नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के निवासी जसपाल सिंह की पत्नी सुधा कश्यप (62) पिछले साल नवंबर से बिस्तर पर थीं। रविवार रात को उन्होंने डिनर किया लेकिन अगली सुबह वह नहीं उठी। इसके बाद डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। मृतक को श्मशान ले जाने के लिए कोई भी सामने नहीं आया। दिल्ली के दक्षिण-पूर्वी जिले के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, 'जसपाल सिंह ने बताया कि पड़ोसियों और रिश्तेदारों ने शव को श्मशान ले जाने से मना कर दिया, क्योंकि उन्हें संदेह था कि उसकी मौत कोरोनो वायरस के कारण हुई है।'
असहाय जसपाल के पास स्थानीय पुलिस को बुलाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा। उन्होंने दक्षिण-पूर्वी दिल्ली में जैतपुर पुलिस स्टेशन में फोन किया। वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने तीन कांस्टेबल को जसपाल के घर जाने को भेजा और उनकी मदद करने के लिए कहा।
कई बार कई वजहों से दिल्ली पुलिस की आलोचना की जाती रही है, लेकिन जैतपुर में उसका मानवीय चेहरा दिखा। जसपाल सिंह अपने बेटे और तीन कांस्टेबल के साथ शव को श्मशान ले गए। कांस्टेबल सुनील ने टाइम्स नाउ को बताया, 'सुबह हमारे पास एक फोन आया। हमने सुना कि पड़ोसी शव को श्मशान घाट तक ले जाने के इच्छुक नहीं हैं। तो हम अपने तरीके से जुटे। हमने श्मशान में अधिकारियों से बात की। हमने पंडित को सूचना दी। जसपाल सिंह और उनके बेटे के साथ हम तीनों ने अंतिम संस्कार किया।
दिल्ली पुलिस ने कहा कि बहुत सारी अफवाहें हैं जो कोरोनो वायरस महामारी को लेकर फैल रही हैं। इस मामले में ये पुष्टि नहीं हुई थी कि सुधा की मृत्यु कोरोना वायरस के कारण हुई, लेकिन फिर भी पड़ोसी और जसपाल के करीबी रिश्तेदारों ने अंतिम संस्कार करने से इनकार कर दिया।