- साकेत कोर्ट में कुतुब मीनार मामले में सुनवाई
- हिंदू पक्ष ने पूजा की मांग की है
- अदालत ने एएसआई से पूछा कि इमारत का स्वरूप क्या है
Qutub Minar विवाद पर मंगलवार को ही साकेत कोर्ट में दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई थी और आज दिल्ली वक्फ बोर्ड के चेयरमैन और AAP के विधायक Amanatullah Khan ने ASI(Archaeological Survey Of India) को चिट्ठी लिख कर नमाज पढ़ने की इजाजत मांगी है। उन्होंने कहा कि यह हमारा अधिकार है जिसे कोई रोक नहीं सकता। एएसआई का कहना है कि वहां पूजा नहीं की जा सकती तो बात साफ है कि मस्जिद में तो नमाज ही अदा की जाती है।
साकेत कोर्ट में केस
एडीजे निखिल चोपड़ा के सामने सुनवाई में अधिवक्ता हरि शंकर जैन ने कहा था कि इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि कई हिंदू और जैन मंदिरों को तोड़कर परिसर बनाया गया था। जज ने पूछा था कि वह कौन सी याचिका थी जो पहले मांगी गई थी। यह एक अपील है जब मूल मुकदमा अदालत में खारिज कर दिया गया था। जैन ने अदालत को मूल मुकदमे के बारे में सूचित किया जिसमें आरोप लगाया गया था कि वर्तमान परिसर हिंदू मंदिरों को ध्वस्त करने पर बनाया गया था। जैन ने दोहराया कि यह दिखाने के लिए सबूत हैं कि मस्जिद, कुव्वत-उल-इस्लाम अवशेषों से बनाई गई थी।
साकेत कोर्ट ने हिंदू पक्ष से पूछा कि आप कैसे प्रस्ताव करते हैं कि 800 साल पहले हुई किसी चीज की बहाली हो? जैन कहते हैं कि एक बार देवता की संपत्ति, यह हमेशा एक देवता की संपत्ति होती है। यह कभी नहीं खोया है।विध्वंस के बाद भी मंदिर अपनी दिव्यता, पवित्रता नहीं खोता है।मैं एक उपासक हूं, मैं एक उपासक बनकर आया हूं। हरिशंकर जैन ने अयोध्या के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि देवता एक बार देवता होने के बाद अपने चरित्र, पवित्रता और देवत्व को नहीं खोते हैं।