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BATTLE FOR TAMIL NADU: कौन जीतेगा 2021 का तमिलनाडु विधानसभा चुनाव? एक नजर आंकडों पर 

बीरेंद्र चौधरी | सीनियर न्यूज़ एडिटर
Updated Dec 31, 2020 | 12:18 IST

कौन जीतेगा 2021 का तमिलनाडु विधान सभा चुनाव? तमिलनाडु का हिस्टोरिकल डेटा कहता क्या है? इन दोनों प्रश्नों के उत्तर को जानने से पहले संक्षेप  में तमिल राजनीति को  जानना जरूरी है ।

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Who will win the Tamil Nadu assembly elections of 2021? DMK or AIADMK

नई दिल्ली: तमिलनाडु में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। राज्य के प्रमुख दलों ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। फरवरी 1967 तक काँग्रेस तमिल राजनीति के केंद्र में रही लेकिन फरवरी 1967 के बाद तमिल राजनीति में द्रविड़ राजनीति ने ऐसा बदलाव लाया कि आज तक तमिलनाडु द्रविड़ राजनीति के इर्द गिर्द ही घूम रही है। आलम ये है कि राष्ट्रीय दलों को द्रविड़ दलों के पीछे पीछे ही चलना पड़ रहा है ना कि आगे। तमिलनाडु में काँग्रेस के अंतिम मुख्यमंत्री थे एम भक्तवत्सलम जिनका कार्यकाल रहा फरवरी 1967 तक। और उसके बाद तमिलनाडु में द्रविड़ राजनीति की कहानी शुरू हुई जो आजतक जारी है और उस कहानी के मुख्य किरदार रहे तमिल सिनेमा के हीरो जिनके आस पास द्रविड़ राजनीति घूमती रही। डीएमके नेता सी एन अन्नादूरई ने तमिलनाडू में  द्रविड़ राजनीति की शुरुवात की और डीएमके के पहले मुख्यमंत्री भी बने अन्नादूरई मार्च 1967 में और अन्नादूरई के  बाद डीएमके का कमान संभाली एम करुणानिधि ने।

करुणानिधि और जयललिता का दौर

करुणानिधि तमिल सिनेमा के अजूबे स्क्रिप्ट रायटर माने जाते रहे हैं जो तमिलनाडु के 5 बार मुख्यमंत्री रहे। लेकिन उसी द्रविड़ राजनीति में एक और शख्सियत था जिसने करुणानिधि को सीधे सीधे ललकारते हुए  डीएमके से निकलकर एक नई पार्टी बना ली जिसका नाम पड़ा एआईएडीएमके  जिसकी स्थापना हुई अक्तूबर 1972 में  और वो शख्सियत था तमिल सिनेमा का सुपर स्टार एम जी रामचंद्रन जिन्हें एमजीआर के नाम से जाना जाता है। और अब शुरू हुआ दो तमिल सिनेमा के दिग्गजों के बीच द्रविड़ राजनीति। एआईएडीएमके के एमजीआर ने अपनी ताकत दिखाई 1977 के तमिलनाडु विधान सभा चुनाव में जब वो अपने दम पर सत्ता में आ गए और उसके बाद एमजीआर लगातार 3 बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बने और इस रेकॉर्ड की बराबरी भी की उन्हीं की पार्टी की जे जयललिता ने लगातार 3 बार चुनाव जीतते हुए मुख्यमंत्री बनकर। जयललिता भी तमिल सिनेमा की सुपर स्टार थी और खास बात ये कि  तमिल फिल्मों में एमजीआर और जयललिता साथ साथ बतौर हीरो हीरोइन काम किया करते थे जिसका अमिट छाप तमिल जनमानस पर था ही।

ऐसी है तमिल राजनीति

 एमजीआर के बाद करुणानिधि और जयललिता ने द्रविड़ राजनीति की कट थ्रोट कॉम्पटिशन को कम नहीं होने दिया यानि दोनों द्रविड़ राजनीति के पुरोधा बन गए। तमिल राजनीति में दो घटना ऐसी घटना घटी जिसने द्रविड़ राजनीति से  दो महा नायक का पटाक्षेप कर दिया। पहली घटना 2016 में घटी जब जे जयललिता का देहावसान हो गया और दूसरी घटना 2018 में घटी जब एम करुणानिधि का देहावसान हुआ। इस दो घटनाओं ने डीएमके और एआईएडीएमके दोनों को अनाथ कर दिया और साथ ही तमिल राजनीति में एक शून्य सी स्थिति बना दिया। लेकिन एक खास बात ये है कि जया और करुणा के जाने के बाद भी तमिल राजनीति से द्रविड़ राजनीति का अंत नहीं हुआ और इसका प्रमाण मिला 2019 के लोक सभा चुनाव में जब एक तरफ डीएमके यूपीए का और दूसरी तरफ एआईएडीएमके एनडीए का नेतृत्व कर रही थी। भारी सफलता मिली डीएमके के यूपीए को जिसे 39 में से 38 सीटें मिली और एआईएडीएमके के एनडीए का सफाया हो गया जिसे 39 में से सिर्फ 1 सीट मिली और तो और बीजेपी अपना खाता तक नहीं खोल पाई। हाँ काँग्रेस डीएमके के सहारे 8 सीटें जरूर जीती।

अलग होगा इस बार का चुनाव

कमोवेश अबकी बार भी लगभग वही स्थिति बन रही है एक तरफ बीजेपी एआईएडीएमके और दूसरी तरफ कांग्रेस डीएमके के साथ चल रही है। हाँ  2021 के विधान सभा चुनाव एक  मायने में अलग होगा जब पहली बार तमिलनाडु विधान सभा चुनाव में तमिल राजनीति के दो पिलर नहीं होंगे एक जे जयललिता और दूसरा एम करूणानिधि। दूसरा , तमिल सिनेमा के एक और स्टार कमल हासन, हालाँकि उन्होंने अपने को 2019  लोक सभा चुनाव में लांच तो कर दिया था लेकिन सफलता नहीं मिल पाई बल्कि उनके एक भी उम्मीदवार अपनी जमानत तक नहीं बचा सका। लेकिन वो था लोक सभा चुनाव और अब फिर से कमल हासन विधानसभा  चुनाव के जंग में कूद पड़े हैं देखना होगा उन्हें मिलता क्या है। 

अब आते हैं सवाल पे कौन जीतेगा 2021 का तमिलनाडु विधान सभा चुनाव? तमिलनाडु का हिस्टोरिकल डेटा कहता क्या  है? इन दोनों सवालों का जवाब मिलेगा तीन सवालों से ।

पहला सवालतमिलनाडु विधान सभा चुनाव 2016 में क्या हुआ ?

PARTY SEATS VOTE%
AIADMK  136 41.3
DMK 89 32.1
CONGRESS 8 6.5
IUML 1 0.7
PMK - 5.4
BJP - 2.9
Others - 11.1
Total 234 100


गठबंधन

PARTY SEATS VOTE%
AIADMK  136 41.3
DMK+ 98 39.3
PWF - 6.1
NDA - 3.0
PMK - 5.4
Others - 4.4
Total 234 100

2016 ALLIANCE

AIADMK+ = AIADMK+MMK
DMK+ = DMK+CONGRESS+IUML+PT+MMK

PEOPLE’S WELFARE FRONT = TMC (MOOPNAAR)+VCK+CPI(M)+CPI+MDMK+DMDK

NDA=BJP+IJK

2016 का चुनाव

2016 का तमिलनाडु विधान सभा चुनाव अपने आप में एक इतिहास दोहराता है क्योंकि तमिनाडु में लगातार तीसरी बार सत्ता में आने का इतिहास एम जी रामचंद्रन के नाम था जो एआईएडीएमके के संस्थापक भी थे और उन्हीं की पार्टी के जे जयललिता ने 2016 में लगातार चुनाव जीतकर इतिहास को दोहराया।  दूसरी तरफ डीएमके आस लगाए बैठी थी कि उनकी जीत तय है लेकिन ऐसा हुआ नहीं।  एआईएडीएमके ने 234 में से 136 सीट पाकर स्पष्ट बहुमत के साथ सरकार बना ली।  डीएमके को सिर्फ 89  सीटों के साथ संतोष करना पड़ा।  राष्ट्रीय पार्टी का हाल तो आपने देखा ही।  कांग्रेस डीएमके के साथ थी इसलिए उसे 8 सीटें मिल गयी लेकिन बीजेपी तो  खाता तक  नहीं खोल पाई। 

दूसरा सवाल , तमिलनाडू का  2019 का लोक सभा चुनाव परिणाम क्या कहता है ? आइए देखते हैं

TAMIL NADU LOK SABHA ELECTION 2019

पार्टी सीटें वोट प्रतिशत
DMK 24 33.2
CONGRESS 08 12.9
CPI    2 2.5
CPI(M) 2 2.4
IUML 1 1.1
VCK 1 1.2
AIADMK 1 18.7
PMK - 5.3
BJP - 3.7
Others - 18.8
Total 39 100

गठबंधन

TAMIL NADU LOK SABHA ELECTION 2019

पार्टी सीटें वोट प्रतिशत
यूपीए 38 50.9 फीसदी
एनडीए 1 30.7 फीसदी
अन्य - 18.4 फीसदी
कुल 39 100 फीसदी

2019 में गठबंधन

UPA=DMK+CONGRESS+CPI+CPI (M) +IUML+VCK+CPI (ML) (L)

NDA=AIADMK+TMC (MOOPNAR) +DMDK+PMK+BJP

दो दिग्गजों की खलेगी कमी

2019 लोक सभा चुनाव से पहले दो ऐसी घटना घटती है जो पूरे तमिल राजनीति और चुनाव को वर्षों से प्रभावित करते रहे वो दोनों, जे जयललिता और एम करूणानिधि, स्वर्ग को सिधार गए।  जयललिता का 2016 और करूणानिधि का 2018 में निधन हो गया।  वाजिब है कि वर्षों बाद जया और करुणा के बिना  2019 का लोक सभा चुनाव तमिलनाडु में हो रहा था और दोनों दलों को अपनी अपनी पार्टी के बल पर चुनाव लड़ना था ना कि  अपने अपने नेता के नाम पर।

लोकसभा चुनाव में एनडीए का सफाया

चुनाव परिणाम ने एआईएडीएमके को हिलाकर रख दिया हालाँकि एआईएडीएमके एनडीए का हिस्सा था लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मोदी मैजिक भी एनडीए को नहीं बचा सका। ऐसा लगा कि जयललिता का ना होना एआईएडीएमके  अभिशाप साबित हुआ।  एनडीए के एआईएडीएमके को 39 में से सिर्फ 1 सीट मिली। और तो और बीजेपी अपना खाता तक खोल पाया। दूसरी तरफ यूपीए का नेतृत्व करूणानिधि के पुत्र और डीएमके नेता स्टालिन कर रहे थे और स्टालिन के नेतृत्व ने यूपीए ने 39 में से 38 सीटें जीती।  डीएमके की वजह से कांग्रेस ने 8 सीटें जीत ली। यानि 2019 में तमिलनाडु के लोक सभा चुनाव में सिर्फ स्टालिन चला बाकी सब फेल।  मतलब ये कि पूरे देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लहर और तमिलनाडु में स्टालिन का लहर।  

तीसरा सवाल , तमिलनाडू के 2019 के लोक सभा चुनाव परिणाम के हिसाब से असेंबली सीट में किसको कितनी लीड मिलती है?

TAMIL NADU LOK SABHA ELECTION 2019: ASSEMBLY LEADS

PARTY ASSEMBLY 2016 ASSEMBLY LEADS GAIN/LOSS
AIADMK 136       12 -124
DMK 89 138 +49
CONGRESS 8 49 +41
CPI  - 12 +12
CPI(M) - 12  +12
IUML  1   5 +4
PMK  - 3 +3
VCK 2 +2
BJP  1 +1
TOTAL    234  234  

ALLIANCE WISE LEAD

TAMIL NADU LOK SABHA ELECTION 2019: ASSEMBLY LEADS

ALLIANCE  SEATS
UPA 218
NDA    13
PMK  3
TOTAL 234

तुलनात्मक अध्ययन

 यदि लोक सभा के परिणाम को असेंबली सीट के लीड के रूप में देखें तो डीएमके को अपने बुते पर ही स्पष्ट बहुमत मिलता दिख रहा है।  यानि डीएमके को 234 सीटों में से 138 सीटों पर बढ़त हासिल है। यदि नफा नुकसान  के रूप  में देखें तो डीएमके को 2016  में 89 सीटें मिली थी जबकि 2019 में डीएमके को 138 सीट यानि 49 सीटों का भारी फायदा।  यदि यूपीए के हिसाब से देखें तो यूपीए को 234 में से 218 सीटें मिल रही है।  दूसरी तरफ एनडीए को देखें तो एआईएडीएमके को सिर्फ 12  और बीजेपी को सिर्फ 1 सीटों पर बढ़त यानि एनडीए को सिर्फ 234 में से सिर्फ 13 सीटें मिल रही है। दूसरे शब्दों में एनडीए का तमिलनाडु से पूरी तरह सफाया हो गया।  

कुल मिलाकर हिस्टॉरिकल डेटा कहता है:

 पहला  , डीएमके 2021 का तमिलनाडु विधान सभा चुनाव थमपिंग मेजोरिटी के साथ जीतती हुई दिखाई दे रही है । यदि 2019 लोक सभा चुनाव परिणाम को असेंबली सीट के लीड के रूप में देखें तो डीएमके के नेतृत्व में यूपीए 239 में से 218 सीट जीतती हुई दिखाई दे रही है । दूसरा, यदि एनडीए को देखें तो सिर्फ 13 सीट जीतती हुई दिखाई दे रही है जिसमें बीजेपी को सिर्फ एक सीट लीड थी । तीसरा , लोक सभा चुनाव परिणाम के हिसाब से कमल हसन की पार्टी के सभी उम्मीदवार अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए थे बल्कि एक भी सीट पर लीड नहीं था । चौथा , रजनीकान्त फेक्टर को लेकर काफी चर्चा थी लेकिन रजनीकान्त ने अपने चैप्टर को खुद ही बंद कर दिया है । पाँचवाँ, ये विश्लेषण हिस्टॉरिकल डेटा पर आधारित है लेकिन असली में होगा क्या उसके लिए हमें अप्रैल मई 2021 का इंतज़ार करना होगा कि तमिलनाडु विधान सभाचुनाव में जीत किसकी हुई और हार किसकी हुई ।

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