पाठकों उर्दू का एक शेर है...
उम्र भर ग़ालिब ये भूल करता रहा।
धूल चेहरे पर थी, आईना साफ करता रहा।
आज खबर सामने आयी कि उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार सभी Unrecognised मदरसों का सरकारी सर्वे कराएगी। लेकिन AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी को समझ आया कि ये छोटा NRC है। मुसलमानों के हक पर चोट है। बीते कुछ दिनों में असम में जेहादी गतिविधियों के संदिग्धों से कनेक्शन वाले तीन अवैध मदरसों पर बुलडोजर चले हैं। लेकिन AIUDF नेता बदरुद्दीन अजमल की थ्योरी है कि ये मुसलमानों को डराने का प्लान है, ताकि डरे हुए मुसलमान 2024 में PM नरेंद्र मोदी को वोट दें। सवाल पब्लिक का है कि क्या मुसलमानों के रहनुमा बनने का दावा करने वाले ही मुसलमानों को डरा रहे हैं ? क्या सरकारी एक्शन को एंटी मुसलमान बताकर कटघरे में खड़ा करना हेट एजेंडा नहीं है? क्या मुसलमानों को मोदी के खिलाफ भड़काने का एजेंडा जारी है? सवाल पब्लिक का आज यही है।
उत्तर प्रदेश में हर जिले के DM को 25 अक्टूबर तक Unrecognised मदरसों की सर्वे रिपोर्ट सरकार को सौंपनी है। सर्वे क्यों होगा, कौन करेगा। ये आपको आगे बताउंगी, लेकिन पहले आप असदुद्दीन ओवैसी का ये बयान सुनिए। AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि संविधान के आर्टिकल 30 के तहत मुझे एक मौलिक अधिकार हासिल है कि मैं अपने मदरसे खोलूं, अपनी पसंद के शैक्षणिक संस्थान खोलूं। इसमें सरकार क्यों दखलंदाजी करेगी ? आप सर्वे क्यों करना चाह रहे हैं ? आपको इससे लेना देना क्या है ? क्या आप उनकी तनख्वाह दे रहे हैं। मदरसा बोर्ड के अंतर्गत जो मदरसे हैं आप उनकी तनख्वाह तो दे नहीं रहे हैं तीन - चार साल से। ये मदरसे प्राइवेट मदरसे हैं। अन ऐडेड मदरसे हैं। और आर्टिकल 30 के तहत इसको कायम किया गया है। तो राज्य सरकार क्यों सर्वे करवा रही है? आपको लेना देना क्या है? आप एक ऑर्डर जारी कर दीजिए ना कि अब आप मुसलमान मत रहिए। आप कुरान मत पढ़िए, नमाज मत पढ़िए। आप ऑर्डर जारी कर दीजिए, वही कर दीजिए आप। ये सर्वे नहीं है बल्कि छोटा NRC है।
सुना आपने ओवैसी साहब को Unrecognised मदरसों का सर्वे, छोटा NRC लग रहा है। वो कह रहे हैं कि संविधान में मिले अधिकार से मदरसे खुले हैं तो सर्वे का अधिकार कैसे है? वाह ओवैसी साहब। एंटी CAA हंगामे के समय से ही NRC यानी National Register of Citizens का डर मुसलमानों को दिखाया गया है। लेकिन NRC कब आएगा, उसमें क्या होगा, इस पर सरकार ने कभी कुछ नहीं कहा है। और अगर NRC आएगा भी तो उसका मदरसों के सर्वे से क्या लेना-देना ये आप नहीं बताएंगे। जिस संविधान की दुहाई दी जा रही है, वही संविधान कहता है कि देश के कानून से कोई ऊपर नहीं। जिस मदरसा सर्वे का विरोध किया जा रहा है, उसकी सिफारिश देश की बाल अधिकार संस्था NCPCR ने की है।
मार्च 2021 की NCPCR की रिपोर्ट में कहा गया कि बड़ी तादाद में बच्चे ऐसे स्कूलों में पढ़ते हैं जो मान्यता प्राप्त नहीं हैं। ये संस्थाएं क्या क्वॉलिटी एजुकेशन देती हैं और वहां का माहौल कैसा है, इसकी जानकारी नहीं है। जरूरी है कि ऐसे सभी गैर मान्यता प्राप्त संस्थाएं चाहे वो स्कूल हों, मदरसे हों, वैदिक पाठशालाएं हों, गुम्पा हों उनका सर्वे कराया जाना चाहिए। इस सिफारिश के बाद 30 अगस्त के आदेश में यूपी सरकार ने कहा कि हर एक जिले में SDM, बेसिक शिक्षा अधिकारी और अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी सभी Unrecognised मदरसों का सर्वे कर रिपोर्ट DM को सौपेंगे। DM ये रिपोर्ट सरकार को सौपेंगे।
इस सर्वे के सवाल भी तय हैं। बिल्डिंग, ब्लैक बोर्ड, सिलेबस, किसने मदरसा खोला, ऐसे ही वो सारे सवाल जिनका जवाब किसी भी एजुकेशन संस्थान को देना पड़ता है। उन्हीं सवालों पर सर्वे होगा। लेकिन ओवैसी साहब ने सर्वे के खिलाफ राजनीतिक हंगामा कर दिया है। और वो कह रहे हैं कि RSS के स्कूलों का सर्वे क्यों नहीं होता?
ओवैसी ने कहा कि अगर आप सर्वे कराना चाह रहे हैं, आप कह रहे हैं कि NCPCR ने कहा है, तो आप पूरे यूपी के प्राइवेट स्कूलों का कराइए। विद्या मंदिर का कराइए, शिशु मंदिर का कराइए। आप सिर्फ एक टारगेटेड समुदाय का सर्वे करा रहे हैं। तो यकीनन मुझे कहना पड़ेगा कि छोटा NRC है ये। वैसे ओवैसी साहब जान लें कि शिशु मंदिर और विद्या मंदिर स्कूल हों या मिशनरी स्कूल, ये राज्य बोर्ड या CBSE से Affiliated होते हैं, ये Unrecognised नहीं हैं। लेकिन जब राजनीति में कुछ भी कहना हो तो क्या कर सकते हैं? असम से बदरुद्दीन अजमल का भी एक बयान आया है।
बदरुद्दीन अजमल ने जेहादी कनेक्शन वाले अवैध मदरसों पर बुलडोजर चलने पर क्या कहा आप सुन लीजिए। आपने मदरसा, मुसलमान और मोदी पर ओवैसी, बदरुद्दीन जैसे नेताओं की पॉलिटिक्स देख ली। आज की बहस को Context में रखने के लिए मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक पुराना बयान सुनाना चाहती हूं।
सवाल पब्लिक का
1. क्या Unrecognised मदरसों के सर्वे पर NRC का डर दिखाना मुसलमानों को भड़काना नहीं है?
2. क्या मोदी के खिलाफ डरे हुए मुसलमानों वाली थ्योरी राजनीतिक नैतिकता के खिलाफ नहीं है?
3. क्या मुस्लिम पहचान वाली पार्टियां मुसलमानों को सिर्फ वोट बैंक समझने का एजेंडा चला रही हैं?