नई दिल्ली : सोशल मीडिया पर इन दिनों एक कोट वायरल है, जिसमें रतन टाटा के हवाले से कहा गया है कि शराब खरीदारों के लिए फूड सब्सिडी बंद होनी चाहिए। जो लोग शराब खरीद सकते हैं, वो निश्चित रूप से भोजन भी खरीद सकते हैं। रतन टाटा ने इस कोट को फेक बताते हुए इंस्टाग्राम पर लिखा कि ये उन्होंने नहीं कहा। यानी रतन टाटा भी फेक न्यूज का शिकार हो गए। लेकिन, सच यही है कि फर्जी कोट वायरल हो गया।
तो क्या आपने सोशल मीडिया पर किसी खबर को फॉरवर्ड करते वक्त उसकी सही होने की जांच या सच्चाई की पुष्टि के बाद ही न्यूज फॉरवर्ड किया है? क्या आपने कभी इस बात पर गंभीरता से विचार किया है कि सोशल मीडिया पर फैलती फेक न्यूज से दंगे भड़क जाते हैं, लोगों को मारा-पीटा जाता है और बेवजह दुर्घटनाएं होती हैं? क्या आप जानते हैं कि फेक न्यूज आज के दौर की सबसे बड़ी समस्याओं में एक है? फेक न्यूज से जुड़े तमाम सवालों पर देखिये क्या है Opinion India Ka?
दरअसल, मुद्दा सिर्फ रतन टाटा का नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने भी फेक न्यूज को लेकर टिप्पणी की है, वो इस समस्या की गंभीरता की ओर इशारा करती है। सोशल मीडिया प्लेटफार्म फेक न्यूज से भरे पड़े हैं और सोशल मीडिया कंपनियों पर कोई नियंत्रण नहीं है। इनके जरिए खबरों को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश होती है। आखिर क्या है इस पर विशेषज्ञों की राय? जानने के लिए देखिये ओपिनियन इंडिया का।
फेक न्यूज पर आखिर लोगों की क्या राय है, इसे कुछ इस तरह समझा जा सकता है:
सोशल मीडिया फेक न्यूज से भरे हैं, इनके जरिए ख़बरों को सांप्रदायिक रंग दी जाती है?
हां-87%
नहीं-08%
समस्या गंभीर नहीं-05%
क्या आप 'फेक न्यूज' को लेकर सतर्क रहते हैं, खबर की पुष्टि कर ही आगे बढ़ाते हैं?
हां-88%
नहीं-08%
कभी सोचा नहीं-04%
टाइम्स नाउ नवभारत के खास शो Opinion India Ka में चर्चा उस खबर की भी हुई, जिसका संबंध इंजीनियरिंग में जाने इच्छुक लाखों छात्रों से है। सीबीआई ने जेईई मेन्स परीक्षा में घोटाले की जांच करते हुए छापेमारी की और जेईई परीक्षा-2021 में कथित अनियमितताओं से संबंधित मामले में 7 आरोपियों को गिरफ्तार किया। लेकिन ये घोटाला है क्या?
ओपिनियन इंडिया में बात उस खबर की भी, जिसे लेकर विशेषज्ञों का ओपिनियन ही स्पष्ट नहीं है कि मामला आखिर है क्या? यहां बात हो रही है उत्तर प्रदेश में फैले उस रहस्यमयी बुखार की, जिसके कहर से कई बच्चों की जान चली गई। समस्या ये है कि अभी तक यही साफ नहीं है कि ये बुखार डेंगू है या मलेरिया या मामला कुछ और है। विस्तृत रिपोर्ट के लिए देखिये टाइम्स नाउ नवभारत का खास कार्यक्रम ओपिनियन इंडिया का।