- शिंदे गुट संजय राउत पर शिवसेना को खत्म करने का आरोप लगाता है।
- ईडी 1,034 करोड़ रुपये के पात्रा चॉल भूमि घोटाला मामले में संजय राउत की भूमिका की जांच कर रहा है।
- अपने बयानों को लेकर संजय राउत हमेशा से सुर्खियों में रहे हैं।
Sanjay Raut and Uddhav Thackeray Relation: महाराष्ट्र के सियासी संकट में उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) और एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) के बीच, एक तीसरा चेहरा ऐसा है जो हर वक्त सुर्खियों में रहता है। कभी वह अपने बयानों को लेकर तो कभी बागी विधायक की नाराजगी के कारण तो कभी ईडी (ED) से मिले समन के कारण चर्चा में रहते हैं। हम बात शिवसेना नेता और राज्य सभा सांसद संजय राउत (Sanjay Raut) की कर रहे हैं । राउत लंबे समय से उद्धव ठाकरे की आवाज बने हुए हैं। और उनकी उद्धव से करीबी और बढ़ती हैसियत शिंदे गुट के बागियों की नाराजगी की एक बड़ी वजह भी बनी है। ऐसे में सवाल उठता है कि संजय राउत उद्धव के इतने खास क्यों हैं ?
बयानों को लेकर चर्चा में
- संजय राउत हमेशा से अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहते हैं। और इसकी बानगी महाराष्ट्र के सियासी संकट में भी दिखती है। हाल ही में उनका बयान काफी चर्चा और विवादों में रहा, जिस पर उन्हें सफाई भी देनी पड़ी। उन्होंने कहा कि यह जो 40 लोग वहां हैं, वे बिना आत्मा के जिंदा लाशों के समान हैं। ये मुर्दे हैं, उनका शरीर यहां आएंगा लेकिन आत्मा मर चुकी होगी। 40 लोग जब मुंबई उतरेंगे तब वे मन से जिंदा नहीं रहेंगे। उन्हें पता है कि यहां आग लगी हुई है।
- इसी तरह उन्होंने कहा कि जब मै गुवाहाटी के रेडिसन ब्लू होटल की तस्वीरें देखता हूं तो बिग बॉस घर जैसा लगता है। लोग खा-पी रहे हैं और खेलकूद रहे हैं। इनमें से आधे साफ हो जाएंगे। कब तक आप गुवाहाटी में छिपोगे, कभी तो वापस चौपाटी आना पड़ेगा।
- इसी तरह हनुमान चालीसा विवाद में निर्दलीय सांसद नवनीत राणा को लेकर उनके बयान सुर्खियों में रहे थे।
बागी गुट ने बताया एनसीपी का करीबी
शिवसेना के बागी विधायक दीपक केसरकर ने संजय राउत को बारे में कहा है कि वह राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के नीली आंखों वाले लड़के हैं। उन्होंने कहा कि जब 2019 में महाराष्ट्र में शिवसेना-भाजपा सरकार का गठन महज औपचारिकता थी, तो वह सक्रिय हो गए। और अब एक मजबूत राकांपा नेता के आशीर्वाद के साथ और वह भगवा पार्टी को खत्म करने के लिए तैयार हैं। जाहिर है केसरकर संजय राउत पर यह आरोप लगा रहे हैं कि शिवसेना में फूट की एक बड़ी वजह संजय राउत हैं। उन्होंने सार्वजनिक रूप से लिए गए पत्र में कहा है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि संजय राउत को लोगों ने नहीं चुना है, हमारी पार्टी को खत्म करने के लिए तैयार हैं। राउत की सलाह पर शिवसेना चलाई जा रही है और वह भी उन (केसरकर) जैसे लोगों को अलग-थलग करने की कीमत पर जो कई बार चुन कर आ चुके हैं।
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भाजपा से गठबंधन तोड़ने और उद्धव को CM बनाने में अहम भूमिका
जब 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा और शिवसेना गठबंधन को बहुमत मिला, उसके बाद यह किसी ने कयास नहीं लगाया था कि दोनों दलों की 35 साल की दोस्ती टूट जाएगी। और कट्टर हिंदूत्व छवि वाली शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी से हाथ मिला लेंगी। लेकिन इस दोस्ती के टूटने और उद्धव ठाकरे को सीएम की कुर्सी के लिए राजी करने में संजय राउत की अहम भूमिका रही है।इसके अलावा संजय राउत के केवल शरद पवार से भी अच्छे संबंध हैं। और यही कारण था 56 सीटों के साथ शिवसेना का 54 सीटों वाली एनसीपी और 44 सीटों वाली कांग्रेस के साथ न केवल गठबंधन हो सका, बल्कि उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद भी आसानी से मिल सका।
उद्धव के ऐसे आए करीब
पेशे से पत्रकार संजय राउत शिवसेना के मुखपत्र सामना के कार्यकारी संपादक भी है। और बाल ठाकरे के समय से सामना का कार्यभार संभाल रहे हैं। इसके साथ ही जब राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के बीच दूरियां हुई तो संजय राउत ने उद्धव ठाकरे का साथ दिया। इस कारण भी वह उद्धव ठाकरे और उनके बेटे आदित्य ठाकरे के भी करीबी है।और 2019 में महाविकास अघाड़ी सरकार बनने के बाद से, महाराष्ट्र में भाजपा विरोध का चेहरा भी बन गए।
ईडी कर रहा है जांच
ईडी 1,034 करोड़ रुपये के पात्रा चॉल भूमि घोटाला मामले में संजय राउत की भूमिका की जांच कर रहा है। इसी के तहत बीते अप्रैल में राउत के अलीबाग स्थित 8 प्लॉट और मुंबई के दादर स्थित एक फ्लैट को ईडी ने अटैच कर दिया था। अब इसी मामले में पड़ताल के लिए संजय राउत को ईडी ने एक जुलाई को पेश होने के लिए समन भेजा है।