- राजस्थान में सीएम की कुर्सी के लिए जारी है घमासान
- सचिन पायलट के पक्ष में आलाकमान तो सीपी जोशी के पक्ष में गहलोत खेमा
- गहलोत समर्थक विधायकों ने कर रखी है बगावत
राजस्थान में शनिवार तक जहां लग रहा था कि सचिन पायलट आराम से सीएम बन जाएंगे, वहीं रविवार से इस मामले को लेकर हंगामा मचा है। जिस मीटिंग में सीएम पद के लिए नाम तय होना था, विधायकों की बगावत की वजह से वो मीटिंग ही नहीं हो पाई। दावा है कि कांग्रेस के 100 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है। बागी विधायकों की शर्त है कि उन विधायकों में से किसी को भी सीएम नहीं बनाया जाए, जिन्होंने पायलट के नेतृत्व में 2020 में बगावत की थी।
इस बगावत के बीच नाटकीय रूप से सीएम पद के लिए सीपी जोशी का नाम सामने आ रहा है। सीपी जोशी वर्तमान में राजस्थान के विधानसभा अध्यक्ष हैं। कहा जा रहा है कि अशोक गहलोत और उनके समर्थक विधायक सीपी जोशी को सीएम बनाना चाहते हैं। पायलट के नाम पर अशोक गहलोत का खेमा सपोर्ट करने के लिए तैयार नहीं है।
कौन हैं सीपी जोशी
राजस्थान के राजसमंद जिले के कुंवारिया में जन्मे सीपी जोशी जब एक प्रोफेसर के रूप में काम कर रहे थे तब तत्कालीन सीएम मोहनलाल सुखाड़िया उन्हें राजनीति में लेकर आए थे। सुखाड़िया ने 1980 में जोशी को टिकट दिया था। जोशी पहली बार विधायक बनने के समय 29 वर्ष के थे। इसके बाद वो लगातार विधायक बनते रहे।
जब गहलोत से भिड़े
सीपी जोशी 2003 तक लगातार विधायक बनते रहे। ये वो दौर था जब कांग्रेस में राहुल गांधी का कद बढ़ रहा था। पार्टी की कमान वो अपने हाथ में ले रहे थे। इसी दौर में सीपी जोशी, राहुल गांधी के करीब आ गए। गहलोत पिछड़ गए। ऐसा लगने लगा कि राजस्थान में सीपी जोशी के सामने कोई नहीं है, लेकिन गहलोत तो गहलोत हैं। कहा जाता है कि 2008 के चुनाव में गहलोत ने सीपी जोशी के खिलाफ प्रचार किया था, सीपी जोशी एक वोट से चुनाव हार गए। जिसके बाद सीएम की कुर्सी गहलोत के पास आ गई।
रहा छत्तीस का आंकड़ा
जोशी यहां भले ही चुनाव हार गए, लेकिन 2009 में लोकसभा चुनाव जीते और केंद्र में मंत्री बन गए। राहुल के करीब होने की वजह से कांग्रेस में उनका कद बढ़ता गया। सीधे-सीधे गहलोत से भिड़ते रहे। केंद्र से जब कांग्रेस की सत्ता गई और राहुल सवालों के घेर में आने लगे, साथ ही गहलोत का कद कांग्रेस में बढ़ता गया, तब सीपी जोशी शांत हुए और गहलोत के साथ दोस्ती कर ली।
अब सीएम पद के दावेदार
इसके बाद जब 2018 में कांग्रेस की सरकार बनी और गहलोत सीएम बने तो सीपी जोशी को विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी मिल गई। इसके बाद पायलट की बगावत के समय भी दोनों साथ रहे। अब जब गहलोत के उत्तराधिकारी चुनने का समय आया तो सीपी जोशी पहले तो चुप रहे फिर अचानक से चौंकाते हुए सीधे सबसे बड़े दावेदार बन गए। गहलोत और उनके समर्थक विधायक पायलट को रोकने के लिए सीपी जोशी को सीएम की कुर्सी सौंपने का दवाब आलाकमान पर बना रहे हैं।
ये भी पढ़ें-