- पश्चिम बंगाल में अगले कुछ महीनों बाद होने हैं विधानसभा चुनाव
- चुनाव को देखते हुए भाजपा ने राज्य में अपनी तैयारी शुरू कर दी है
- सुवेंदु अधिकारी को टीएमसी छोड़ने से ममता बनर्जी को लगा है झटका
नई दिल्ली : पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने में अभी कई महीनों का समय है लेकिन यहां राजनीतिक सरगर्मी काफी बढ़ गई है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अपने 'मिशन बंगाल' के लिए आक्रामक तरीके से आगे बढ़ रही है। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के काफिले पर हमले के बाद भगवा पार्टी ने ममता बनर्जी को तगड़ा झटका दिया है। एक तो तीन आईपीएस अधिकारियों को डेप्युटेशन पर बुलाकर राज्य के पुलिस महकमे को सीधा संदेश दिया है, दूसरा सुवेंदु अधिकारी जैसे टीएमसी के कद्दावर नेता को अपने पाले में कर उसने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को तगड़ा झटका दिया है। सुवेंदु ममता बनर्जी के करीबी सहयोगियों एवं विश्वासपात्रों में से एक हैं। बताया जाता है कि नंदीग्राम आंदोलन की रूपरेखा उन्हीं के दिमाग की उपज थी। इसी आंदोलन के बाद राज्य में टीएमसी सत्ता में आई और वाम दल को चुनाव में हार मिली। भाजपा में अधिकारी का शामिल होना अब एक रस्म भर है।
कौन हैं सुवेंदु अधिकारी
राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखने वाले सवेंदु मंत्री, सांसद और विधायक रह चुके हैं। टीएमसी में उनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है। 2007 के नंदीग्राम आंदोलन में उनकी भूमिका को देखते हुए ममता बनर्जी ने उन्हें जंगल महल, पश्चिम मिदनापुर, पुरुलिया एवं बांकुरा जिलों का प्रभारी बनाया। इन जिलों में अधिकारी ने टीएमसी का जनाधार बढ़ाया। साल 2009 के लोकसभा चुनाव में अधिकारी तुमलुक सीट से चुने गए। इस सीट पर उन्होंने लेफ्ट के कद्दावर नेता लक्ष्मण सेठ को हराया। साल 2016 के विधानसभा चुनाव में वह नंदीग्राम सीट से चुनाव लड़े। इस सीट पर उन्होंने लेफ्ट एवं कांग्रेस के संयुक्त उम्मीदवार अब्दुल कादिर शेख को हराया। चुनाव जीतने के बाद अधिकारी ने तुमलुक सीट छोड़ दी। ममता बनर्जी की सरकार में इन्हें परिवहन मंत्री बनाया गया।
ममता से नाराज चल रहे थे सुवेंदु
बताया जाता है कि सुवेंदु कुछ समय से ममता बनर्जी से नाराज चल रहे थे। सियासी गलियारों में चर्चा है कि सुवेंदु की नाराजगी की वजह ममता के भतीजे अभिषेक बनर्जी हैं। टीएमसी में अभिषेक को ज्यादा तवज्जो दिया जाना उन्हें पसंद नहीं था। ममता बनर्जी भी अभिषेक को आगे बढ़ा रही हैं। ऐसे में सुवेंदु खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे थे। बताया जाता है कि सुवेंदु की इस नाराजगी की जानकारी भाजपा प्रदेश के नेताओं ने शीर्ष नेतृत्व तक पहुंचाई जिसके बाद भाजपा के शीर्ष नेताओं ने उनसे संपर्क किया।
अधिकारी की राह पकड़ सकते हैं टीएमसी के कई नेता
सूत्रों का कहना है कि भाजपा के इस भरोसे पर कि पार्टी के सत्ता में आने पर उन्हें राज्य की राजनीति में उनके कद के हिसाब से उनका सम्मान होगा, सुवेंदु भाजपा में आने के लिए तैयार हो गए। चर्चा यह भी है कि टीएमसी के कई विधायकों एवं सांसदों के साथ सुवेंदु के करीबी संबंध हैं। आने वाले समय में टीएमसी के कई नेता अगर भाजपा का दामन थामते हैं तो किसी को हैरानी नहीं होनी चाहिए। भाजपा को भी पश्चिम बंगाल में एक जमीनी पकड़ वाले कद्दावर नेता को तलाश थी उसकी यह खोज एक तरह से सुवेंदु में जाकर पूरी हो गई है। सुवेंदु टीएमसी के रणनीतिकार रहे हैं, जाहिर है कि चुनाव में उनके प्रभाव एवं पकड़ का फायदा भगवा पार्टी को मिलेगा।