- एक महामारी ने बदल दिया जिदंगी जीने का तरीका, उबरने की राह पर चलने की शुरुआत हुई
- साल के मध्य में जहां कोरोना ने कहर ने लाखों जिदंगियां छीनी तो सितंबर में वैक्सीनेशन ने तोड़ दिए सारे रिकॉर्ड
- ओमीक्रॉन की दस्तक से सुनाई दे रही है तीसरी लहर की आहट
नई दिल्ली: 2021 का साल यकीनन, मानव जाति के इतिहास में सबसे कठिन वर्षों में से एक रहा। भारत के लिए तो यह साल कई मोर्चों पर दुखद खबरें लेकर आया। जहां कोरोना की दूसरी लहर ने लाखों जिदंगियों को छीन लिया वहीं अस्पताल के बेड और ऑक्सीजन के अभाव में ना जाने कितने लोग असमय मौत के गाल में समा गए। किसी की व्यक्तिगत राय जो भी हो लेकिन इस संकट ने विश्व के नेताओं के सामने चुनौती पेश कर दी।
जब सामने आए एक दिन में चार लाख से अधिक मामले
दूसरी लहर में अप्रैल मध्य के बाद ऐसा कहर बरपा की अस्पतालों में बेड से लेकर दवा और ऑक्सीजन तक की किल्लत हो गए। 1 मई को देश में सबसे अधिक चार लाख से ज्यादा मामले सामने आए। एक मई को देश में 4,01,993 नए मामले आए तो 3523 लोगों की मौत हो गई। वहीं 18 मई को देश में एक दिन में मौत के रिकॉर्ड टूट गए और सर्वाधिक 4,329 लोगों को कोविड की वजह से अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। इस लहर में सर्वाधिक प्रभावित हुए युवा, जिन्हें अपनी जान से हाथ धोना पड़ा।
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सरकारी पैकेज
इस लहर की वजह से लाखों मौतें हुई तो लाखों की संख्या में लोगों को नौकरी से भी हाथ धोना पड़ा। सबसे ज्यादा जो तबका प्रभावित हुआ वो मध्यम और निम्न वर्ग का तबका। सरकार ने बाद में राहत पैकेज का ऐलान किया जिसके तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा की और गरीब तबके लिए राशन मुफ्त मुहैया कराया। इसके बाद धीरे-धीरे कोविड के मामले में कमी आई तो लॉकडाउन के प्रतिबंधों में डील दी गई और आर्थिक गतिविधियां पटरी पर आईं।
जब वैक्सीनेशन अभियान ने बनाया रिकॉर्ड
भारत में कोविड का पहला मामला आने के लगभग एक वर्ष बाद, 16 जनवरी, 2021 को भारत में सबसे बड़े टीकाकरण अभियान की शुरुआत हुई। इसके बाद धीरे-धीरे वैक्सीनेशन अभियान ने रफ्तार पकड़ी और प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन यानि 17 सितंबर को तो वैक्सीनेशन ने विश्व रिकॉर्ड बना दिया। भारत ने एक ही दिन में 2 करोड़ 24 लाख वैक्सीन लगाकर नया रिकॉर्ड बना दिया जो आस्ट्रेलिया की पूरी आबादी के बराबर है।
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जिदंगी तो चलती रहती है, पर...
इस महामारी ने जहां लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया तो बाद में महामारी से उबरने की राह पर चलने का सिलसिला शुरू हो गया। इस महामारी ने लोगों की जिदंगी पूरी तरह बदल दी। लॉकडाउन, क्वारंटीन, सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क सैनिटाइजर जैसे शब्द तो रोजमर्रा की जिदंगी का हिस्सा बन गए। ऐसे समय जब ओमिक्रॉन वैरिएंट ने देश में दस्तक दे दी है तो हमारे लिए चुनौतियां और बढ़ गई हैं। हमें अभी लंबा रास्ता तय करना है और एक दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़तें रहें तो वो दिन दूर दिन जब इस महामारी से हम पार पा लेंगे।