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Twin Towers Demolition: विस्फोट के बाद आसमान तक उठा धुएं का गुबार..दिन में छा गया अंधेरा, हवाओं में छाई बारूद की गंध; देखें Video

शिशुपाल कुमार | Principal Correspondent
Updated Aug 29, 2022 | 00:11 IST

सुप्रीम कोर्ट ने नियमों के उल्लघंन करके बनाई गई इस बिल्डिग को गिराने का आदेश दिया था। जिसके बाद तकनीकी दिक्कतों के कारण ये समय बढ़ता चला गया था।

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मुख्य बातें
  • ट्विन टावर को गिराने में 3700 किलो विस्फोटक का किया गया इस्तेमाल
  • टावर गिराने के समय 500 पुलिसकर्मी रहे मौजूद
  • इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी दिया था टावर गिराने का आदेश

नोएडा का विवादित ट्विन टावर को गिरा दिया गया है। चंद पलों में बहुमंजिला यह इमारत विस्फोटकों की सहायता से ध्वस्त हो गई। इसके बाद से इलाके में धूल ही धूल फैल गई है। ऐसा लग रहा है मानों दिन में ही अंधेरा छा गया हो। विस्फोटकों से हवा में बारूद की गंध भी घुल गई है।

छाए धूल के बादल

नौ साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद, नोएडा के सुपरटेक ट्विन टावरों को रविवार दोपहर 2:30 बजे एक जोरदार विस्फोट के साथ ध्वस्त कर दिया गया। दोनों टावरों में करीब 3,700 किलोग्राम विस्फोटक डाला गया था। जिसके ब्लास्ट होने के बाद से हवा में बारूद ही बारूद की गंध है। साथ ही इन टावरों के गिरने से क्षेत्र में धूल के बादल छा गए हैं। दिन में भी अंधेरा छा गया है। सूर्य की रोशनी गायब हो गई है।

सुरक्षा व्यवस्था रहा सख्त 

नोएडा में सुपरटेक के ट्विन टावरों के आसपास 500 के करीब पुलिस और यातायात कर्मियों को तैनात किया गया था और नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे को बंद कर दिया गया था। 

क्या था विवाद

जब 'सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट' हाउसिंग सोसाइटी को मूल रूप से मंजूरी दी गई थी, तो भवन योजना में 14 टावर और नौ मंजिलें दिखाई गईं। बाद में, योजना को संशोधित किया गया और बिल्डर को प्रत्येक टावर में 40 मंजिल बनाने की अनुमति दी गई। जिस क्षेत्र में टावरों का निर्माण किया गया था, उसे मूल योजना के अनुसार एक पार्क बनाया जाना था।

अवैध निर्माण

इसके बाद, सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट सोसायटी के निवासियों ने 2012 में निर्माण को अवैध बताते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि सुपरटेक समूह ने अधिक फ्लैट बेचने और अपने लाभ मार्जिन को बढ़ाने के लिए मानदंडों का उल्लंघन किया। 2014 में, अदालत ने टावरों को ध्वस्त करने का निर्देश दिया।

सुप्रीम कोर्ट में भी हार

इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट चला गया। पिछले अगस्त में कोर्ट ने टावरों को गिराने के लिए तीन महीने का समय दिया था, लेकिन तकनीकी दिक्कतों के चलते इसमें एक साल का समय लग गया। सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि नोएडा के अधिकारियों की मिलीभगत से बिल्डर द्वारा भवन के मानदंडों का उल्लंघन किया गया था।

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