- जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद पहली बार हालात इतने खराब हुए हैं
- आतंकवाद की घटनाओं में तेजी आई है, निर्दोष लोगों को बनाया जा रहा है निशाना
- पढ़े-लिखे युवा भी आतंकवाद के रास्ते पर हैं, नया ट्रेंड सुरक्षाबलों के लिए चिंता है
Terrorism : जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ सेना के अभियान में आए दिन आतंकवादी मारे जा रहे हैं। सुरक्षाबलों ने शोपियां में दो आतंकियों को ढेर किया है। इस बीच घाटी में एक नया ट्रेंड देखने को मिला है। मारे गए आतंकियों में पढ़े-लिखे युवा शामिल हैं। यह देखने में आया है कि कम उम्र के पढ़े-लिखे युवा आतंकवाद का रास्ता पकड़ रहे हैं। आतंकवादी संगठन पढ़े-लिखे युवाओं को बरगलाकर दहशतगर्ती के रास्ते पर जाने के लिए मजबूर कर रहे हैं। पढ़े-लिखे युवाओं का आतंक के रास्ते पर जाना प्रशासन के लिए एक चिंता का सबब बनकर उभरा है। घाटी में मई महीने में 36 युवा लापता हुए हैं। समझा जाता है कि इन्होंने भी आतंक का रास्ता पकड़ा है।
अनुच्छेद 370 हटने के बाद पहली बार हालात इतने खराब
राजा नदम एनडीए पास आउट था। वह 26 मार्च 2020 से लापता हो गया और फिर बाद में सात जून 2022 को एनकाउंटर में मारा गया। इसी तरह 2018 में मुठभेड़ में मारा गया डॉ. सरजार सोफी पीएचडी स्कॉलर था। आतंकी मन्नान वानी एएमयू का स्कॉलर था। इसके एमफिल और पीएचडी की डिग्री थी। वह 2018 में मारा गया। पीएचडी स्कॉलर मोहम्मद रफी असिस्टेंट प्रोफेसर थे। यह भी एनकाउंटर में ढेर हुए। पीएचडी स्कॉलर वसीम राथर भी आतंक के रास्ते को चुना है। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद पहली बार घाटी के हालात इतने खराब हुए हैं।