- देश में कोरोना की वजह से लगातार बिगड़ रहे हैं हालात
- बीते चौबीस घंटे के दौरान नए मामलों और मौत के आंकड़ों ने बनाया नया रिकॉर्ड
- अस्पतालों से लेकर टेस्टिंग और श्मशान तक में है वेटिंग
नई दिल्ली: पूरे देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर बेहद खतरनाक रूप ले चुकी है। स्वास्थ्य व्वस्थाएं पूरी तरह चरमरा गई हैं और लोगों को अस्पताल से लेकर श्मशान तक में इंतजार करना पड़ रहा है जिससे आप खुद इस भयावह स्थिति का अंदाजा लगा सकते हैं। वहीं दूसरी तरफ बंगाल में चुनाव को लेकर प्रचार अभियान जोरों हैं। ऐसे में कई ऐसे सवाल हैं जो अनुत्तिरत हैं। बीते चौबीस घंटे में कोरोना की वजह से देश में अभी तक एक दिन में सर्वाधिक 1341 लोगों की मौतें हुई हैं।
कब रूकेंगे आंकड़े
बदतर होते हालात में तमाम इंतजाम भी कम दिखाए दे दे रहे हैं। देश के विभिन्न हिस्सों से ऐसी तस्वीरें और वीडियो सामने आए हैं जहां अस्पताल में बेड नहीं मिलने से मरीज की मौत हुई है या फिर ऑक्सीजन नहीं मिलने से लोगों ने अपने प्रियजनों को खो दिया है। कई प्रमुख अस्पतालों में ओपीडी की सुविधाएं बंद कर दी गई हैं। नए मामले हर दिन रिकॉर्ड बना रहे हैं बीते चौबीस घंटे में तो 2.34 लाख नए मामले सामने आए हैं जो अब तक के सर्वाधिक मामले हैं। ऐसे में सवाल है कि आखिर ये आंकडे अब कहां जाकर रूकेंगे।
नाकाफी साबित हो रहे हैं प्रयास
ऐसे समय में जहां एक तरफ कोरोना महामारी की वजह से लोगों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है वहीं कई प्रमुख आयोजनों पर प्रतिबंध लगा दिए गए हैं। संक्रमण से सर्वाधिक प्रभावित राज्यों में कोई भी राज्य सरकार ऐसी नहीं है जो दावे से कह सकती है कि उसने हालात कंट्रोल कर लिए हैं। गौर करने वाली बात ये हैं कि देश में कुल टेस्ट के मुकाबले पॉजिटिविटी रेट भी कई गुना बढ़ रहा है। बीते चौबीस घंटे में जहां 1495397 टेस्ट हुए और सामने आए 2.32 लाख केस, तो समझिए कि संक्रमण कितनी रफ्तार से फैल रहा है।
अस्पताल तो छोड़िए टेस्ट तक के लिए है वेटिंग
कोरोना मरीजों को अस्पतालों में बेड मिलना तो मुश्किल हो ही रहा है लेकिन जिन लोगों में हल्के लक्षण हैं और वो घर पर परीक्षण कराना चाहते हैं तो उसके लिए भी महानगरों में वेटिंग है। खुद नोएडा और गाजियाबाद जैसे शहरों में सैंपल कलेक्शन के लिए 3-4 दिनों की वेटिंग है और लोग सोशल मीडिया के जरिए अर्जेंट टेस्ट की मदद की गुहार लगा रहे हैं।
कैसे काबू में होंगे हालात
ऐसे में जब हालात बेकाबू हो चुके हैं और स्वास्थ्य व्यवस्थाएं बुरी तरह चरमरा गई हैं, तो सवाल उठता है कि हालात किस तरह से काबू में होंगे। फिलहाल जो नजर आ रहा है उससे तो यही नजर आता है कि लोग जरूरी हों तो तभी घर से बाहर निकलें और मास्क जरूर पहनें। लोगों के लिए दिक्कतें तो होंगी लेकिन कहते हैं ना कि जान हैं तो जहांन है, इसलिए लोगों को अपना ध्यान खुद रखना होगा। अगर जनता खुद कर्फ्यू लगा दे तो काफी हद तक हालात पर काबू पाया जा सकता है।