- देश के विभिन्न जेलों में करीब 4.78 लाख कैदी बंद हैं। इसमें से करीब एक लाख महिलाएं हैं।
- 50 साल से ज्यादा की उम्र की महिला और ट्रांसजेंडर कैदी रिहाई के लिए पात्र होंगे।
- 60 साल की उम्र से ज्यादा के पुरूष और ऐसे दिव्यांग कैदी जिन्होंने अपनी आधी सजा काट ली है, उन्हें भी रिहाई का मौका मिल सकता है।
Azadi ka Amrit Mahotsav: देश के अलग-अलग जेलों में बंद महिला, ट्रांसजेंडर और दूसरे कैदियों के लिए अच्छी खबर है। केंद्र सरकार आजादी की 75 वीं वर्षगांठ के मौके पर मनाए जा रहे आजादी के अमृत महोत्सव में हजारों महिला, ट्रांसजेंडर को रिहा करने की तैयारी कर रही है। यानी सरकार उनकी सजा को माफ कर देगी। इस संबंध में गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को पत्र लिखकर पात्र कैदियों को रिहा करने को कहा है। कैदियों की रिहाई तीन चरणों में की जाएगी। पहले चरण में कुछ कैदी 15 अगस्त 2022 को छोड़े जाएंगे। जबकि दूसरे चरण में कैदी 26 जनवरी 2023 और तीसरे चरण में कैदी 15 अगस्त 2023 को रिहा किए जाएंगे।
किन कैदियों को छोड़ने की है तैयारी
- गृह मंत्रालय की योजना के अनुसार 50 साल से ज्यादा की उम्र की महिला और ट्रांसजेंडर कैदी रिहाई के लिए पात्र होंगे। इसके अलावा 60 साल की उम्र से ज्यादा के पुरूष और ऐसे दिव्यांग कैदी जिन्होंने अपनी आधी सजा काट ली है, उन्हें भी रिहाई का मौका मिल सकता है।
- इसी तरह ऐसे गरीब कैदी जिन्होंने अपनी सजा पूरी कर ली है लेकिन जुर्माना नहीं अदा करने के कारण जेल में हैं, उन्हें भी रिहा किया जाएगा और उनके जुर्माने को माफ कर दिया जाएगा।
- इसके अलावा ऐसे अपराधी जिन्होंने 18-21 साल की युवा उम्र में अपराध किया और उन्होंने अपनी आधी सजा पूरी कर ली है, साथ ही उन पर कोई और क्रिमिनल मामला नहीं है, उनकी विशेष रिहाई पर विचार किया जाएगा।
- पात्रता की शर्त में एक बात यह भी रखी गई है जो कैदी पात्रता की शर्तों को पूरा करेंगे, उनके पिछले तीन साल के व्यवहार को भी देखा जाएगा। जिसमें यह देखा जाएगा कि कैद के दौरान उनका व्यवहार लगातार अच्छा रहा है या नहीं और उन्हें तीन साल में कोई सजा नहीं मिली हो।
हालांकि यह योजना उन कैदियों पर नहीं लागू होगी जो किसी की हत्या करने, बलात्कार करने, आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने, दहेज के लिए हत्या करने और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में सजा काट रहे हैं। इसके अलावा जिन कैदियों को एक्स्पलोसिव एक्ट, राष्ट्रीय सुरक्षा कानूनी, ऑफिशियल सिक्रेट्स एक्ट, एंटी हाइजैकिंग कानून और मानव तस्करी के अपराध के तहत सजा मिली है, वह भी रिहाई के लिए पात्र नहीं होंगे।
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जेलों में 4.78 लाख कैदी
कैदियों की रिहाई पर राज्य स्तर पर गठित स्क्रीनिंग कमेटी फैसला करेगी। जिसमें वरिष्ठ पुलिस और सिविल अधिकारी शामिल होंगे। साल 2020 के अनुमान के अनुसार देश के विभिन्न जेलों में करीब 4.78 लाख कैदी बंद हैं। इसमें से करीब एक लाख महिलाएं हैं। जबकि जेलों की क्षमता केवल 4.03 लाख कैदियों को रखने की है।