जयपुर : पाकिस्तान में धार्मिक अत्याचारों से परेशान पाक विस्थापित हिंदुस्तान आए और अगर वीजा अवधि पूरी होने के बाद भी वे कई सालों तक देश में निवास करें और फिर किसी एजेंसी को सूचना दिए बगैर अगर वे पाकिस्तान लौट जाएं तो यह सीधा तमाम इंटीलेजेंस एजेंसी की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगाता है। ऐसे में देश की सुरक्षा को लेकर सवाल उठना भी लाजिमी है। ऐसे सैकड़ों पाक विस्थापित हिन्दू परिवार अटारी बॉर्डर से पाकिस्तान पहुंच चुके हैं। हालांकि आज पाक विस्थापितों की एक बस को सीआईडी ने कडवड़ थाना इलाके में पकड़ लिया, जहां उनसे पूछताछ की गई।
पाकिस्तान में धार्मिक अत्याचारों से परेशान हिन्दू परिवार धार्मिक वीजा पर हिंदुस्तान खासकर राजस्थान में जोधपुर, जैसलेमर, बाड़मेर, बीकानेर व गंगानगर इलाकों में आकर निवास करते हैं। अब तक ये परिवार पाकिस्तान में धार्मिक अत्याचार से परेशान होकर 'अपनों के बीच' हिंदुस्तान आने की बात भी करते रहे, लेकिन कोई अचानक यह कह दे कि वह अब पाकिस्तान में ही जाकर रहेगा तो यह चौंकाने वाला हो सकता है।
यह मामला उन लोगों से जुड़ा है, जो 2018, 2019 और 2020 में पाकिस्तान से आए और कई वर्षों तक हिन्दुस्तान में रहे, पर फिर किसी एजेंसी को सूचना दिए बगैर उनके पाकिस्तान लौटने की खबर आई। सीआईडी को इसकी सूचना मिली तो कडवड़ थाना पुलिस ने निजी ट्रैवल्स की वह बस रुकवाई, जिसमें पाक विस्थापित सवार थे। पूछताछ के दौरान इन परिवारों ने बताया कि वे धार्मिक वीजा पर हिन्दुस्तान आए थे और यहां रहकर मजदूरी कर रहे थे। वीजा की अवधि भी पूरी हो गई है और अब वे अपनी मर्जी से वापस अपने देश पाकिस्तान जा रहे हैं।
बिना सूचना के जा रहे पाकिस्तान
इतने वर्षों तक हिंदुस्तान के अलग अलग शहरों में अवैध रूप से रहने के बाद ये लोग अचानक बिना एफआरओ को सूचना दिए मनमर्जी से अटारी बॉर्डर से पाकिस्तान जा रहे हैं। सूत्रों की मानें तो जोधपुर से अब तक पिछले दिनों में 7 बसें अटारी बॉर्डर गईं, जिसमें करीब 700 पाक विस्थापित पाकिस्तान जा चुके हैं।
पाक विस्थापितों के लिए काम करने वाले संगठन से जुड़े लोगों की मानें तो इतने साल बाद बिना किसी एजेंसी या पुलिस को सूचना दिए इस तरह से पाक विस्थापितों का पाकिस्तान जाना कई सवाल खड़े करता है। संदेह यह भी है कि कहीं कोई जासूसी के उद्देश्य से तो यहां नहीं भेजा गया था या फिर क्या सुरक्षा एजेंसी एफआरओ के पास इनके यहां होने के बारे में सूचना नहीं थी? अगर नहीं थी तो यह देश की सुरक्षा में बड़ी चूक या सेंध भी हो सकती है।
यह सभी सवाल उठना लाजिमी है। हालांकि यह जांच का विषय है, लेकिन कहीं न कहीं यह सुरक्षा एजेंसी की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े करता है। लोगों की मानें तो यहां भी एक गिरोह काम करता है जो इन लोगों से न सिर्फ वसूली करता है, बल्कि उन्हें गुमराह भी करता है। अभी इन्हें ट्रैवल एजेंट से मिलकर प्रति व्यक्ति 5 हजार रुपये लेकर वापस भेजने की बात सामने आई है।