- गत 2 अप्रैल को राजस्थान के करौली में हुआ दंगा, हिंदुओं के जुलूस पर हमला हुआ
- इस हिंसा मामले का मुख्य आरोपी मतलूब अहमद को बताया गया, अभी वह फरार है
- टाइम्स नाउ नवभारत ने मतलूब के बारे में उससे जुड़े किरदारों के जरिए खुलासे किए हैं
राजस्थान के करौली में 2 अप्रैल को हुए दंगे का मुख्य आरोपी मतलूब अहमद अभी पकड़ा नहीं गया है। वह राजस्थान पुलिस की पकड़ से अभी भी बाहर है। इस हिंसा के 27 दिन बीत गए हैं लेकिन मुख्य आरोपी तक गहलोत सरकार की पुलिस अब तक नहीं पहुंच पाई है। सवाल है कि आखिरकार मतलूब पुलिस के पकड़ में क्यों नहीं आ रहा है। क्या वह राजस्थान से बाहर निकल चुका है? क्या वह पड़ोसी तीन राज्यों में छिपा है? या देश छोड़कर नेपाल भाग चुका है।
करौली दंगा मामले के मुख्य आरोपी मतलूब को ढूंढते-ढूंढते टाइम्स नाउ नवभारत की स्पेशल इन्वेस्टिगेटिंग टीम उस तक तो नहीं लेकिन उसके करीबियों तक पहुंच गई। मतलूब के करीबियों ने टाइम्स नाउ नवभारत को उसके बारे में कई राज उगले हैं।
मतलूब से जुड़े 3 किरदारों ने किए खुलासे
चैनल का यह खुलासा दो अप्रैल को हुई हिंसा में मतलूब की भूमिका एवं उसकी साजिश से परदा उठाएगा। आप यह जान सकेंगे कि वह दंगे में कैसे शामिल था, वह फोन पर किससे बात करता था। वह कैसे फरार हो गया। वह कहां छिपा है, वह पुलिस की पकड़ में क्यों नहीं आ रहा है? बाहर से उसकी मदद कौन कर रहा है, ये सारी कहानी टाइम्स नाउ नवभारत के इस खुलासे से बाहर आ जाएगी।
ऑपरेशन 'मतलूब की खोज' से कई बातें सामने आईं
करौली हिंसा के आरोपी मतलूब से जुड़े तीन किरदारों ने बताया है कि वह कहां छिपा है। इन किरदारों ने छिपे हुए कैमरे पर बताया है कि मतलूब कहां छिपा हो सकता है। टाइम्स नाउ नवभारत की स्पेशल इंवेस्टिगेटिव टीम मतलूब का ठिकाना ढूंढते-ढूंढते इन किरदारों तक पहुंची। चैनल यह उम्मीद करता है कि उसके इस खुलासे के बाद राजस्थान पुलिस हरकत में आएगी और मतलूब को गिरफ्तार करेगी। ऑपरेशन 'मतलूब की खोज' ऑपरेशन का पहला किरदार दंगाई मतलूब का करीबी दोस्त है। दूसरा किरदार मतलूब के दोस्त का जानकार और तीसरा राजस्थान का एक पुलिसवाला है।
किरदार ने बताया-मतलूब की आर्थिक हालत ठीक नहीं थी
मतलूब के करीबी दोस्त इस पहले किरदार ने मतलूब से जुड़े ठिकानों के बारे में बताया। संवाददाता भंवर पुष्पेंद्र के इस सवाल पर कि वह मतलूब को कैसे जानता है। इस सवाल पर पहले किरदार ने बताया कि मतलूब उसके छोटे भाई का दोस्त रहा है। शुरुआत में दोनों ने दुकान का काम एक साथ शुरू किया था। उसकी भी उससे मुलाकात हुई थी। उससे 8-10 साल से पहचान है।
'मतलूब के पिता सरल व्यक्ति थे'
संवाददाता पुष्पेंद्र के दूसरे सवाल पर कि मतलूब की आर्थिक हालत पहले ठीक नहीं थी। इस बारे में किरदार ने कहा कि ये बिल्कुल सच्चाई है कि मतलूब आम आदमी की तरह रहता था। उसकी आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं थी। उसके पिता बहुत सहज और सरल थे। उसके पिता भाजपा के कार्यकर्ता थे। मतलूब के बारे में दूसरे और तीसरे किरदार ने भी हिंसा से जुड़े कई चौंकाने वाले और आरोपी मतलूब के बारे में सनसनीखेज खुलासे किए।