नई दिल्ली: सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने रविवार को कहा कि रामबन में जम्मू-श्रीनगर नेशनल हाईवे पर निर्माणाधीन फोर-लेन सुरंग के ढहने का कारण अभी पता नहीं चल पाया है कि क्या यह हादसा चल रहे काम की वजह से हुई या प्राकृतिक कारण से। मंत्रालय ने यह भी कहा कि केंद्र ने स्वतंत्र विशेषज्ञों की तीन सदस्यीय कमिटी का गठन किया है जिसने साइट पर इसकी जांच शुरू कर दी है। कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। रामबन जिले में जम्मू-श्रीनगर नेशनल हाईवे पर एक निर्माणाधीन फोर-लेन सुरंग का एक हिस्सा गुरुवार रात गिर गया, जिसमें कम से कम 10 मजदूरों की जान चली गई।
मंत्रालय ने कहा कि यह अभी तक निर्धारित नहीं किया गया है कि यह हादसा चल रहे निर्माण कार्य की वजह हुई या प्राकृतिक कारणों से हुई है। केंद्र सरकार द्वारा स्वतंत्र फेमस विशेषज्ञों की कमिटी गठित की गई है जो जांच के लिए साइट पर जा चुकी है। स्लाइड/कोलैप्स की वजह का पता लगाएगी। कमिटी की रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। एनएचएआई ने ऐसी आपात स्थिति से निपटने के लिए पहले ही प्रक्रिया शुरू कर दी है और भविष्य में इस तरह की दुर्घटना से बचने के लिए सभी संभव उपाय भी किये जा रहे हैं।
मंत्रालय ने रामबन बनिहाल खंड के डिगडोले और खूनी नाले के बीच के खंड को 'नाजुक भूविज्ञान' के कारण 'लगातार भूस्खलन का खतरा' करार दिया। मंत्रालय ने कहा कि श्रीनगर के लिए हर मौसम में संपर्क बनाए रखने के रणनीतिक महत्व को ध्यान में रखते हुए और मौजूदा एलानमेंट पर पहाड़ी ढलानों की स्थिरता सुनिश्चित करने में चुनौतियों का आकलन करने के बाद, रामबन बनिहाल खंड में तीन पैकेजों के तहत सुरंगों या वियाडक्ट्स का प्रस्ताव है। निर्माण कार्य 1 फरवरी को शुरू हुआ था।
इस बीच एक अधिकारी ने कहा कि निर्माण कंपनी द्वारा हादसे में मारे गए लोगों के परिवार को 16-16 लाख रुपए का मुआवजा दिया जाएगा। डिप्टी कमिश्नर ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने भी राहत कोष से एक लाख रुपए अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है।