लोगतंत्र में बात हुई जम्मू-कश्मीर की, जहां आतंकियों की कायराना करतूत फिर से सामने आई है। आतंकियों ने फिर से टारगेट किलिंग को अंजाम दिया है। दक्षिणी कश्मीर के कुलगाम में आतंकियों ने तीन मजदूरों को गोली मार दी। जिनमें दो मजदूरों राजा ऋषि देव और योगेंद्र ऋषि देव की मौके पर ही मौत हो गई और एक को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। जिन मजदूरों की हत्या हुई है। उनके घर में मातम पसरा हुआ है। 12 दिन में बिहार के 4 मजदूरों की कश्मीर में हत्या कर दी गई है। एक घायल है। कोई गोलगप्पा बेचकर परिवार का भरण-पोषण कर रहा था। कोई चाट की दुकान लगाता था। तो कई मजदूरी करता था। अब मजदूरों के घर मातम पसरा है। मां बेहोश पड़ी है। पिता के आंसू सूख नहीं रहे हैं। मोहल्ले में सन्नाटा पसरा हुआ है। मृतक मजदूर के दरवाजे पर पूरे गांव के लोग उमड़ गए हैं।
अपने परिवार के 15 लोगों की जिम्मेदारी और उज्जवल भलिष्य की उम्मीद लिए अरविंद बांका से कश्मीर चला गया था। बड़े भाई को पहले ही कोरोना लील चुका है। गम में डूबे पूरे परिवार की जिंदगी अभी सही से पटरी पर लौटी भी नहीं थी कि अरविंद की मौत ने परिवार को तबाह कर दिया है।
अररिया में भी मातम पसरा हुआ है। मृतक मजदूरों के घर चुल्हे भी नहीं जले हैं। योगेंद्र की मौत ने पूरे परिवार को झकझोर कर रख दिया है। योगेंद्र को पिछले कुछ दिनों से पैसे भी नहीं मिल रहे थे। परिवार को भी इस बात की खबर थी। कुछ आगे के लिए सोचते उससे पहले ही आतंकियों ने योगेंद्र की जान ले ली। मजदूरों की हत्या के पीछे का मकसद कश्मीर में 1990 की त्रासदी को दोहराना है। लेकिन ये बदला हुआ भारत है। और बदली हुई भारत की तस्वीर में आतंक और आतंकियों के लिए कोई जगह नहीं है। आतंक के पैरोकारों को आने वाले दिनों में ये बहुत भारी पड़ने वाला है।