नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा अपनी तीन दिनों के दौरे पर शुक्रवार को भारत पहुंच रहे हैं। प्रधानमंत्री पद की कुर्सी संभालने के बाद उनकी यह पहली विदेश यात्रा हो रही है। भारत में वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विदेश मंत्री एस जयशंकर सहित सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों से मिलेंगे। चीन के विदेश मंत्री वांग यी के नेपाल दौरे के ठीक बाद देउबा भारत आ रहे हैं। चीन-नेपाल के हाल के संबंधों को देखते हुए देउबा की यह भारत यात्रा काफी अहम मानी जा रही है। साथ ही भारत एवं नेपाल के बीच रेल नेटवर्क शुरू करने को लेकर भी यात्रा महत्वपूर्ण है। काठमांडू पोस्ट की मानें तो पीएम मोदी एवं देउबा शनिवार को कुर्था-जयनगर रेलवे लाइन का उद्घाटन कर सकते हैं।
अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुई है रिश्तों में आई कड़वाहट
जानकारों का मानना है कि पीएम बनने के बाद देउबा भारत-नेपाल संबंधों में एक नया जोश पैदा करना चाहते हैं। केपी शर्मा ओली के समय दोनों देशों के रिश्तों में आई कड़वाहट कम तो हुई है लेकिन यह पूरी तरह से अभी खत्म नहीं हुई है। देउबा दोनों देशों के बीच पुराना भरोसा एवं रिश्तों में गर्माहट पैदा करना चाहते हैं। केपी शर्मा ओली के समय में नेपाल पर चीन का प्रभाव ज्यादा दिखाई दिया। भारत के साथ सीमा विवाद एवं नए नक्शे को लेकर जिस तरह की बातें हुईं उसके पीछे माना जाता है कि चीन का ही हाथ था।
नेपाल में चीन की नीयत पर उठे सवाल
इसी दौरान यह भी बातें सामने आईं कि चीन ने नेपाल के कई हेक्टेयर क्षेत्र पर अपना कब्जा जमा लिया है। इसके बाद नेपाल में चीन की नीयत पर सवाल उठने लगे। ओली के सत्ता से हटने के बाद नेपाल ने भारत के करीब आने की कोशिश की है। इस बीच नेपाल संसद ने अमेरिका के साथ 500 मिलियन डॉलर के मिलेनियम चैलेंज कॉरपोरेशन नेपाल कॉम्पैक्ट को मजूरी दी है। इसके जरिए अमेरिका, नेपाल में सड़क, बिजली सहित बुनियादी ढांच से जुड़ी परियोजनाओं पर काम करेगा। बताया जाता है कि यह बात चीन को बुरी लगी है। चीन इसे अपनी बेल्ट एंड रोड परियोजना के लिए झटका मान रहा है।
चीन में ओली की पार्टी का शिष्टमंडल
रिपोर्टों की मानें तो केपी शर्मा ओली की पार्टी सीपीएन-यूएमएल का एक शिष्टमंडल चीन के दौरे पर है। रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि चीन ओली और प्रचंड के बीच एक बार फिर सुलह कराना चाहता है। जाहिर है कि बदलते अतंरराष्ट्रीय घटनाक्रमों एवं घरेलू राजनीति को देखते हुए देउबा को अपने देश का हित याद आया है। चीन के कर्ज ने श्रीलंका को किस हालात में पहुंचा दिया है, यह बात किसी से छिपी नहीं है। श्रीलंका की अर्थव्यवस्था चौपट हो चुकी है और लोग सड़कों पर आ गए हैं।
बातचीत के लिए मुद्दों की कमी नहीं-थापा
पूर्व विदेश मंत्री और भारत में नेपाल के राजदूत रह चुके भेख बहादुर थापा का कहना है कि भारत के साथ बातचीत करने के लिए मुद्दों की कमी नहीं है। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध महत्वपूर्ण मुद्दा है जो कि 'अभी संतोषजनक नहीं है।' थापा का कहना है कि भारत और नेपाल के बीच कई द्विपक्षीय मुद्दे, परियोजनाएं एवं पिछले समय में हुए करार हैं जो अभी अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाए हैं। ऐसे में देउबा की यह यात्रा भारत और नेपाल को अपनी प्रतिबद्धताओं एवं प्रयासों में नई जान फूंकने का एक मौका देगी।