न हो। राहुल गांधी जी को पांच वर्ष के वलिए चुना गया था। लेकिन उन्होंने बीच में ही इस्तीफा दे दिया।