- अयोध्या की धरती पर पीएम मोदी मे भय बिन होई न प्रीत का जिक्र किया
- पीएम मोदी ने कहा कि ताकतवर होने का अर्थ किसी को परेशान करना नहीं
- भारत को वो मुकाम हासिल करना है जिससे कोई आंख उठा कर देख न सके।
नई दिल्ली। पांच अगस्त को राम मंदिर भूमि पूजन के साथ मंदिर निर्माण की औपचारिक शुरुआत हो गई। पीएम नरेंद्र मोदी करीब 40 मिनट के भाषण में भगवान राम के आदर्शों के बारे में बताते रहे और भाषण के क्रम में बिना नाम लिये पाकिस्तान और चीन पर निशाना साधा। पीएम मोदी ने कहा कि भय बिन होई न प्रीत आज भी प्रासंगिक है। इसका अर्थ यह नहीं है कि अनावश्यक तौर पर किसी को परेशान किया जाए। इसका अर्थ यह है कि कम से कम इतना ताकतवर बनो जिससे कोई आप के ऊपर बुरी नजर न डाल सके।
चीन और पाकिस्तान को जवाब !
पीएम मोदी ने अपने भाषण में इस लाइन के जरिए भारत के ईरादे को दुनिया के सामने स्पष्ट कर दिया तो चीन और पाकिस्तान को संदेश भी दे दिया कि भारत किसी को छेड़ेगा नहीं लेकिन अगर भारत को परेशान करने की नीयत के साथ वो आगे बढ़ते रहे तो जवाब हर किसी को पता है। अब सवाल यह है कि पीएम नरेंद्र मोदी को इस लाइन के इस्तेमाल की जरूरत क्यों पड़ी।
दोहे का पूरा अंश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस दोहे के अंश का उच्चारण किया, वह पूरा दोहा यूं है, विनय न मानत जलधि जड़ गए तीनि दिन बीत। बोले राम सकोप तब भय बिन होय न प्रीत। राम चरित मानस के सुंदरकांड में यह दोहा उस प्रसंग से जुड़ा है, जब भगवान राम लंका जाने के लिए समुद्र से रास्ता देने की विनती कर रहे थे।
चीन और पाकिस्तान की हरकत से हर कोई वाकिफ
हम सबको पता है कि लद्दाख के पूर्वी इलाके में चीन किस तरह से चालबाजी कर रहा है। बातचीत के टेबल पर चीन वादे करता है लेकिन जमीन पर जब उतारने की बारी आती है तो वो अपने वादे से मुकर जाता है। इसके साथ ही पाकिस्तान ने मंगलवार को एक नक्शा पेश किया जिसमें जुनागढ, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और सर क्रीक को अपने हिस्से में बताया, हालांकि भारत सरकार की तरफ से कड़ा प्रतिवाद करते हुए इमरान खान सरकार की इस कोशिश को हास्यास्पद बताया। भारत ने स्पष्ट कर दिया कि आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान पूरी तरह बेनकाब हो चुका है और वो इस तरह के अनर्गल काम को अंजाम दे रहा है।