- नीरव मोदी केस में पूर्व जज अभय थिप्से ने पक्ष में दी गवाही
- अभय थिप्से बांबे हाईकोर्ट में रह चुके हैं जज
- राहुल गांधी के साथ तस्वीर आने पर बवाल, बीजेपी ने लगाए आरोप
नई दिल्ली। गुरुवार को राजनीतिक गलियारों में एक तरह से भूचाल आ गया। भगोड़े नीरव मोदी के संबंध में एक खबर आई जिसमें कांग्रेस पर सवाल खड़ा शुरू हुआ कि क्या उसका मोदी सरकार पर हमला करना वाजिब है। क्या सिर्फ दिखावे के लिए कांग्रेस की तरफ से निशाना साधा जाता रहा है, जबकि पर्दे के पीछे की कहानी कुछ और है।
नीरव के पक्ष में गवाही, कांग्रेस के लिए बनी फांस
कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने एक नाम लिया अभय थिप्से का जो राहुल गांधी के साथ तस्वीरों में नजर आए और कहा कि एक तरफ तो राहुल गांधी सरकार पर निशाना साधते हैं दूसरी तरफ अभय थिप्से जो पूर्व जज रहे हैं उन्होंने नीरव मोदी के पक्ष में गवाही दी और उस शख्स का संबंध कांग्रेस से है। ऐसी सूरत में कांग्रेस किस बिनाह पर आरोप लगाती है पहले तो उसे खुद अपने गिरेबां में झांक कर देखना चाहिए। ऐसे में अब यह जानना जरूरी है। अभय थिप्से कौन हैं।
कांग्रेस के चर्चित चेहरा हैं थिप्से
पूर्व जज अभय थिप्से अब कांग्रेस के सक्रिय चेहरा हैं। 1987 में महाराष्ट्र न्यायिक सेवा में उनका चयन हुआ था और 2007 में जलगांव में प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश बनाए गए थे। न्यायिक सफर के इस पड़ाव में 2011 में वह बांबे हाई कोर्ट के जज बने और इसके बाद मई 2016 में उनका स्थानांतरण इलाहाबाद हाई कोर्ट में हुआ। जहां से वह 2017 में सेवानिवृत्त हुए। यहां यह जानना जरूरी है कि कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद कह रहे थे कि जब प्रशासनिक वजहों से बांबे हाईकोर्ट से उनका ट्रांसफर किया गया तो अभय थिप्से ने विरोध भी किया। सेवानिवृत्त होने के बाद थिप्से ने कांग्रेस का दामन थाम लिया।
चर्चित मामलों की सुनवाई में शामिल रहे हैं अभय थिप्से
थिप्से ने हिट एंड रन केस में फिल्म अभिनेता सलमान खान को जमानत दी थी। इसके साथ ही पांच साल की सजा को निरस्त करने में अहम फैसला दिया था। नेशन स्पॉट एक्सचेंज केस के साथ साथ बेस्ट बेकरी केस से भी नाम जुड़ा था। अब सवाल यह है कि नीरव मोदी के जिस धोखाधड़ी केस को लेकर कांग्रेस निशाना साधती थी। उसी मामले में बताया जा रहा है कि थिप्से ने गवाही दी कि इंडियन क्रिमिनल सिस्टम में जब तक किसी के साथ धोखा न हो धोखाधड़ी नहीं होगी। धोखाधड़ी के केस चीटिंह का होना जरूरी है। अगर एलओयू की वजह से बैंकों से धोखा नहीं हुआ तो नीरव मोदी पाक साफ माने जा सकते हैं।