- कांग्रेस में घमासान:आखिर जितिन प्रसाद ने कांग्रेस क्यों छोड़ी?
- उत्तर प्रदेश के कई कद्दावर नेता छोड़ चुके हैं कांग्रेस, थाम चुके हैं बीजेपी का दामन
- विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी है बीजेपी, और भी चेहरे हो सकते हैं पार्टी में शामिल
देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस दिन ब दिन भारी संकट में फंसती जा रही है और इसकी शुरुआत हुई लोक सभा चुनाव 2014 से, जब कांग्रेस ने लोक सभा की 543 सीटों में से 44 सीट पाकर न्यूनतम का एक नया इतिहास रचा और 2019 में बढ़ोतरी तो हुई लेकिन सिर्फ 8 सीटों की यानी आंकड़ा 52 पर पहुंचा। उसके बाद से कांग्रेस में भगदड़ मची हुई है और अनगिनत कांग्रेसी नेता बीजेपी में शामिल हुए और अभी भी शामिल हो रहे हैं। यहाँ कुछ कांग्रेसी नेताओं का नाम लेना जरुरी होगा क्योंकि ये सब कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे हैं जिन्होंने लोक सभा चुनाव 2014 के बाद पार्टी छोड़ कर बीजेपी ज्वाइन कर ली। असम के हिमंता विश्व सरमा 2015 में कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए और आज वे असम के मुख्यमंत्री हैं। 2016 में अरुणाचल प्रदेश के प्रेमा खांडू कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए और आज की तारीख में वे भी अरुणाचल के मुख्यमंत्री हैं। 2020 में मध्य प्रदेश के ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए और आज वे बीजेपी के राज्य सभा सांसद हैं।
अब सवाल है जितिन प्रसाद का कि आखिर जितिन प्रसाद ने कांग्रेस क्यों छोड़ी ?
इसका जवाब स्वयं जितिन प्रसाद जून 9 , 2021 को बीजेपी ज्वाइन करने के बाद दिया। उन्हीं के शब्दों में 'मैं भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और सभी भाजपा नेताओं को धन्यवाद देता हूं। आज मेरे राजनीतिक जीवन का नया अध्याय शुरू हो रहा है। मेरा कांग्रेस से तीन पीढ़ियों का नाता रहा है। ये अहम निर्णय विचार और मंथन के बाद लिया है। सवाल ये नहीं है कि मैं किस दल को छोड़कर आ रहा हूं। सवाल ये है कि किस दल में जा रहा हूं और क्यों जा रहा हूं। कुछ सालों से महूसस किया है कि आज देश में असली मायने में कोई राजनीतिक दल है तो भाजपा है। अब केवल BJP ही देशहित में काम करने वाली पार्टी है। बाकी दल व्यक्ति विशेष और क्षेत्र के हो गए हैं। राष्ट्रीय दल के नाम पर देश में अगर कोई पार्टी है तो वह सिर्फ BJP है।'
पीयूष गोयल का बयान
दूसरी तरफ बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने क्या कहा ये भी जानना जरुरी है। उन्हीं के शब्दों में , 'आज जितिन प्रसाद हमारे बीच में हैं। ये उत्तर प्रदेश के नेता हैं। भाजपा की नीति और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रभावित होकर हमारी पार्टी में आ रहे हैं। ये कांग्रेस संगठन में कई पदों पर काम कर चुके हैं। मंत्री भी रहे हैं। जितिन प्रसाद ने बहुत छोटी आयु से उत्तर प्रदेश की सेवा में अपना पूरा जीवन झोंक दिया है। अभी भी मुझे याद है कि इनकी उम्र 27 वर्ष की थी, जब अचानक इनके पिता जी का देहांत हो गया था। तब ये मुंबई में काम करते थे। दिल्ली के श्रीराम कॉलेज से ये पढ़ाई कर चुके हैं। छोटी ही उम्र में परिवार को झटका लगा। इन्होंने छोटी आयु में भी उत्तरप्रदेश में दौरा किया। अलग-अलग जिलों में जाकर अपनी प्रतिभा और काम से लोगों का दिल जीता। शाहजहांपुर से सांसद बने। इन्होंने उत्तर प्रदेश की राजनीति में जो भूमिका निभाई, वो हम सबने देखी है।'
पाँच अहम सवाल
- पहला सवाल कि जितिन ने कांग्रेस क्यों छोड़ी इसका एक वाक्य में उत्तर ये है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का ही भविष्य नहीं है तो फिर जितिन का भविष्य क्या होगा ? ऐसी पार्टी में रहकर वे अपना भविष्य अंधकार में क्यों रखेंगे ? इसलिए अपने राजनितिक भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए ही जितिन बीजेपी में शामिल हुए हैं।
- अब दूसरा सवाल है कि जितिन के आने से बीजेपी को क्या फायदा होगा ? बीजेपी को एक सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि पार्टी पूरे उत्तर प्रदेश में घूम घूम कर जितिन को ब्राह्मणों के बीच बताएगी कि देखो बीजेपी में ब्राह्मण नेता की कितनी क़द्र की जा रही है और कांग्रेस इन्हें दोयम दर्जे का नेता बना दिया गया था। इसलिए इसमें कोई दो राय नहीं कि जितिन के आने से बीजेपी को फायदा ही होगा ना कि नुकसान।
- तीसरा सवाल कि उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण कार्ड के मायने क्या हैं और जितिन के साथ ब्राह्मण कार्ड क्यों जोड़ा जा रहा है। क्योंकि आज की तारीख में उत्तर प्रदेश में ब्राह्मणों का कोई कद्दावर नेता नहीं है वैसी स्थिति में जितिन प्रसाद अपने आपको ब्राह्मणों का नेता साबित करने में लगे रहे हैं। बल्कि कांग्रेस में रहते हुए जितिन प्रसाद ब्राह्मण चेतना मंच नाम से एक संगठन बनाकर ब्राह्मणों की राजनीति करते रहे हैं। उत्तराखंड और हिमाचल के बाद उत्तर प्रदेश में ब्राह्मणों की संख्या 12 फीसदी है जो चुनावी आंकड़ों के हिसाब से बहुत बड़ी संख्या है। ब्राह्मणों के 12 फीसदी ने ही 2007 में मायावती को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बना दिया था। हुआ ऐसे कि मायावती के पक्ष में दलित और मुस्लिम तो थे लेकिन ब्राह्मणों के वोट ने उन्हें सत्ता दिला दी और ब्राह्मणों को साथ लाने में सतीश चंद्र मिश्रा का बहुत बड़ा योगदान था जो आज भी बीएसपी के बहुत बड़े नेता हैं।
- चौथा सवाल जो सीधे सीधे कांग्रेस पर है कि आखिर कांग्रेस में 2014 लोक सभा चुनाव के बाद भगदड़ क्यों मची हुई है ? इसका सबसे बड़ा कारण ये है कि कांग्रेस पार्टी सबकी पार्टी नहीं रही है बल्कि व्यक्ति विशेष या परिवार विशेष की पार्टी रही है और कांग्रेस पार्टी उसी व्यक्ति विशेष या परिवार विशेष को केंद्र में रखकर पार्टी की दिशा और दशा तय करती रही है। लेकिन भारतीय राजनीति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगमन ने आम लोगों में एक मैसेज दिया कि भारत का प्रधानमंत्री चाय वाला या चाय वाले का बेटा भी बन सकता है। उसी का परिणाम है कि आज कांग्रेस में अपने अपने भविष्य को सोचने वाले लोग पार्टी छोड़ते जा रहे हैं क्योंकि कांग्रेस का अर्थ बन गया है कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गाँधी , पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी और महा सचिव प्रियंका गाँधी और ऐसे में आम नेता अपना भविष्य कहाँ देखेगा ?
- पांचवां और सबसे महत्वपूर्ण सवाल कि जितिन प्रसाद को बीजेपी में क्या मिलेगा या यूँ कहें दोनों के बीच क्या डील हुई है ? तीन बातें कही जा रही हैं। पहला जितिन को राज्य सभा का एमपी बनाया जा सकता है। दूसरा, उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री बनाया जा सकता है। तीसरा , उन्हें अगले वर्ष 2022 के विधान सभा चुनाव को देखते हुए उत्तर प्रदेश में ख़ास जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। ये तीनों संभावनाएं हैं होता क्या है ये तो भविष्य में ही पता चलेगा।
एक बात और कांग्रेस की चिंता यहीं ख़त्म नहीं होती आगे भी है और वो है जितिन प्रसाद के राह पर खड़े हैं राजस्थान के युवा नेता सचिन पायलट। अंत में इतना ही कहना चाहूंगा कि कांग्रेस को तय करना होगा कि कांग्रेस को पार्टी चलाएगी या परिवार ? वैसे इसका फैसला कांग्रेस ही करेगी।