राष्ट्रवाद में आज बात बिहार की यूनिक राजनीति की, जहां, मुख्यमंत्री नहीं बदलता है सिर्फ मुख्यमंत्री को समर्थन देने वाले दल बदल जाते हैं। जो नेता एक दिन पहले विपक्ष में होते हैं वो अचानक सरकार के साथ खड़े हो जाते हैं। नए मंत्रियों की लिस्ट बन जाती है। और नई सरकार बनने की शुरुआत हो जाती है लेकिन मुख्यमंत्री नहीं बदलते हैं, वो नीतीश कुमार ही बने रहते हैं।
नीतीश कुमार का बड़ा GAME या GAME OVER ?
'चाचा-भतीजे' की सरकार..कितने दिन CM नीतीश कुमार ?
2024 में मोदी के सामने PM के दावेदार होंगे नीतीश कुमार?
नीतीश कुमार ने नरेन्द्र मोदी का काम बना दिया
एक हाथ इस्तीफा और दूसरे हाथ से नई सरकार बनाने का दावा भी पेश कर दिया गया। नीतीश कुमार ने आरजेडी, कांग्रेस और लेफ्ट के समर्थन वाले 160 विधायकों के समर्थन का पत्र भी सौंप दिया। राज्यपाल से मिलने के बाद नीतीश कुमार मीडिया के सामने आए, और सिर्फ इतना कहा कि मैंने इस्तीफा दे दिया। सभी की राय थी कि NDA छोड़ दिया जाए, आगे बताएंगे कि बीजेपी से क्या परेशानी थी
राज्यपाल को इस्तीफा सौंपने के बाद नीतीश कुमार सीधे आरजेडी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देव के आवास पर पहुंचे। यहां पहले से आरजेडी, कांग्रेस और लेफ्ट के नेता मौजूद थे। नीतीश कुमार की इन नेताओं के साथ मुलाकात हुई। जहां फिर से नीतीश कुमार के सीएम बनने पर सहमति की मुहर लग गई। बैठक में ये भी तय हुआ कि तेजस्वी यादव डिप्टी सीएम होंगे। इस बैठक में नीतीश कुमार ने कहा कि 2017 में जो हुआ उसे भूल जाएं, अब नया अध्याय शुरू करेंगे।
देख रहा है ना विनोद...नीतीश सबके हैं...बिहार की राजनीति पर मजेदार मीम्स की बौछार
ऐसा कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार अभी तो मुख्यमंत्री बने रहेंगे लेकिन 2024 में वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने विपक्ष के प्रधानमंत्री का चेहरा होंगे। अगर ऐसा होता है तो-
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रखेखर राव और अब नीतीश कुमार । एक ओर ये 4 लोग होंगे। दूसरी ओर अकेले नरेंद्र मोदी। तो क्या नीतीश कुमार के एक और पीएम कैंडिडेट बन जाने से विपक्ष में आपसी लड़ाई तेज हो जाएगी। जो बीजेपी के लिए फायदेमंद होगा।
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अब 2014 का आंकड़ा देख लेते हैं। जब नीतीश कुमार, बीजेपी और आरजेडी अलग-अलग लड़े थे। तो किसी पार्टी को कितने वोट मिले थे।
JDU को 15.80% वोट मिले थे, और सीट- 2
RJD को 20.10% वोट मिले थे और सीट- 4
CONG को 8.40% वोट मिले थे और सीट- 2
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सब मिलाकर कुल वोट प्रतिशत - 44.30% होता है लेकिन गठबंधन की स्थिति में ऐसा ही होगा । ये मुश्किल है।
इसी तरह से 2014 में
BJP को 29.40% वोट मिले थे, और सीट-22
LJP को 6.40% वोट मिले थे और सीट- 6
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कुल मिलकर ये - 35.80%
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इन आंकड़ों में बीजेपी पीछे दिख रही लेकिन लोकसभा चुनाव में जब चेहरा नरेंद्र मोदी होते हैं। तो नतीजे बदल जाते हैं। यूपी में ये देखा चुका है।
अब नीतीश कुमार का एक पुराना बयान सुनवाता हूं। 2013 में जब नीतीश कुमार ने बीजेपी से गठबंधन तोड़ा था तो कहा था कि मिट्टी में मिल जाउंगा लेकिन आपके साथ नहीं जाउंगा लेकिन 2017 में नीतीश कुमार एक बार फिर बीजेपी के साथ चले गए थे।