1990 में जम्मू-कश्मीर में आतंक को झेल चुके 2 बड़े चश्मदीदों ने उस समय की स्थिति के बार में बताया है। वो चश्मदीद, जिनके सामने कश्मीरी पंडितों का कत्लेआम हुआ। वो चश्मदीद जिन्होंने छोटी सी उम्र में ही कश्मीरी पंडितों का पलायन देखा। वो चश्मदीद जो फिल्म द कश्मीर फाइल्स में दिखाई गई एक एक घटना पर मुहर लगा रहे हैं। 90 के दशक में कश्मीर में पंडितों के साथ क्या कुछ हुआ था? ये सच अलग अलग तरीके से देश के सामने आते रहे हैं। लेकिन नरसंहार की रियल फाइल क्या है, ये टाइम्स नाउ नवभारत पर चश्मदीदों ने बताया।
जावेद बेग कश्मीरी लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता हैं और इन सबसे बढ़कर एक सच्चे कश्मीरी मुस्लिम हैं। जावेद बेग सेंट्रल कश्मीर में बडगाम के रहने वाले हैं। 1997 में बीरवां तहसील के संग्रामपुरा गांव में कत्लेआम इन्हें आज भी याद है। तब इनकी उम्र 10-11 साल थी। जावेद बेग बताते हैं कि तब इस गांव में रहने वाले कई गरीब कश्मीरी पंडितों को पाकिस्तान से आए आतंकवादियों ने लोकल आतंकियों के साथ मिलकर मारा। घरों से खींच-खींचकर कश्मीरी पंडितों को मौत के घाट उतार दिया।
कश्मीरी पंडितों के पलायन को हम 1990 से जोड़कर देखते हैं। लेकिन जावेद बेग ने जो घटना बताई वो 1997 की है। यानी जावेद के मुताबिक, कश्मीरी पंडितों पर अत्याचार का ये सिलसिला उसके आगे भी लंबे वक्त तक चला था। जावेद बेग ने अपने ट्विटर हैंडल पर कश्मीरी पंडितों के नरसंहार की चर्चा की है। उन्होंने कश्मीरी पंडित गिरजा टिक्कू की हत्या का जिक्र किया है। गिरजा टिक्कू की हत्या पर अफसोस जताया है। गिरजा टिक्कू, वो कश्मीरी पंडित जिन्हें JKLF के आतंकवादियों ने मारकर कई टुकड़े कर दिए थे। गिरजा टिक्कू की हत्या की घटना को फिल्म द कश्मीर फाइल्स में भी दिखाया गया है।
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जावेद बेग ने टाइम्स नाउ नवभारत पर आकर कश्मीरी पंडितों पर हुए अत्याचार के लिए माफी मांगी। कश्मीर के सभी मुसलमानों की ओर से कश्मीरी पंडितों से घर लौट आने की अपील कर रहे हैं।
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