क्या महज 23 साल 5 महीने 26 दिन की उम्र में फांसी के फंदे को चूम लेने वाले महान क्रांतिकारी भगत सिंह ने देशभक्ति का पाठ स्कूली किताबों में पढ़ा था। क्या सिर्फ 19 साल की उम्र में अंग्रेजों के छक्के छुड़ा देने के बाद हंसते-हसते फांसी पर चढ़ जाने वाले खुदीराम बोस ने किसी पाठशाला में देश से प्यार करने का फन जाना था। क्या राम प्रसाद बिस्मिल, हेमू कलानी, वंचिनाथन, सचिंद्र बख्शी, अशफाक उल्ला खां, राजगुरु, बटुकेश्वर दत्त, रोशन सिंह, भगवती चरण, मदन लाल ढींगरा, कुशल कोनवार, वीर भाई कोटवाल और हजारों हजार वीरों ने कभी किसी पाठ्यक्रम से जाना कि देश से कैसे प्यार करना है। नहीं। बिलकुल नहीं। लेकिन शायद वो वक्त दूसरा था। आज वक्त दूसरा है। आज राष्ट्रवाद और देशभक्ति के बीच भी एक महीन लकीर है, जिस पर बहस होती रहती है। आज सरकार की आलोचना और सरकार की तरफदारी से भी व्यक्ति की देशभक्ति को तोला जाता है। दरअसल, आज वक्त अलग है, और इस बदलते वक्त में केजरीवाल सरकार ने दिल्ली के स्कूलों में देशभक्ति का कैरिकुलम लॉन्च कर दिया है।
दिल्ली के स्कूलों में देशभक्ति के नारे गूंजने वाले हैं। सरकारी स्कूलों में देशभक्ति के गीत, किस्से और कहानियां सुनाई देने वाली हैं। स्कूलों में देशभक्ति सिखाई जाएगी। किताबों से देशभक्ति पढ़ाई जाएगी। शहीद-ए-आजम भगत सिंह की जयंती पर दिल्ली सरकार ने नर्सरी से बारहवीं तक की कक्षाओं में देशभक्ति का पाठ्यक्रम शामिल किया है। जो स्कूल खुलने के साथ ही शुरू हो जाएगा।
सरकारी स्कूलों में रोज 45 मिनट तक देशभक्ति का क्लास होगी। क्लास की शुरुआत 5 मिनट के देशभक्ति ध्यान से शुरू होगा। पाठ्यक्रम में भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, सुखदेव, राजगुरु और बिस्मिल जैसे 100 स्वतंत्रता सेनानियों की कहानियां शामिल की गई हैं। अगले साल इसमें 100 और देशभक्तों की कहानियां शामिल की जाएंगी। रोज बच्चे क्लास में बैठकर पांच-पांच देशभक्तों को याद करेंगे और उनके प्रति कृतज्ञता जाहिर करेगा। सिलेबस में देशभक्ति गीत और कविताएं भी शामिल की गई हैं। ये नर्सरी से लेकर 12वीं तक एक बच्चा कम से कम 800 कहानियां और 600 गीत और कविताएं पढ़ेगा। ये कैरिकुलम शिक्षकों, एनजीओ और विशेषज्ञों से इनपुट लेकर तैयार किया गया है। इसका उद्देश्य हर बच्चे के अंदर जिम्मेदारी, ईमानदारी और देशभक्ति की भावना जागृत करने की है। ताकि वो राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दे सकें।
केजरीवाल ऐलान कर रहे हैं कि ये पाठ्यक्रम देश को देशभक्ति के रंग में रंग देगा। लेकिन दिल्ली अभिभावक संघ को केजरीवाल के इस कदम में कुछ और ही नजर आ रहा है। तो सवाल यही है। समाजशास्त्र भी कहता है कि देशभक्ति की भावना समाज के सोच, लोगों के व्यवहार और पारिवारिक परिवेश से आता है। प्रश्न है कि क्या किताबों के जरिए देशभक्ति भावना जगाई जा सकती है? क्या बच्चों को किताबों के जरिए देशभक्त बनाया जा सकता है? यही यक्ष प्रश्न है। निश्चित रुप से ये यक्ष प्रश्न है कि क्या किसी पाठ्यक्रम के जरिए बच्चों में देशभक्ति की भावना पैदा की जा सकती है। लेकिन, इसमें कोई दो राय नहीं कि बच्चों के कोमल मन में किसी विशेष भावना का बीज तेजी से बोया जा सकता है।