- ज्ञानवापी से 1823 किमी दूर..सबसे नया 'सबूत'
- मस्जिद की दीवार, सनातन संस्कृति के निशान?
- मस्जिद में छिपाए गए मंदिर के अवशेष ?
Dhakad Exclusive: काशी में ज्ञानवापी मस्जिद विवाद के बाद सवाल उठ रहे हैं कि देश में और कितनी ज्ञानवापी मस्जिदें हैं। आज आपको दक्षिण भारत के ही एक ऐसे ज्ञानवापी ले चलते हैं, जहां मस्जिद के अंदर मंदिर होने के प्रमाण साक्षात् दिख रहे हैं। जब रेनोवेशन के लिए मस्जिद की दीवार गिराई गई तो ऐसी कलाकृति और ऐसी वास्तुशैली नजर आई। जो मस्जिदों जैसी तो बिल्कुल नहीं है। देखिए...दक्षिण भारत का ज्ञानवापी EXCLUSIVE
ये मस्जिद देख रहे हैं। इस मस्जिद के अंदर कुछ ऐसे साक्ष्य मिले हैं। जिसने इस मस्जिद के लिए भी ज्ञानवापी जैसे कई सवालिया निशाना खड़े कर दिए हैं। इस मस्जिद के खंभों को देखिए, खंभों पर नक्काशी ऐसी है जैसी आमतौर पर मस्जिदों में नहीं होती। दीवार और छत के किनारों पर जो डिजाइन बनी है। वो भी किसी मस्जिद की नहीं दिखती। दीवारों पर फूलों के निशान दिख रहे हैं। इस टूटे हुए हिस्से के पीछे जो दीवार दिख रही है। वो भी इमारत के प्राचीन होने का प्रमाण दे रही है। इन खंभों पर ऐसी आकृति और कलाकारी दिख रही है जो आमतौर पर दक्षिण भारत के मंदिरों में दिखती है।
इन दीवारों पर पेंट किया गया है। ऐसा लग रहा है जैसे किसी सच्चाई को पेंट के पीछे छिपाने की कोशिश की गई थी लेकिन कहते हैं ना सच्चाई को लाख छिपाने की कोशिश की जाए। सच्चाई सामने आ ही जाती है। पिछले दिनों इस जुमा मस्जिद में रेनोवेशन का काम चल रहा था। इसी दौरान जब मस्जिद की दीवार तोड़ी गई तो बरसों से छिपे राज एक साथ बेपर्दा हो गए। आपने मस्जिद के निचले हिस्से को देखा अब जरा ऊपरी हिस्से को भी ध्यान से देखिएगा।
मस्जिद की दीवार गिरी तो जो छिपा हुआ सच सामने आया। इस हिस्से को ध्यान से देखिए और खुद ही तय कीजिए कि क्या आपने कभी इस तरह का मस्जिद कहीं देखा है। इस वीडियो को देखकर तो ऐसा लग रहा है कि किसी पुराने हिस्से को छिपाने के लिए आगे एक दीवार खड़ी की गई थी और जैसे ही वो दीवार गिरी सच सामने आ गया।
अब जरा मस्जिद के ऊपरी हिस्से पर ध्यान दीजिए। मस्जिद के बाहरी हिस्से पर ऐसी डिजाइन शायद ही कभी देखी होगी। मस्जिद के बाहरी हिस्से पर ऐसी डिजाइन, आम तौर पर नेपाली संस्कृति से जुड़े हिंदू मंदिरों में दिखती है। वाराणसी में मौजूद नेपाली मंदिर और मैंगलुरू के जामा मस्जिद के ऊपर दिख रही छत की निर्माण शैली मिलती जुलती है। आप इन दो तस्वीरों को देखकर खुद सोचिए, मस्जिद की डिजाइन मंदिर की तरह कैसे हो सकती है ? आप सोच रहे होंगे कि ये मस्जिद आखिर है कहां पर, देश के किस शहर में मस्जिद के अंदर मंदिर दिखा है।
कर्नाटक का बेहद खूबसूरत शहर है मैंगलुरू, इसी शहर के एक हिस्से में है मलाली मार्केट, उसी मलाली मार्केट में है ये जुमा मस्जिद। मस्जिद के अंदर अब जरा इसकी सीलिंग को भी ध्यान से देखिए। सीलिंग देखेंगे तो आपको समझ आएगा कि जो निर्माण शैली है वो कहीं से भी मुगलकालीन शैली से मेल नहीं खाती ।
सवाल है कि
क्या किसी पुराने मंदिर के ऊपर ही मस्जिद बनाई गई ?
क्या मंदिर की सच्चाई छिपाने के लिए दीवार खड़ी गई थी?
क्या खंभों पर पेंट इसीलिए किया गया था ताकि मंदिर के सबूत न दिखें ?
विश्व हिंदू परिषद के स्थानीय नेताओं का दावा है कि मस्जिद से पहले यहां कभी मंदिर हुआ करता था। अब मस्जिद की सच्चाई जानने के लिए प्रशासन ने भी सरकारी दस्तावेज खंगालने शुरू कर दिए हैं। फिलहाल हिंदूवादी संगठनों ने मस्जिद में चल रहे निर्माण के काम को रुकवा दिया है। मस्जिद के अंदर मंदिर जैसी वास्तुकला मिलने से मैंगलुरू में हर कोई हैरान है। अब हिंदूवादी संगठन 25 मई को एक विशेष धार्मिक पूजा करवाने की तैयारी कर रहे हैं ताकि ये पता लगा सकें कि जो दीवारें हैं। वो कितनी पुरानी।
साक्ष्य को किसी तरह से साबित करने की जरूरत नहीं होती। जुमा मस्जिद की दीवार गिरने से जो कुछ भी सामने आया है वो भी एक तरह से साक्ष्य ही है। मस्जिद में मंदिर जैसी वास्तुकला सामने आने के बावजूद कर्नाटक के कुछ राजनीतिक दल आंख बंद किए हुए हैं। ज्ञानवापी में जिस औरंगजेब की क्रूरता के साक्ष्य मिलते हैं। उस औरंगजेब ने दक्षिण पर भी शासन किया था। इतिहास के मुताबिक औरंगजेब दक्षिण में सन् 1659 आया था अब सवाल है कि क्या औरंगजेब ने यहां भी काशी और मथुरा की तरह मंदिरों को तोड़कर उस पर मस्जिद तो नहीं बनवाया था? मैंगलुरु की इस ज्ञानवापी मस्जिद की सच्चाई पूरा देश जानता है। मस्जिद के अंदर मंदिर का खुलासा तो सर्वे और वैज्ञानिक प्रमाण के आधार पर ही मुमकिन होगा।