कोविड-19 के खिलाफ जंग में बड़ी सफलता हासिल करते हुए भारत ने 100 करोड़ से अधिक वैक्सीनेशन का आंकड़ा पार कर लिया है। इसमें स्वास्थ्यकर्मियों और उन वैज्ञानिकों की भूमिका अहम रही, जिन्होंने वैक्सीन निर्माण की दिशा में काम किया और कुछ ही महीनों में वैक्सीन तैयार कर ली। इस दौरान स्वास्थ्यकर्मिरयों, वैज्ञानिकों के सामने भी चुनौतियां कम नहीं थी। इन्हीं मसलों पर Times Now नवभारत की एडिटर-इन-चीफ नाविका कुमार ने 'वैक्सीन मैन' के नाम से मशहूर डॉ. कृष्णा एला के साथ बातचीत की।
डॉ. कृष्णा एला ने 100 करोड़ वैक्सीनेशन को बड़ी सफलता कारार देते हुए कहा कि अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, रूस और यूरोप के देशों को मिलाकर भी इतना वैक्सीनेशन नहीं हुआ है, जिसे भारत ने हासिल कर लिया है। उन्होंने इस देश के नागरिकों को सैल्यूट किया, जिन्होंने वैक्सीन को लेकर समाज में व्याप्त तरह-तरह की बातों के बावजूद इस पर भरोसा किया। उन्होंने कहा कि एक वैज्ञानिक के तौर पर वह हमेशा महमारी से बचाव के काम में लगे रहे। उन्होंने माना कि कोविड महमारी के चुनौतीपूर्ण समय में देश की सरकारी मशीनरी को एक्शन लेने में 3-4 महीने की देरी हुई, हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि हम हम बहुत जल्द एक्शन में आ गए। जानवरों पर ट्रायल शुरू किया। जल्द से जल्द इंसानी क्लीनिकल ट्रायल किया गया। लेकिन हमारे सिस्टम में हमें व्यवस्थित रूप से ही आगे बढ़ना होता है, क्योंकि हमें कई तरह की प्रक्रिया का पालन करना होता है।
वैक्सीन निर्माण में जुटी कंपनियों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे को अहम करार देते हुए उन्होंने कहा कि इससे वैक्सीन उत्पादन के काम में तेजी आई और पूरा सिस्टम ही तेज हुआ। प्रधानमंत्री का दौरा इस तरह से वैक्सीन कंपनियों के लिए मददगार रहा। इसने एक तरह से नैतिक मदद के तौर पर काम किया।
'टीवी देखना, अखबार पढ़ना छोड़ दिया था'
वैक्सीन को लेकर कई तरह की बातों के बीच क्या कभी निराशा भी हुई? इस सवाल के जवाब में डॉ. कृष्णा एला ने कहा, 'मैं कई बार निराश हुआ, मेरे परिवार ने भी कई बार कई जगहों से बाते सुनीं लेकिन हमारे लिए देश सबसे पहले था इसलिए हमने इस सभी बातों को दरकिनार कर दिया हमने कभी इन बातों के बारे में सोचा भी नहीं और आगे बढ़ते रहे, क्योंकि ऐसी बाते लोगों को पीछे खींचती हैं, तेजी से काम करने से रोकती हैं तो हमने सोचा कि इन पर ध्यान नहीं देना चाहिए। हां बहुत सी बातें कही गईं, बहुत सी कहानियां सामने आई, लेकिन हमने ध्यान नहीं दिया। मैंने बातों पर विश्वास नहीं किया और आगे बढ़ता रहा। मैंने टीवी देखना छोड़ दिया था। अखबार पढ़ना छोड़ दिया था। मैं सोशल मीडिया पर नहीं हूं। इसलिए जो निराश करने वाली बातें होती थीं, मैंने उन पर ध्यान नहीं देने का फैसला किया। यही तरीका था आगे बढ़ने का।'
कोरोना वायरस संक्रमण की तीसरी लहर की आशंकाओं के बीच उन्होंने लोगों को आगाह किया तो यह भी कहा कि दिवाली के 15 दिन बाद अगर कुछ ज्यादा मामले नहीं आते हैं तो मुझे लगता है कि हम ठीक हैं। दशहरा बीत चुका है और सौभाग्य की बात है कि महाराष्ट्र में दशहरे के बाद हालात ठीक हैं, गुजरात और वेस्ट बंगाल में भी हालात ठीक हैं और अब हम दीवाली मनाने जा रहे हैं। अगर कुछ बुरा नहीं होता है तो एक देश के तौर पर हम ठीक अवस्था में हैं। इस तरह दिवाली हमारे लिए टेस्टिंग प्वाइंट साबित हो सकता है। अगर ये आता भी है तो हम सोच रहे हैं कि नई रणनीतियों पर काम करेंगे जैसे नेजल वैक्स, बूस्टर इम्यूनाइजेशन। हम एक सुरक्षा घेरा बनाकर लोगों को वैक्सीन देंगे, ताकि संक्रमण फैल ना सके। तो हम कुछ नए आइडिया पर काम कर रहे हैं।' कोविड-19 से लोगों को सतर्क रहने की सलाह देते हुए डॉ. कृष्णा एला ने कहा कि हालांकि हालात काफी बेहतर हुए हैं। अस्पताल भी पूरी तरह अपडेट हो चुके हैं। अब वे कई तरह के उपचार के लिए तैयार हैं। लेकिन इसे याद रखने की जरूरत है कि कोविड अभी खत्म नहीं हुआ है। यह अब भी हमारे बीच मौजूद है। देखिये पूरी बातचीत।