न्यूज की पाठशाला में बात हुई बांग्लादेश में हिंदुओं की स्थिति पर। क्या बांग्लादेश में हिंदू आबादी नहीं बचेगी? 1974 में पहली जनगणना के समय हिंदू आबादी 13.5% थी, लेकिन 2011 में 8.5% रह गई। पिछले 6 दिन से वहां हिंदू पर हमले हो रहे हैं। वहां पर मंदिरों में हमले हो रहे हैं, पथराव, तोड़फोड़ की जा रही है, दुर्गा पंडालों, मूर्तियों को तोड़ा गया, हिंदुओं के घर, दुकानें निशाना बनीं और कई हिंदू परिवार पलायन कर रहे हैं। बांग्लादेश में 64 जिले हैं, 34 जिलों में हिंदू विरोधी दंगे हो रहे हैं। 34 जिलों में पैरामिलिट्री फोर्स लगाई गई। बांग्लादेश में 90% मुस्लिम आबादी है। वहां हिंदू आबादी 9% से भी कम है। हिंदू परिवार हमेशा कट्टरपंथियों के निशाने पर रहते हैं।
पिछले छह दिन में हिंसा की बड़ी घटनाओं के बारे में बताते हैं
- 13 अक्टूबर - कुमिल्ला जिले में मंदिरों पर हमले हुए
- 15 अक्टूबर - नोआखाली में इस्कॉन मंदिर पर हमला हुआ
- 16 अक्टूबर - फेनी इलाके में मंदिरों-दुकानों पर हमले हुए
- 16 अक्टूबर - मुंशीगंज में काली मंदिर की 6 मूर्तियां तोड़ी गई
सबसे बड़ा हमला इस्कॉन मंदिर पर हुआ
- इस्कॉन मंदिर बांग्लादेश के नोआखाली में है
- 500 लोगों की भीड़ ने मंदिर पर अटैक किया
- वहां पर इस्कॉन के दो लोगों की हत्या कर दी
- इस पर इस्कॉन ने यूएन चीफ को चिट्ठी लिखी है
- बांग्लादेश सरकार से एक्शन लेने की मांग की है
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी दखल देने को कहा है
इस्कॉन ने बयान जारी कर बांग्लादेश में हुए हमले की पूरी कहानी बताई। इस्कॉन का कहना है कि 14 अक्टूबर को ही मंदिर प्रशासन ने पुलिस ने सुरक्षा मांगी थी लेकिन उसे अनदेखा कर दिया गया। 13 अक्टूबर 2021 को कट्टरपंथियों ने साजिश के तहत बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिन्दुओं को निशाना बनाया। 15 अक्टूबर को दोपहर 3 बजे इस्कॉन चौमोनी मंदिर पर हमला हुआ। हमले के दौरान जगन्नाथ के रथ, श्रीला प्रभुपादा की मूर्ति तोड़ दी गई। मंदिर परिसर में खड़े कुछ वाहनों को आग लगा दी गई। मंदिर की संपत्ति को जला दिया गया, उसे बर्बाद किया, उसे लूटा गया। हमारे दो सदस्य पार्थ चंद्रा दास और जतन चंद्रा साहा की बेरहमी से हत्या कर दी गई, एक और सदस्य निमाई चंद्रा दास की हालत गंभीर है। मंदिर में जो भक्त मौजूद थे उन पर भी हमला किया गया। उसी दिन काली मंदिर, राम ठाकुर मंदिर, लोकनाथ मंदिर, छत्रग्राम के जीएम सेन हॉल के साथ-साथ हिंदू अल्पसंख्यकों के कई अन्य घरों, दुकानों और संस्थानों को भी नष्ट कर दिया गया था। हमले के दोषी बेशर्मी से खुले तौर पर सोशल मीडिया पर इसका बखान कर रहे हैं। सरकार को सख्त एक्शन लेना चाहिए ताकी मुस्लिम कट्टरपंथी ऐसे अत्याचार ना करे जिससे दुनिया की नजरों में बांग्लादेश समाज की बदनामी हो ।
बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा कैसे भड़की? इसे भी जानना चाहिए। ये बांग्लादेश के कुमिल्ला जिले से 13 अक्टूबर को शुरू हुआ। जब कुरान के अपमान की अफवाह फैलाई गई। 13 अक्टूबर को सुबह 7.30 बजे एक मुस्लिम व्यक्ति ने दुर्गा पंडाल से फेसबुक लाइव किया और ये अफवाह फैलाई कि दुर्गा पंडाल में कुरान रखी गई। सुबह 8 बजे दुर्गा पंडाल के आस-पास भीड़ जमा होने लगी। 10 बजे बांग्लादेश पुलिस के 40 से 50 जवान पहुंचे। सुबह 10.30 बजे- जिले के कलेक्टर, एसपी, कुछ इमाम पहुंचे। सुबह 11 बजे भीड ने पंडाल पर पथराव कर दिया, मूर्तियां तोड़ दी। दोपहर 12 बजे- कुमिल्ला के बाकी इलाकों में भी भीड़ सड़कों पर आई। शाम 4 बजे तक- 3 हिंदू मंदिरों और 14 दुर्गा पंडालों पर हमले किए गए।
बांग्लादेश में हिंसा पर भारत के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी किया है। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि बांग्लादेश में धार्मिक कार्यक्रमों पर हमलों की जानकारियां मिली हैं। बांग्लादेश सरकार ने इस पर सख्त कार्रवाई की है। दुर्गा पूजा कार्यक्रम भी वहां जारी है। भारतीय उच्चायोग अधिकारियों के संपर्क में है। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने भरोसा दिया है कि हिंदू मंदिरों और दुर्गा पूजा पंडालों पर हमला करने वाले किसी भी आरोपी को बख्शा नहीं जाएगा। इनका मकसद देश के विकास में रुकावट डालना है। नकली तस्वीरें फैलाकर अशांति भड़काने में शामिल लोगों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।