7 अक्टूबर, कहने को सिर्फ एक तारीख, लेकिन इस साल इस तारीख में एक इतिहास सिमट गया है। इस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सत्ता के जरिए जनसेवा करते हुए बीस साल पूरे हुए हैं। 7 अक्टूबर 2001 को नरेंद्र मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री पद का दायित्व संभाला था और फिर 2014 में उन्होंने देश की बागडोर संभाली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के ऐसे इकलौते राजनेता हैं, जो लगातार 4 बार मुख्यमंत्री रहे और फिलहाल दूसरी बार बतौर प्रधानमंत्री काम कर रहे हैं। भारत के नवनिर्माण को लेकर उनकी अपनी अलग सोच है, अपना विशेष दृष्टिकोण है, अनूठे स्वप्न हैं और जनमानस को प्रेरित करने की अपनी खास शैली है। बीते बीस साल का उनका सफर बेहद खास रहा है।
ये मोदी नीति ही थी कि गुजरात का विकास देश और दुनिया में एक मॉडल बन गया। एक बड़ा ब्रांड बन गया। विकास का, विजन का, मिशन का ये वही ब्रांड था, जिसने सात साल पहले यानि 2014 में नरेंद्र मोदी को गांधीनगर से दिल्ली पहुंचाया। देश का बड़ा वर्ग मानता है कि इसके बाद ही हिंदुस्तान में असली परिवर्तन शुरू हुआ। विकास की वो यात्रा आरंभ हुई, जिसकी कल्पना किसी ने नहीं की थी।
26 मई 2014 की सुबह हिंदुस्तान में नया सूर्योदय हुआ। देश को एक नया प्रधानमंत्री मिला...नरेंद्र दामोदर दास मोदी। गुजरात के गांधीनगर से दिल्ली की सियासत में एंट्री करते ही मोदी महाभारत के अर्जुन की तरह लक्ष्य साधने के लिए निकल पड़े। गजब का आत्मविश्वास...गजब का विजन और जीतोड़ मेहनत...बीते 7 सात साल में नरेंद्र मोदी न्यू इंडिया के नवनिर्माण में जी जान से जुटे हैं। दुनिया किसी भी लीडर को उसके फैसलों और विजन से जानती है। यही एक बड़े और लोकप्रिय नेता की पहचान है। पीएम मोदी इसी के लिए जाने जाते हैं। मोदी जो कहते हैं उसे करने का माद्दा रखते हैं।
उनके फैसलों में राष्ट्रवाद की छाप है। न्यू इंडिया का विजन है, आत्मनिर्भर भारत का संकल्प है। पीएम मोदी उन फैसलों को लेने में भी नहीं हिचकते, जिनके बारे में पूर्व की सरकारें चर्चा करने से भी डरती थीं...इन्हीं फैसलों में से सबसे ऊपर है अनुच्छेद 370 की विदाई। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाना ही पीएम मोदी का सबसे अहम फैसला माना जाता है। लेकिन इन कड़े और बड़े फैसलों की फेहरिस्त लंबी है। सवर्ण समुदाय को आर्थिक आधार पर 10 फीसदी आरक्षण देने का फैसला। नागरिकता संशोधन कानून को पास करवाना। तीन तलाक से मुस्लिम महिलाओं को आजादी दिलाना। राम मंदिर की नींव रखने के साथ ही भव्य मंदिर के निर्माण का ऐलान।
करीब दो दशक पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक कसम खाई थी। समूचे कश्मीर में तिरंगा लहराने की कसम और ये कसम पूरी हुई 6 अगस्त 2019 को। ऐतिहासिक फैसला लिया गया और देश का भूगोल बदल गया। जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटा दिया गया। आर्टिकल 370 से आजादी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एजेंडे में सबसे ऊपर रहा था। प्रधानमंत्री बनते ही इस पर होमवर्क शुरू हुआ। जम्मू-कश्मीर में इस लागू करने का ग्राउंड तैयार किया गया और अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 को हटाने के ऐतिहासिक फैसला का ऐलान हुआ। फैसले के साथ ही कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म हो गया। जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेश में बांट दिया गया। तब ये कहा गया कि ये फैसला जम्मू-कश्मीर को जला
देगा...खून की नदियां बहने लगेंगी...लेकिन नरेंद्र मोदी कोई काम बिना प्लानिंग के नहीं करते...अनुच्छेद 370 भी हटा और जम्मू कश्मीर में अमन भी कायम रहा।
एक के बाद एक बड़े और कड़े फैसले लेना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की USP है। नागरिकता संशोधन कानून को लाकर मोदी ने फिर साबित कर दिया कि जो वादे उन्होंने घोषणापत्र में किए हैं। उन्हें पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। नागरिकता संशोधन कानून के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के अल्पसंख्यकों को भारत में नागरिकता का अधिकार मिल गया। यानी इन देशों के हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई जो सालों से शरणार्थी की जिंदगी जीने को मजबूर थे। उन्हें भारत की नागरिकता प्राप्त करने का अधिकार मिल गया। स्वतंत्रता के बाद से ही स्वतंत्र भारत ने पाकिस्तान में, अफगानिस्तान में, बांग्लादेश में रह गए हिंदुओं, सिखों और अन्य अल्पसंख्यकों से वादा किया था कि अगर उन्हें जरूरत होगी तो वो भारत आ सकते हैं। भारत उनके साथ खड़ा रहेगा। यही इच्छा गांधी जी की भी थी। यही 1950 में नेहरू-लियाकत करार की भी भावना थी।
7 सालों में पीएम मोदी ताबड़तोड़ फैसले किए, हर फैसले का जिक्र करना तो संभव नहीं..लेकिन सत्य ये है कि चाहे बड़े और कड़े निर्णय हों या सरकारी योजनाएं, प्रधानमंत्री मोदी ने न्यू इंडिया बनाने की तरफ सशक्त कदम बढ़ा दिया है।