नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून को लेकर देश में जहां एक तरफ विरोध-प्रदर्शन चल रहा है, वहीं दूसरी तरफ 1000 से अधिक शिक्षाविदों ने इस का समर्थन किया है। शिक्षाविदों ने इस संबध में बयान जारी किया। उन्होंने बयान में भुलाए गए अल्पसंख्यकों के साथ खड़े होने और भारत के सभ्यतागत स्वभाव को बरकरार रखने तथा धार्मिक प्रताड़ना के कारण भाग कर आने वालों को शरण देने के लिए संसद को बधाई दी।
इस सूची में मुख्य रूप से भारतीय और विदेशों में दर्जनों कॉलेजों और विश्वविद्यालयों से प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और सहायक प्रोफेसर हैं। इस बिल के पक्ष में वैज्ञानिकों, एम्स, IIMs और IITs ने समर्थन दिया है। कानून की पढ़ाई करने वाले छात्रों और चिकित्सकों का भी समर्थन है। इसके अलावा नॉन-मेट्रोपोलियन शहरों के संस्थानों से व्यापक समर्थन है।
बिल के विरोध में कई जगह हिंसक प्रदर्शन भी हुए। उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में संशोधित नागरिकता कानून के विरोध में हुए हिंसक प्रदर्शनों में 10 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है जिनमें आठ साल का बच्चा भी शामिल है।
कानपुर में कानून के खिलाफ लोगों का धरना जारी है। एडीजी प्रेम प्रकाश ने कहा, 'स्थिति नियंत्रण में है और अतिरिक्त बलों को तैनात किया गया है। आज कल 40 लोगों को गिरफ्तार किया गया। 2 लोग हताहत हुए हैं और कुछ घायल अस्पताल में भर्ती हैं।'
वहीं यूपी जिलं के गौरव ग्रोवर, पुलिस अधीक्षक (SP) बहराइच ने कहा कि 6 मामले दर्ज किए गए, 38 लोगों को हिरासत में लिया गया है। 100 लोगों की पहचान (नाम (एफआईआर में) की गई है, हिंसक तत्वों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
इसी के बीच शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जवाद ने कहा, 'सीएए और एनआरसी दो अलग-अलग चीजें हैं। NRC अब तक केवल असम में लागू किया गया है और पूरे भारत में लागू नहीं किया गया है, लेकिन हम अभी तक यह नहीं जानते हैं कि इसमें क्या नियम होने जा रहे हैं। पार्टियां इस पर गुमराह कर रही हैं, मुसलमानों से संयम दिखाने की अपील करता हूं।'