- तीन कृषि कानूनों के खिलाफ विपक्षी सांसदों का विजय चौक तक मार्च
- राहुल गांधी ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए, सदस्यों को पीटने का आरोप
- मानसून सत्र समय से पहले खत्म होने पर विपक्ष ने जताई नाराजगी
नई दिल्ली : कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। राहुल गांधी सहित विपक्ष के नेताओं ने गुरुवार को संसद से विजय तक मार्च किया। इस दौरान मीडिया से बातचीत में राहुल गांधी ने आरोप लगाते हुए कहा कि 'बाहर के लोगों को बुलाकर राज्यसभा में सांसदों के साथ धक्का-मुक्की की गई और उन्हें पीटा गया।' राहुल ने सरकार पर लोकतंत्र की हत्या का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सदन में हमारी बात रखने की इजाजत नहीं है। विपक्ष को सवाल पूछने का अधिकार नहीं दिया जा रहा है। कांग्रेस नेता ने कहा कि विपक्ष को चलाने की जिम्मेदारी सदन के सभापति की भी होती है, उन्होंने सदन को क्यों नहीं चलाया?
राहुल ने पीएम पर भी लगाए गंभीर आरोप
राहुल ने आरोप लगाते हुए कहा, 'आपके फोन में पेगसस है। हिंदुस्तान का पीएम इस देश को बेचने का काम कर रहा है। वह दो तीन उद्योगपतियों को हिंदुस्तान की आत्मा बेच रहा है। इसलिए विपक्ष सदन के अंदर किसानों, पेगासस की बात नहीं कर पा रहा है।' तीन कृषि कानूनों को खत्म करने की मांग को लेकर विपक्ष के नेताओं ने विजय चौक तक मार्च किया। समय से पहले मानसून सत्र समाप्त किए जाने पर विपक्ष के सांसदों में नाराजगी देखने को मिली।
'लगा कि हम पाकिस्तान बॉर्डर पर हैं'
शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि संसद में विपक्ष को अपनी बात रखने का मौका नहीं दिया गया। कल महिला सांसदों के खिलाफ जो घटना हुई वह लोकतंत्र के खिलाफ है। ऐसा महसूस हुआ कि हम पाकिस्तान की सीमा पर खड़े हैं। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि केंद्र सरकार संसद की कार्यवाही को ठीक ढंग से नहीं चलाना चाहती। सरकार बिना चर्चा के विधेयक पारित कर रही है।
थरूर ने कहा, 'कोरोना टीका अभियान, अर्थव्यवस्था, बेरोजगारी और कृषि कानूनों पर चर्चा होनी चाहिए लेकिन सरकार इससे भाग रही है।'
विपक्ष को संबित पात्रा ने दिया जवाब
विपक्ष के आरोपों पर भारतीय जनता पार्टी ने प्रतिक्रिया दी है। भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि कांग्रेस और विपक्षी पार्टियां आज जिस तरह से सड़क पर प्रदर्शन कर रही हैं, वह दुर्भाग्यपूर्ण है। पात्रा ने कहा, 'इससे लोकतंत्र शर्मसार हुआ है। सदन की घटना पर केवल वेंकैया नायडू नहीं रोए बल्कि लोकतंत्र भी रोया। विपक्ष ने पूरे सत्र में कामकाज नहीं होने दिया। यह अराजकता की चरम सीमा है।'