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हाथ के ऊपरी हिस्से में ही क्यों लगाई जाती कोरोना वैक्सीन, किसी और जगह क्यों नहीं 

Why is Corona vaccine given in arms? know the reasons
Updated May 25, 2021 | 10:34 IST

आम तौर पर ज्यादातर वैक्सीन इंट्रामस्क्यूलर इंजेक्शन के जरिए मांसपेशियों में लगाई जाती है। वैक्सीन को डेल्टायड नाम की मांसपेशी में लगाना मुफीद माना जाता है।

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Why is Corona vaccine given in arms? know the reasonsWhy is Corona vaccine given in arms? know the reasons
तस्वीर साभार:&nbspPTI
हाथ के ऊपरी हिस्से में ही क्यों लगाई जाती कोरोना वैक्सीन।
मुख्य बातें
  • पोलियो की दवा एक वैक्सीन है लेकिन इसे ड्राप के जरिए दिए जाता है
  • कई वैक्सीन ऐसी हैं जिन्हें त्वचा के निचले हिस्से में दिया जाता है
  • कोरोना वैक्सीन बांह के ऊपरी हिस्से में लगाने के पीछे एक वजह है

नई दिल्ली : वैक्सीन या टीका का नाम सुनने पर अक्सर दिमाग में इंजेक्शन का दृश्य उभरता है लेकिन ऐसे कई टीके हैं जिसे इंजेक्शन की मदद से नहीं लिया जाता। पोलियो का टीका भी एक तरह की वैक्सीन है लेकिन इसका ड्राप मुंह में दिया जाता है। रोटावायरस वैक्सीन भी मुंह में दी जाती है। मीसल्स, मम्पस और रूबेला वैक्सीन को त्वचा के नीचे दिया जाता है।  भारत सहित दुनिया भर में इस समय कोरोना का टीका लगाया जा रहा है। कोरोना का यह टीका इंजेक्शन के जरिए बांह के ऊपरी हिस्से की मांसपेशी में लगाया जा रहा है। लोगों के मन में सवाल उठता है कि वैक्सीन बांह के ऊपरी हिस्से में ही क्यों लगाई जा रही है, इसकी एक ठोस वजह है।  

इंट्रामस्क्यूलर इंजेक्शन से लगाई जाती है वैक्सीन
आम तौर पर ज्यादातर वैक्सीन इंट्रामस्क्यूलर इंजेक्शन के जरिए मांसपेशियों में लगाई जाती है। वैक्सीन को डेल्टायड नाम की मांसपेशी में लगाना मुफीद माना जाता है जो कि कंधे की एक त्रिकोणीय मांसपेशी होती है। इसके अलावा इसे जांघ की मांसपेशी पर भी लगाया जा सकता है। मांसपेशी में वैक्सीन लगाने का फायदा यह होता है कि यह प्रतिरोध की अनुक्रिया को उत्तेजित करने की वैक्सीन की क्षमता को ज्यादा प्रभावी बनाती है। साथ ही यह वैक्सीन लगने वाले स्थान पर रिएक्शन की संभावना कम कर देता है।

बांह की मांसपेशी कम तकलीफ देती है
कोविड वैक्सीन को इस तरह से बनाया गया है ताकि उसे बांह के ऊपरी हिस्से में लगाया जाए। बांह की मांसपेशी और अन्य मांसपेशियों की तुलना में कम तकलीफ देती है। इसकी वजह वैक्सीन की कार्यप्रणाली में छिपी है। वैक्सीन के बांह या जांघ की मांसपेशी में लगने पर यह कोशिकाओं को प्रशिक्षित करने का काम करती है। बाद में ये कोशिकाएं मारक सेल्स बन जाती हैं। जो कोरोना वायरस से पीड़ित कोशिकाओं को खोजकर मार देती हैं या एंटी बॉडी का स्राव करने वाली कोशिकाएं बन जाती हैं। एंटीबॉडी के निर्माण में मांसपेशियां अहम मानी जाती हैं।

भारत में दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान
देश में इस समय लोगों को कोरोना की कोविशील्ड और कोवाक्सिन वैक्सीन लगाई जा रहा है। रूस के टीके स्पुतनिक-V को भी मंजूरी मिल चुकी है। भारत सरकार का कहना है कि वह देश में दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान चला रही है। अब तक देश में 19,85,38,999 लोगों को वैक्सीन की खुराक दी जा चुकी है। भारत बॉयोटेक, कैडिला सहित अन्य कंपनियां बच्चों के लिए टीका विकसित करने के लिए क्लिनिकल ट्रायल कर रही हैं। कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों पर ज्यादा खतरा होने की बात कही गई है।  


   

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