टाटा ग्रुप ने एयर इंडिया की बोली जीत ली है। टाटा संस की ओर से इसके लिए सबसे बड़ी 18,000 करोड़ रुपये की बोली लगाई गई। इसे 68 साल बाद एयर इंडिया की घर वापसी के तौर पर देखा जा रहा है, जिसकी शुरुआत 1932 में जेआरडी टाटा ने की थी। सरकार ने 1953 में एयर इंडिया को टाटा से ले लिया था और अब 2021 में एक बार फिर इसे टाटा को लौटाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। लेकिन सवाल है कि घाटे वाली एयर इंडिया को टाटा उड़ाएगा कैसे?
'न्यूज की पाठशाला' में तफ्तीश इस बात की भी हुई कि एयर इंडिया का मिसमैनेजमेंट कैसे हुआ, जबकि यही एयर इंडिया आसमान का महाराजा था। एयर इंडिया आज 61,000 करोड़ रुपये के घाटे में है। 1960 में एयर इंडिया एशिया की पहली एयरलाइंस, जिसके पास बोइंग विमान था। 1966 में एयर इंडिया की हर दिन 100 फ्लाइट उड़ान भरती थी और हर साल 10 लाख पैसेंजर इससे यात्रा करते थे। 1970 तक एयर इंडिया ठीक चला, लेकिन इसके बाद लालफीताशाही बढ़ी, जिसमें प्रोफेशनल तरीकों से काम करने की छूट नहीं मिली। यही वह दौर था, जब एयर इंडिया को नेताओं ने 'आसमान के महाराजा' से अपना दरबारी बनाना शुरू किया और 1980 में इसे 15 करोड़ रुपये का घाटा हुआ। हालांकि 1990 के दशक में एक बार फिर इसकी चमक लौटी और 1993 में इसने 333 करोड़ रुपये का प्रॉफिट कमाया।
और यूं शुरू हुआ घाटे का सिलसिला
एयर इंडिया को 2003 में भी 133 करोड़ रुपये का फायदा हुआ। 2004 में प्रॉफिट कम हुआ, पर यह 92 करोड़ का रहा। 2006 में इंडियन एयरलाइंस और एयर इंडिया को मर्ज कर दिया गया, जिसके बाद 2008 में सालाना घाटा बढ़कर 5548 करोड़ रुपये हो गया। 2017 में यह 5348 करोड़ और 2021 में यह 10,000 करोड़ तक पहुंच गया।
एयर इंडिया की तबाही में कांग्रेस का क्या रोल रहा है? 2003 से 2010 जब Low Cost एयरलाइंस का कारोबार बढ़ा, मार्केट शेयर- 1% से 70% हो गया। तब इंडियन एयरलाइंस पहले नंबर से चौथे नंबर पर आ गई। 2006 में एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस का मर्जर कर दिया गया, जिसका दोनों कंपनियों ने विरोध किया, लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सरकार ने यह फैसला लिया। यह प्रक्रिया 4 साल तक चलती रही। इसका सीधा असर एयर इंडिया के प्रॉफिट पर पड़ा।
मर्जर से बढ़ी समस्या
मर्जर के बाद से एयर इंडिया की कमाई लगातार घटती गई और नुकसान बढ़ता गया। 2007 से 2009 के बीच दोनों कंपनियों का घाटा 770 करोड़ से 7200 करोड़ पहुंच गया और उधारी 6550 करोड़ से 15241 करोड़ हो गई। मर्जर के बाद कंपनी के पास 30 हजार कर्मचारी हो गए, जो ग्लोबल स्टैंडर्ड के दोगुना है। एयर इंडिया को अपने रेवेन्यू का पांचवां हिस्सा तो सिर्फ सैलरी पर खर्च करना पड़ रहा था, जबकि बाकी कंपनियां रेवेन्यू का दसवां हिस्सा खर्च करती थीं।
कर्मचारियों को मैनेज करने और खर्चे कम करना शुरु किया तो विरोध और हड़तालें शुरू हो गई, जिससे घाटा और बढ़ गया। मर्जर पूरा भी नहीं हुआ था कि एविएशन मिनिस्ट्री ने 111 नए एयरक्राफ्ट खरीदने का फैसला किया। इसके लिए 67 हजार करोड़ रुपये लगा दिए गए। सवाल उठे कि जिस एयरलाइंस का टर्नओवर ही 7 हजार करोड़ का है उसके लिए इतनी महंगी डील क्यों? ये फैसला एयर इंडिया के लिए काफी घातक साबित हुआ, इस डील पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे।
मर्जर की वजह से नुकसान 10 हजार करोड़ तक पहुंच गया। अक्टूबर 2012 से मार्च 2013 के बीच हर महीने एयर इंडिया को 400 करोड़़ का घाटा होने लगाा। 2004 से 2011 के बीच प्रफुल्ल पटेल एविएशन मंत्री रहे, जब उन्होंने पद संभाला तो एयर इंडिया 42% मार्केट शेयर के साथ टॉप लीडर था। जब उन्होंने पद छोड़ा तब एयर इंडिया कर्ज में डूब गया।
रमीज राजा को सता रहा ये कैसा डर?
PCB के चेयरमैन रमीज़ राजा को डर लग रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का खौफ सता रहा है। रमीज राजा कह रहे हैं PCB मोदीजी के रहमोकरम पर है। जिस दिन मन में आया PCB का शटर डाउन कर देंगे। आखिर ऐसा क्या हुआ जो रमीज राजा ऐसा बोल रहे हैं?
दरअसल, PCB को 50% फंडिंग ICC करता है। ICC को 90% मुनाफा BCCI से होता है। यानी PCB का कंट्रोल मोदीजी के पास है। PCB सालाना 167 करोड़ रुपये कमाता है। इनमें से 50% ICC दे रहा है, यानी लगभग 83 करोड़ रुपये। पाकिस्तान क्रिकेट बदहाल है। कोई देश क्रिकेट खेलने नहीं आ रहा। न्यूजीलैंड-इंग्लैंड ने दौरा रद्द किया। कमाई घटती जा रही है। खर्चे पूरे नहीं हो पा रहे हैं। ICC की सलाना कमाई 3000 करोड़ रुपये है, जिसमें BCCI का कॉन्ट्रिब्यूशन करीब 32% है। यही बात रमीज राजा के डर का कारण है। सुनिये पूरी रिपोर्ट।