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Year 2021 : 'सारे जहां से अच्छा', वे 5 बातें जो हर भारतीय को बनाती हैं गर्वीला 

Updated Dec 31, 2020 | 16:54 IST

भारत में आम चीजों के बीच कुछ खास बातें भी हैं जो देश के नागरिकों को गर्वीला महसूस कराती हैं। यहां हम उन कुछ खास बातों को जिक्र करेंगे जिनके बारे में सोचकर हर भारतीय गर्व का अनुभव करता है। 

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तस्वीर साभार:&nbspPTI
वे 5 बातें जो हर भारतीय को बनाती हैं गर्वीला।

नई दिल्ली : साल 1984 में राकेश शर्मा ने जब अंतरिक्ष से भारत को 'सारे जहां से अच्छा' बताया होगा तब उनके मन में देश की जो तस्वीर बनी होगी वह अद्भुत और आनंद से भर देने वाली रही होगी। हर एक व्यक्ति अपने देश की मिट्टी, अपने लोगों और अपने परिवेश से प्रेम करता है। जीवन की छोटी-बड़ी घटनाएं उसे प्रभावित करती हैं और जीवन के अनुभवों से वह किसी चीज के बारे में अपनी राय बनाता है। वह जरूरी भी नहीं कि किसी की निजी राय से हर व्यक्ति सहमत हो लेकिन किसी चीज को यदि खास या विशेष कहा जाता है तो उसके पीछे कुछ अच्छाई होती है। उसमें जीवन को बेहतर बनाने या बेहतर भविष्य की संकल्पना दिखती है। भारत में आम चीजों के बीच कुछ खास बातें भी हैं जो देश के नागरिकों को गर्वीला महसूस कराती हैं। यहां हम उन कुछ खास बातों को जिक्र करेंगे जिनके बारे में सोचकर हर भारतीय गर्व का अनुभव करता है। 

विविधता में एकता
भारत की सबसे बड़ी विशेषता उसकी विविधता में एकता है। जीवन के अलग-अलग तरह के रंग इसे खास बनाते हैं। पूर्व से लेकर पश्चिम और उत्तर से लेकर दक्षिण तक देश में रीति-रिवाजों, धर्म, भाषा और पहनावे की विविधता कहीं और नहीं मिलेगी। एक छोर से दूसरे छोर पर जाने पर लगेगा कि आप किसी दूसरे देश में आ गए हैं। इन विविधताओं को बावजूद आपको कहीं पर भी अलगाव या अजनबीपन की भावना नहीं आएगी। एकता की भावना सभी को एक सूत्र में बांधे रहती है। 

व्यक्तिगत आजादी
भारत में हर व्यक्ति को अपनी रुचि एवं इच्छा के अनुसार अपना जीवन जीने की आजादी है। खाने-पीने से लेकर पहनावे तक यहां किसी तरह की रोक-टोक नहीं है। व्यक्ति अपनी इच्छा के अनुसार अपना जीवन जीने के लिए स्वतंत्र है। यहां व्यक्ति के अधिकारों की सुरक्षा संविधान भी करता है। देश में थोपने वाली चीजें या प्रतिबंध भारतीय जनमानस स्वीकार नहीं करता है। समय के साथ जीवन का तारतम्य बिठाने की सोच और कट्टरता की जगह लचीलापन अपनाने का भारतीय दर्शन लोगों को खुशहाल जीवन शैली का मार्ग प्रशस्त करता आया है। 

संकट के समय सब एक
देश में जब भी संकट का समय आता है पूरा देश एक हो जाता है। संकट के समय विविधताओं के बीच एकता का यह सुर भारत को एक नई ताकत एवं प्रतिकूलताओं पर विजय पाने की प्रेरणा देता आया है। पाकिस्तान और चीन के साथ युद्ध की बात हो या प्राकृतिक आपदाओं या हादसों की बात, इन कठिन समयों में लोग एक-दूसरे के साथ खड़े नजर आए हैं। लोगों ने देश को कभी कमजोर महसूस नहीं होने दिया। आपसी सुख-दुख में भागीदारी की भावना प्रत्येक भारत वासी को गर्व का अनुभव कराती है। 

सेना का शौर्य एवं पराक्रम
हर देश की अपनी एक सेना होती है जो बाहरी आक्रमण से उसकी रक्षा करती है लेकिन भारत की सेना की अपनी एक विशेष पहचान है जो उसे अन्य देशों की फौज से एक कदम आगे खड़ा कर देती है। यह भावना मानवीय सोच एवं नजरिए की है। दुश्मन के साथ भी मानवीय रवैया भारतीय सेना को खास बनाता है। दुश्मन देश के सैनिक को भी वह सम्मान देती आई है। कारगिल युद्ध में पाकिस्तान के सैकड़ों सैनिक मारे गए थे और अपने सैनिकों को पाक फौज ने लेने से इंकार कर दिया था। इसके बाद सेना ने पाकिस्तानी सैनिकों को सम्मान के साथ उन्हें दफनाया था। भारतीय सेना की इस भावना ने सभी देशवासियों को गर्व से भर दिया। यहीं नहीं, प्राकृतिक आपदाओं (बाढ़, सुनामी) के समय भारतीय सेना लोगों की मदद के लिए हमेशा आगे रही है। 

'वसुधैव कुटुम्बकम' की भावना 
भारत केवल अपने बारे में नहीं सोचता, वह सभी और समस्त धरती के बारे में सोचता है। 'वसुधैव कुटुम्बकम' की भावना ने भारतीय सोच को विकसित किया है। भारत पूरी दुनिया को अपना परिवार मानता है। सभी के हित के बारे में सोचता है। भारत कभी हिंसा में विश्वास नहीं करता। यहां तक कि वनस्पतियों में भी शांति की कामना की गई है। कोरोना सहित अन्य वैश्विक चुनौतियों के समय भारत दुनिया की मदद के लिए आगे आता रहा है। जलवायु परिवर्तन हो या आतंकवाद का मुद्दा, इन मसलों पर भारत ने मुखर रूप से अपनी आवाज उठाई है और बेहतर दुनिया के भविष्य की रूपरेखा रखी है। भारत कभी अपनी वैश्विक जिम्मेदारियों से पीछे नहीं हटा है। 

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