नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार को कहा कि वह वर्चुअल कोर्ट की सुनवाई (Virtual court hearing) को मौलिक अधिकार (Fundamental right) घोषित करने की मांग वाली याचिका पर जुलाई में सुनवाई करेगा। जस्टिस एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली बैंच ने मामले में तत्काल लिस्टिंग देने से इनकार कर दिया क्योंकि कहा गया कि अदालत के समक्ष कई मामले हैं। कोर्ट ने कहा कि वह जुलाई में लिस्ट करेगा। इस मामले का जिक्र सीनियर वकील सिद्धार्थ लूथरा ने किया। शीर्ष अदालत द्वारा विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई के अधिकार के रूप में वर्चुअल सुनवाई की मांग की जा रही थी।
ऑल इंडिया एसोसिएशन ऑफ ज्यूरिस्ट्स एंड एडवोकेट्स द्वारा दायर देश भर के करीब 5,000 वकीलों का प्रतिनिधित्व करते हुए संगठन ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा वर्चुअल कोर्ट के कामकाज को समाप्त करने वाले प्रशासनिक आदेश पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है। आदेश में कहा गया है कि वकीलों को अपने मामलों का संचालन केवल फिजिकल मोड के माध्यम से करें।
सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर याचिका, वकील सिद्धार्थ आर गुप्ता द्वारा तैयार की गई थी, और एओआर (एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड) श्रीराम परकट, और पत्रकार और ऑनलाइन कानूनी संवाददाता, स्पर्श उपाध्याय के माध्यम से दायर की गई है। याचिका में वर्चुअल कोर्ट सुनवाई को मौलिक अधिकार घोषित करने और सभी हाईकोर्ट में वर्चुअल सुनवाई जारी रखने का निर्देश देने की मांग की गई है। याचिका में विशेष रूप से उत्तराखंड हाईकोर्ट के 24 अगस्त से पूर्ण फिजिकल कामकाज पर लौटने के फैसले को चुनौती दी गई थी ताकि सुनवाई के वर्चुअल मोड को बाहर रखा जा सके।
याचिका भारत के संविधान के भाग III के तहत गारंटीकृत मौलिक अधिकार के रूप में वकील और क्लाइंट दोनों द्वारा 'वर्चुअल कोर्ईट तक पहुंच' की घोषणा की एक महत्वपूर्ण याचिका दायर की। जिसे हाईकोर्ट के प्रशासनिक आदेश में आकस्मिक और सरसरी तौर पर समाप्त नहीं किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर याचिका में कहा गया है।