- शु्क्रवार को कोझिकोड एयरपोर्ट पर रनवे से फिसल गया था विमान
- हादसे में 18 लोगों की हुई थी मौत, पायलट और को पायलट भी शामिल
- हादसे की जांच एएआईबी और डीजीसीए के हवाले
नई दिल्ली। वंदे भारत मिशन के तहत एयर इंडिया एक्सप्रेस एयरक्राफ्ट कोझिकोड एयरपोर्ट पर उतरना था। विमान रनवे नंबर 10 पर उतरा लेकिन फिसल कर 35 फुट गहरी घाटी में जा गिरा और विमान के दो टुकड़े हो गए। विमान में पायलट और केबिन क्रू समेत 190 लोग सवार थे। 18 लोगों की मौत हो चुकी है जिसमें पायलट और को पायलट शामिल हैं। विमान का ब्लैक बॉक्स मिल चुका है और उसकी जांच के बाद पूरी जानकारी सामने आएगी जिसके बाद पता चलेगा कि आखिर गलती कहां हुई। लेकिन एक चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है।
मौसम विभाग की चेतावनी को किया गया नजरंदाज
सूत्रों के मुताबिक मौसम विभाग की तरफ से शुक्रवार शाम 6.15 मिनट पर खराब मौसम और आंधी की चेतावनी दी गई थी। लेकिन एयरपोर्ट ने उस चेतावनी को नजरंदाज कर दिया। ऐसी सूरत में प्लेन पहली बार में रनवे पर उतरने की नाकाम कोशिश के बाद डायवर्ट कर देना चाहिए था।
2015 में ना लेकिन 2019 में हां का नतीजा !
2015 में डीजीसी ने वाइडबॉडी एयरक्राफ्ट को कालीकट एयरपोर्ट से टेक ऑफ और लैंडिंग पर रोत लगाई थी। लेकिन 2019 में ऑर्डर को वापस ले लिया। यहीं से सवाल उठता है कि क्या शुक्रवार को हुए हादसे को रोका जा सकता था। अगर मौसम विभाग की चेतावनी को मान लिया गया होतो तो शायद 18 लोगों की जान नहीं जाती और 124 लोग अस्पताल में मौत से संघर्ष नहीं कर रहे होते
बताया जा रहा है कि पायलट ने फाइनल लैंडिंग से पहले दो बार कोशिश की थी। जानकारों का कहना है कि टेबल टॉप रनवे पर विमानों की लैंडिंग कठिन होती है। दरअलर रनवे पर सेंट्रल वर्ज की लाइट जलती रहती है। इससे पता चलता है कि विमान को किस तरह से सटीक तरीके से लैंड कराया जा सकता है। लेकिन कोझिकोड के रनवे नंबर 10 पर सेंट्रल वर्ज की लाइट ऑफ थीं। इसकी वजह से हो सकता है कि पायलट को अंदाजा लगाना मुश्किल हुआ होगा