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कौन हैं अजित पवार, जिन्‍होंने देवेंद्र फडणवीस को फ‍िर से बनाया महाराष्‍ट्र का सीएम

Updated Nov 23, 2019 | 10:42 IST

Who is Ajit Pawar: अजित पवार महाराष्‍ट्र की सियासत के प्रमुख किरदारों में से एक हैं, जिनकी भूमिका देंवेंद्र फडणवीस की अगुवाई में बनी नई सरकार में काफी अहम नजर आ रही है।

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तस्वीर साभार:&nbspBCCL
Who is Ajit Pawar: महाराष्‍ट्र में नई सरकार के गठन में अजित पवार की भूमिका अहम नजर आ रही है (फाइल फोटो)
मुख्य बातें
  • महाराष्‍ट्र में एक बार फिर से फडणवीस सरकार के गठन में अजित पवार की भूमिका अहम है
  • अजित पवार एनसीपी नेता हैं, जो महाराष्‍ट्र की नई सरकार में उपमुख्‍यमंत्री बने हैं
  • अजित पवार, एनसीपी प्रमुख शरद पवार के बड़े भाई अनंतराव पवार के बेटे हैं

मुंबई : महाराष्‍ट्र में एक बड़े सियासी उलटफेर के तहत देवेंद्र फडणवीस की अगुवाई में नई सरकार का गठन हो गया है, जिसमें चौंकाने वाला नाम एनसीपी नेता अजित पवार का रहा, जिन्‍होंने उपमुख्‍यमंत्री के तौर पर शपथ ली। राज्‍य में नई सरकार के गठन में अजित पवार की भूमिका अहम नजर आ रही है, जो एनसीपी प्रमुख शरद पवार के भतीजे हैं।

अजित पवार (60) एनसीपी प्रमुख शरद पवार के बड़े भाई अनंतराव पवार के बेटे हैं और सियासत में हमेशा अपने चाचा के नक्शेकदम पर चलते रहे। हालांकि महाराष्‍ट्र में आज (शनिवार, 23 नवंबर) हुए बड़े सियासी उलटफेर से मालूम पड़ता है कि भतीजे ने चाचा से अलग अपना रास्‍ता तय कर लिया है। शुरुआत में सूत्रों के हवाले से आई खबरों में कहा गया कि बीजेपी के साथ जाने और अजित के उपमुख्‍यमंत्री बनने को शरद पवार का भी समर्थन हासिल है, पर बाद में एनसीपी नेता की ओर से स्‍पष्‍ट किया गया कि अजित पवार ने यह फैसला खुद लिया, इसमें उनकी कोई भूमिका नहीं है।

अजित पवार के साथ एनसीपी के लगभग 20 विधायक बताए जा रहे हैं, जबकि पार्टी को विधानसभा चुनाव में 54 सीटें मिली हैं। वर्ष 1982 में राजनीति में कदम रखने वाले अजित पवार महाराष्‍ट्र की सियासत में बड़ा नाम हैं और अपने चाचा शरद पवार के साथ मिलकर पहले कांग्रेस और फिर उससे अलग होकर बनी एनसीपी को मजबूत बनाने में उनका अहम रोल रहा। हालांकि शरद पवार द्वारा बेटी सुप्रिया सुले को सियासत में आगे किए जाने के बाद उनके चाचा से मनमुटाव की खबरें भी आईं।

अजित पवार बारामती से सांसद भी रह चुके हैं और 2010 में महाराष्‍ट्र में कांग्रेस-एनसीपी सरकार में उपमुख्‍यमंत्री भी रहे। इससे पहले 1993 में जब शरद पवार महाराष्‍ट्र के मुख्‍यमंत्री बने थे, तब भी अजित पवार को कैबिनेट में जगह दी गई थी। वह महाराष्‍ट्र में कोऑपरेटिव सुगर फैक्ट्री के सदस्‍य और पुणे डिस्ट्रिक्‍ट कोऑपरेटिव बैंक के चेयरमैन भी रह चुके हैं। उन पर महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक घोटाले का आरोप भी है, जिसे लेकर प्रत्‍यर्पण निदेशालय ने उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की है। लगभग 25 हजार करोड़ रुपये के इस घोटाले में एनसीपी प्रमुख शरद पवार का नाम भी है।

अजित पवार ने इसी साल सितंबर में महाराष्‍ट्र विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सदन की सदस्‍यता से इस्‍तीफा दे दिया था, जिसके बाद उनके राजनीति से संन्‍यास लेने की अटकलों को भी हवा मिली थी। इस बारे में खुद शरद पवार ने कहा था कि अजित ने इस्‍तीफा देने के बारे में उन्‍हें नहीं बताया और जब उन्‍होंने उनके बेटे व परिवार के अन्‍य लोगों से संपर्क किया तो उन्‍होंने बताया कि अजित पवार मनी लॉन्ड्रिंग केस में अपने चाचा का नाम आने से बहुत परेशान थे और अपने परिवार के सदस्‍यों से उन्‍होंने यह भी कहा कि राजनीति से संन्‍यास लेने का यही सही वक्‍त है।

एक बार फिर ऐसा हुआ है, जब शरद पवार ने कहा है कि बीजेपी के साथ जाने को लेकर अजित पवार ने उनसे बात नहीं की और यह उनका व्‍यक्तिगत फैसला है। अब सियासी पंडित ताजा घटनाक्रम के बीच जहां चाचा के साथ भतीजे के गंभीर मतभेद की बात कर रहे हैं, वहीं सितंबर में विधानसभा सदस्‍यता से उनके इस्‍तीफे को भी ताजा राजनीतिक घटनाक्रम से जोड़कर देखा जा रहा है। बहरहाल, अजित पवार अब महाराष्‍ट्र के डिप्‍टी सीएम हैं और राज्‍य में नई सरकार के गठन में अहम किरदार नजर आ रहे हैं।

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