नई दिल्ली : बिहार विधानसभा चुनाव में पांच सीटें जीतकर सभी को हैरान करने वाले ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के मुखिया असुद्दीन ओवैसी बंगाल और तमिलनाडु चुनाव में अपनी छाप नहीं छोड़ पाए हैं। इन दोनों ही राज्यों में ओवैसी कोई सीट नहीं जीत पाए हैं। बंगाल में उन्होंने विधानसभा की सात सीटों और तमिलनाडु की तीन सीटों पर चुनाव लड़ा था। दोनों राज्यों में ये सभी सीटें मुस्लिम बहुल हैं।
बंगाल में पीरजादा के साथ मिलकर चुनाव लड़ना चाहते थे
औवैसी बंगाल चुनाव फुरफुरा शरीफ के पीरजादा अब्बास सिद्दिकी के साथ मिलकर चुनाव लड़ना चाहते थे। इस गठबंधन के लिए वह हावड़ा गए और पीरजादा से मुलाकात की लेकिन गठबंधन की बात आगे नहीं बढ़ पाई। पीरजादा लेफ्ट के साथ आ गए। इसके बाद ओवैसी अकेले चुनाव मैदान में उतरे। उन्होंने मुस्लिम बहुल सीटों एटाहार, जालंगी, सगरदिघी, भरतपुर, मालतीपुर, रतुआ और आसनसोल नॉर्थ में अपने उम्मीदवार उतारे। 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में ओवैसी ने विधानसभा की 44 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे और उन्होंने दो सीटें जीतीं।
तमिलनाडु में 3 सीटों पर चुनाव लड़ा
तमिलनाडु में उन्होंने दिनाकरन के नेतृत्व वाली अम्मा मक्कल मुनेत्र कड़गम के साथ गठबंधन किया था लेकिन इस राज्य में भी वह कोई कमाल नहीं कर पाए। बिहार विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम ने सीमांचल क्षेत्र की 20 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे। यहां पांच सीटों पर उन्होंने जीत दर्ज की और कई सीटों पर उनकी पार्टी के उम्मीदवार दूसरे नंबर पर रहे। चुनावी विश्लेषक मानते हैं कि सीमांचल की ये सभी सीटें अब तक आरजेडी जीतती आई थी लेकिन ओवैसी ने इन सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारकर राजद का समीकरण बिगाड़ दिया। इस क्षेत्र की सीटों पर उन्होंने मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाई जिसका फायदा एनडीए गठबंधन को हुआ।
यूपी का चुनाव लड़ेंगे ओवैसी
एमआईएम नेताओं का कहना है कि वे लोगों के लिए काम करते रहेंगे। ओवैसी का कहना है कि वह अगले साल उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। इसके लिए उनकी पार्टी ने तैयारी भी शुरू कर दी है। यूपी में फरवरी/मार्च 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं।