- लोक जनशक्ति पार्टी के पांच सांसदों ने बागी तेवर अपनाए
- चिराग पासवान के चाचा के पशुपति पारस आज ईसी से मिलेंगे
- चिराग पासवान की कार्यशैली से नाराज हैं पार्टी के कार्यकर्ता
पटना : लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) में फूट होने के बाद चिराग पासवान अपने चाचा को मनाने के लिए उनके आवास पहुंचे। चिराग जब अपने चाचा पशुपति पारस के आवास पहुंचे तो उन्हें करीब 15 मिनट तक इंतजार करना पड़ा। इसके बाद घर का दरवाजा खुला। बताया जा रहा है कि थोड़ी देर में पशुपति पारस घर से बाहर आएंगे और उनसे मिलेंगे। पशुपति पारस के घर के बाहर लोजपा समर्थकों की भारी भीड़ जमा है।
सांसदों ने बगावती तेवर दिखाया
लोजपा के संस्थापक राम विलास पासवान के निधन के एक साल के भीतर पार्टी टूटती हुई दिख रही है। बिहार विधानसभा चुनाव और उसके बाद पार्टी अध्यक्ष चिराग पासवान की कार्यशैली को लेकर नेताओं एवं कार्यकर्ताओं में भारी नाराजगी सामने आई है। लोजपा के छह सांसदों में से पांच सांसदों ने बगावती तेवर अपना लिए हैं। लोजपा सांसद पशुपति पारस के नेतृत्व में आज चुनाव आयोग के दफ्तर जाकर पार्टी पर अपना दावा करेंगे। पशुपति पारस का कहना है कि उनकी जद-यू नेताओं से मुलाकात नहीं हुई है और वह एनडीए का हिस्सा बना रहेंगे।
पांच सासंदों ने स्पीकर बिड़ला को पत्र लिखा
राम विलास पासवान के भाई पशुपति के नेतृत्व में पांच सांसदों ने लोकसभा में पार्टी का नेता बदलने की मांग करते हुए सदन के स्पीकर ओम बिड़ला को पत्र लिखा है। बागी सांसद आर-पार की लड़ाई लड़ने के मूड में हैं। बताया जा रहा है कि लोजपा के ये पांचों सांसद आज दिन के डेढ़ बजे चुनाव आयोग जाएंगे और ईसी को बताएंगे कि लोजपा पर वास्तविक हक उनका है।
चिराग की कार्यशैली से नेताओं में नाराजगी
दरअसल, विधानसभा चुनाव और उसके चिराग पासवान ने जिस तरह से पार्टी को चलाया है और उनकी जो कार्यशैली रही है, उसे पार्टी के नेताओं एवं कार्यकर्ताओं ने पसंद नहीं किया है। पार्टी नेताओं का मानना है कि एनडीए से अलग होकर और नीतीश कुमार के खिलाफ चुनाव लड़कर चिराग पासवान ने बड़ी गलती की है। चुनाव नतीजों के बाद पार्टी बिखर गई है। चुनाव में जीता एक मात्र विधायक जद-यू का दामन थमा लिया। इस समय लोजपा के कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरा हुआ है।
एनडीए का हिस्सा बना रहूंगा-पशुपति
पशुपति का कहना है कि लोजपा एनडीए का हिस्सा है लेकिन विधानसभा चुनाव में उसे नीतीश कुमार की पार्टी के खिलाफ अपने उम्मीदवार खड़े नहीं करने चाहिए थे। उसे नीतीश कुमार को गठबंधन का नेता मानकर चुनाव लड़ना चाहिए था। नीतीश बड़े नेता हैं इसका सम्मान चिराग को करना चाहिए था।
'मैंने तो़ड़ा नहीं पार्टी को बचाया है'
इस सवाल पर कि क्या उनकी जद-यू के नेताओं से कोई मुलाकात हुई है, इस पर पशुपति ने कहा, 'नहीं। लोजपा हमारी पार्टी है। बिहार में पार्टी का संगठन मजबूत है। मैं एनडीए के साथ था और इस गठबंधन के साथ आगे भी बना रहूंगा। पार्टी में छह सांसद हैं। पांच सांसदों की इच्छा पार्टी को बचाने की है। मैंने पार्टी तोड़ी नहीं बल्कि बचाई है। चिराग पासवान हमारे भतीजे हैं और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। मुझे उनसे कोई आपत्ति नहीं है।'