न्यूज की पाठशाला में बात हुई राफेल पर बड़े खुलासे की। एक फ्रेंच पोर्टल मीडियापार्ट ने खुलासा किया है कि राफेल डील को पूरा करने के लिए घूस दी गई, ये यूपीए के वक्त उस डील की बात है जिसे बाद में मोदी सरकार ने बदला। राफेल डील में नकली इनवॉइस बनाकर दसॉ एविशन ने 65 करोड़ की रिश्वत दी। 65 करोड़ सुशेन गुप्ता नाम के शख्स की शेल कंपनियों को दिए गए। सुशेन गुप्ता की मॉरिशस स्थित कंपनी इंटरस्टेलर टेक्नोलॉजीस को 2007 से 2012 के बीच दसॉ से 7.5 मिलियन यूरो मिले थे। मॉरिशस सरकार ने 11 अक्टूबर 2018 को इससे जुड़े दस्तावेज सीबीआई को भी सौंपे थे। सीबीआई ने ईडी से भी दस्तावेज साझा किया था। अक्टूबर 2018 से ही CBI और ED को भी इस बारे में पता था।
दस्तावेज के मुताबिक 2001 में सुशेन गुप्ता डील से जुड़ा, उसे बिचौलिए के तौर पर हायर किया गया। इस खुलासे में कई किरदार सामने आए हैं। पहला किरदार है दसॉ एविएशन जो राफेल फाइटर जेट बनाती है। दूसरा किरदार है सुशेन गुप्ता, जिसे दसॉ ने 2001 में हायर किया था UPA से डील करने के लिए। तीसरा किरदार है इंटरस्टेलर, ये सुशेन गुप्ता की शेल कंपनी है। चौथा किरदार है इंटरडेव ये सुशेन गुप्ता की दूसरी शेल कंपनी है। इन्हीं कंपनियों के जरिए सुशेन गुप्ता पैसों की डील करता था। पांचवां किरदार है IDS कंपनी ये इंडियन कंपनी है।
IDS ने 1 जून 2001 को इंटरस्टेलर टेक्नोलॉजीस के साथ समझौता किया था, जिसमें तय हुआ कि दसॉ एविएशन और IDSके बीच जो भी कॉन्ट्रैक्ट होगा, उसकी वैल्यू का 40% कमीशन इंटरस्टेलर टेक्नोलॉजीस को दिया जाएगा। सीबीआई के हाथ लगे दस्तावेजों से पता चला था कि सुशेन गुप्ता की शेल कंपनी को इस तरह से 2002 से 2006 के बीच 7.8 करोड़ मिले थे।
दसॉ की डील से पहले भी अगस्ता वेस्टलैंड मामले में सुशेन गुप्ता गिरफ्तार हो चुका है। इस पर ये आरोप है कि जिस तरह से उसने अगस्ता वेस्टलैंड डील में पैसे लिए उसी तरह से इस डील में भी पैसे कमा रहा था।