- 1971 की लड़ाई में पाकिस्तान की हुई करारी हार, बांग्लादेश का जन्म हुआ
- भारतीय सेना के शौर्य एवं पराक्रम के आगे पाक सेना ने अपने घुटने टेक दिए
- युद्ध में पाक सेना का मनोबल टूट चुका था, जंग छोड़कर भागने लगे थे उसके सैनिक
नई दिल्ली : पाकिस्तान के खिलाफ जीत के 50 साल पूरे होने का जश्न दिल्ली से ढाका तक मन रहा है। आज के ही दिन 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान की 93,000 सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने सरेंडर किया था। इसके साथ ही दुनिया के नक्शे पर बांग्लादेश का जन्म हुआ। बांग्लादेश को एक देश के रूप में मान्यता देने वाला भारत दुनिया का पहला देश थे। तीन दिसंबर से 16 दिसंबर तक चली लड़ाई की कीमत पाकिस्तान को बांग्लादेश के रूप में चुकानी पड़ी। इस लड़ाई में भारतीय सेना ने अपने शौर्य, पराक्रम एवं रणनीति को लोहा दुनिया को मनवा दिया। पाकिस्तान पर मिली इस जीत पर भारत 'स्वर्णिम विजय दिवस' मना रहा है।
ढाका पहुंचे हैं राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद
वहीं, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद बांग्लादेश के स्वर्ण जयंती समारोह में भाग लेने के लिए ढाका पहुंचे हैं। ढाका में विजय दिवस मनाया जा रहा है और इस समारोह में राष्ट्रपति कोविंद को मुख्य अतिथि के रूप में बुलाया गया है। ढाका के नेशनल परेड ग्राउंड पर परेड का आयोजन किया गया है। ढाका के परेड ग्राउंड पर 'विजय दिवस' कार्यक्रम आयोजित हो रहा है।
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पीएम मोदी, राजनाथ सिंह ने शहीदों को दी श्रद्धांजलि
दिल्ली स्थित वॉर मेमोरियल पर आज सुबह रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 1971 के युद्ध के शहीदों को श्रद्धांजलि दी और विजय दिवस की याद में डाक टिकट जारी किया। कुछ देर बाद पीएम मोदी भी नेशनल वार मेमोरियल पहुंचे और शहीदों को भावभीनी श्रद्धांजलि दी। वह 'स्वर्णिम विजय मशाल' को प्रज्ज्वलित किया।