'राष्ट्रवाद...देश से बढ़कर कुछ नहीं' में बात हुई मशहूर गीतकार और बॉलीवुड में अपनी अलग पहचान रखने वाले जावेद अख्तर के एक बयान को लेकर, जिस पर भारी विवाद खड़ा हो गया है । जावेद अख्तर ने एक मीडिया इंटरव्यू में RSS की तुलना तालिबान से की। उसके बाद मुंबई में उनके घर के बाहर हंगामा हो गया। अख्तर साहब के बयान के बाद से ही युवा मोर्चा के सैंकड़ों कार्यकर्ता घर के बाहर जमा हो गए और नारेबाजी शुरू कर दी।
जावेद अख्तर ने कहा था कि भारत एक सेक्युलर देश है लेकिन कई लोग ऐसे भी हैं जो RSS और VHP को सपोर्ट करते हैं, जिनकी आइडियोलॉजी 1930 के नाजी के समान है। आरएसएस का समर्थन करने वालों की मानसिकता भी तालिबानियों जैसी ही है। आरएसएस का समर्थन करने वालों को आत्म परीक्षण करना चाहिए। आप जिनका समर्थन कर रहे हैं, उनमें और तालिबान में क्या अंतर है? उनकी जमीन मजबूत हो रही है और वे अपने टारगेट की तरफ बढ़ रहे हैं। दोनों की मानसिकता एक ही है।'
अब राष्ट्रवाद में आज का सवाल ये है कि RSS की तुलना तालिबान से क्यों? ये कितना सही है और जावेद अख्तर के बयान का आधार क्या है?
- RSS की तुलना तालिबान से करना कितना सही?
- जावेद अख्तर के 'तालिबानी बयान' का आधार क्या?