- जल संकट को रोकना देश के सामने है अहम चुनौती
- जल संकट से जूझ रहे भारत में लगातार गहराता जा रहा है संकट
- पानी की खपत की दृष्टि से विश्व में भारत का दूसरा स्थान है
नई दिल्ली: पूरे विश्व में 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य पानी के महत्व को उजागर करना और दुनिया के सामने आने वाले जल संकट के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। संयुक्त राष्ट्र (यूएन) वेबसाइट के अनुसार, इस दिन का मुख्य फोकस '2030 तक सभी के लिए सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) 6: पानी और स्वच्छता की उपलब्धि का समर्थन करना है।' भारत में पानी की उपलब्धता लगातार कम हो रही है। पानी की खपत की दृष्टि से विश्व में भारत का दूसरा स्थान है लेकिन दूसरी तरफ भूजल का दोहन भी उतनी तेजी से हो रहा है।
विश्व का इतिहास
विश्व जल दिवस मनाने का संकल्प पहली बार संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 22 दिसंबर 1992 में रियो डि जेनेरियो में आयोजित पर्यावरण तथा विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCED) में लिया गया था। विश्व में जिस तरह से लगातार पानी का संकट गहराता जा रहा है ऐसे में आने वाले समय चुनौतियां और बढ़ सकती हैं। यहां तक कई विद्धानों का कहना है कि अगला विश्व युद्ध पानी को लेकर होगा। ऐसे हालात में हम सबके सामने असर चुनौती भविष्य की है।
विश्व जल दिवस 2021 का थीम
विश्व जल दिवस 2021 की थीम 'वैल्यूइंग वाटर' है जिसका उद्देश्य हमारे दैनिक जीवन में पानी के मूल्य को रेखांकित करना है। पानी ही जीवन का आधार है जिससे कोई इनकार नहीं कर सकता है। जिस तरह से अब प्राकृतिक संसाधनों का दोहन हो रहा है उससे साफ है कि भविष्य में संकट और गहरा सकता है। पूरे विश्व में साफ पानी का धनी देश ब्राजील को माना जाता है। ब्राजील में 8647 अरब क्यूबिक मीटर पानी उपलब्ध है। विश्व में पानी की उपलब्धता को लेकर भारत का आठवां स्थान है।
क्लाइमेट चेंज और बढ़ती जनसंख्या तथा जल स्त्रोतों के अत्यधिक दोहन की वजह से भूजल का स्तर लगातार कम होता जा रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत विश्व के कुल भूजल का 24 फीसदी इस्तेमाल करता है। कई महानगरों में जिस तरह से जल स्तर कम हो रहा है उससे भविष्य में संकट और गहरा हो सकता है। गौर करने वाली बात ये है कि धरती का करीब तीन चौथाई हिस्सा पानी पानी से भरा हुआ है,लेकिन इसमें से सिर्फ तीन फीसदी हिस्सा ही पीने योग्य है।