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Sawal Public Ka: क्या अग्निपथ स्कीम के विरोध में हो रही हिंसा प्लांड है, विपक्ष इसमें मौका तलाश रहा है?

Updated Jun 17, 2022 | 21:27 IST

Sawal Public Ka: लोकतंत्र में सबको अपनी बात रखने का अधिकार है। अग्निपथ का जो लोग विरोध कर रहे हैं उन्हें भी अपनी बात रखने का अधिकार है। जो लोग सपोर्ट में हैं उन्हें भी बात कहने का अधिकार है। लेकिन मेरा मुद्दा है कि अपनी बात रखने के लिए ये जरूरी तो नहीं कि ट्रेन फूंक दें, बसें फूंक डालें, थानों में आग लगा दें, लूटपाट मचाएं, बुजुर्गों को पीटें, बच्चों पर पत्थर चलाएं।

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Sawal Public Ka: ये सवाल इसलिए..क्योंकि अग्निपथ योजना के विरोध के नाम पर हिंसा और आगजनी की जो तस्वीरें आई है, उन्हें देखकर इस बात पर संदेह होता है कि..अपने देश से प्यार करने वाला, सेना में भर्ती होने का सपना देखने वाला, कोई आम छात्र, हमारे गांवों, हमारे शहरों का छात्र, बिहार, यूपी, राजस्थान, मध्य प्रदेश, झारखंड के छोटे-छोटे शहरों से आने वाला स्टूडेंट। कोई 17-18-19-20 साल का लड़का ऐसे बेकाबू हो जाएगा और अपनी ही संपत्ति को फूंक डालेगा।

लोकतंत्र में सबको अपनी बात रखने का अधिकार है। अग्निपथ का जो लोग विरोध कर रहे हैं उन्हें भी अपनी बात रखने का अधिकार है। जो लोग सपोर्ट में हैं उन्हें भी बात कहने का अधिकार है। लेकिन मेरा मुद्दा है कि अपनी बात रखने के लिए ये जरूरी तो नहीं कि ट्रेन फूंक दें, बसें फूंक डालें, थानों में आग लगा दें, लूटपाट मचाएं, बुजुर्गों को पीटें, बच्चों पर पत्थर चलाएं। ऐसी तस्वीरें देखकर क्या आपके मन में सवाल नहीं उठेगा कि अग्निपथ की आग का कोई स्पॉन्सर तो नहीं ? और क्या विपक्ष इसमें मौका तलाश रहा है? आज सवाल पब्लिक का यही है।

अग्निपथ स्कीम पर 2 पक्ष हैं। एक ओर सरकार है। आर्मी लीडरशिप है। तो दूसरी ओर भड़के हुए छात्र हैं जो अपने भविष्य का सवाल पूछ रहे हैं। और कुछ पूर्व सैनिकों की चिंताएं भी हैं जो देश की सुरक्षा से जुड़ी हैं। 

पहली चिंता- क्या अग्निवीर इतने Trained होंगे कि बॉर्डर की सुरक्षा कर सकें?

दूसरी चिंता- सेना के स्वरूप में इतना बड़ा बदलाव क्या अचानक संभव हो सकेगा ? और क्या ये सेना के लिए सही होगा ?

सरकार भरोसा दे रही है कि अग्निवीर योजना सेना की प्रोफाइल को और युवा बना देगी जो देश की सुरक्षा के नजरिये से बेहतर होगा। इस बीच सरकार ने पिछले दो सालों में कोविड की वजह से भर्ती में शामिल नहीं हो पाए युवाओं को इस बार के लिए 2 साल की छूट दे दी है। मतलब अब इस साल आर्मी में बहाल होने की age limit 21 नहीं 23 साल होगी । साढ़े 17 साल से लेकर 23 साल। अग्निपथ स्कीम पर बंटी हुई राय के बीच हो रही हिंसा को मैं decode करना चाहती हूं। बिहार में पटना के पास दानापुर रेलवे स्टेशन की ये तस्वीर देखिए। 

दानापुर में फरक्का एक्सप्रेस में आग लगाई गई। वहां दानापुर-सिकंदराबाद स्पेशल ट्रेन की बोगियां भी जला दी गईं। दानापुर में हालात इतने बिगड़े कि बोगियों में यात्री अपना सामान छोड़कर भागने को मजबूर हो गए। दानापुर रेलवे स्टेशन पर RPF के जवानों को खुद को कमरे में बंद करने की नौबत आई। देखिए RPF जवानों का ये वीडियो।

अग्निपथ के विरोध में रेलवे को सबसे ज्यादा निशाना बनाया जा रहा है। आज बिहार के लखीसराय, मधेपुरा, नालंदा के इस्लामपुर और समस्तीपुर में भी रेलवे स्टेशनों पर आगजनी हुई। हिंसा हुई। रेलवे स्टेशन पर तोड़फोड़ की घटना तेलंगाना के सिकंदराबाद में भी हुई है। ट्रेन की एक LHB बोगी करीब ढाई करोड़ की होती है।

आप सोचिए बिहार में ट्रेनों के जलने का नुकसान कितना बड़ा होगा। क्योंकि अभी तक 10 ट्रेनों में आगजनी की खबर है। उधर, दक्षिण-सेंट्रल रेलवे के अधिकारियों के मुताबिक 20 करोड़ की संपत्ति का नुकसान हुआ हो सकता है। आज शाम साढ़े 4 बजे तक 300 से ज्यादा ट्रेनें प्रभावित हुई हैं। इनमें 80 मेल एक्सप्रेस ट्रेनें रद्द हुई हैं।

छात्रों में गुस्सा तो हो सकता है। लेकिन क्या ट्रेनों को एक-एक कर जलाया जाना अपने आप हो सकता है? नाराज युवाओं को अपने भविष्य की चिंता जरूर सता रही होगी। लेकिन क्या सेना में भर्ती का सपना देखने वाला कैश काउंटर लूट लेगा? भोजपुर के बिहिया स्टेशन पर लाखों की लूट की गई। रेलवे स्टेशनों पर हुई हिंसा ने यात्रियों को किस तरह परेशान किया, आप सुनिए।

अग्निपथ योजना को लेकर भड़के छात्रों का विरोध सरकार से हो सकता है।  लेकिन स्कूल जाने वाले छोटे बच्चों का इससे क्या लेना-देना? बिहार के औरंगाबाद में एक स्कूल बस में आग लगाई गई। बिहार के ही दरभंगा में हंगामे के बीच स्कूल बस में फंसने से बच्चे मुसीबत में आ गए। कई बच्चे तो रोने लगे।

उत्तर प्रदेश के मथुरा में बुजुर्ग दंपत्ति पत्थरबाजी के बीच फंस गए। दोनों बुजुर्ग पत्थरों के हमले में बाल-बाल बचे। यूपी के अलीगढ़ में पुलिस स्टेशन को जला दिया गया। आप सोचिए कि देश के दुश्मनों से भारत की रक्षा करने का सपना देखने वाले, क्या अपने ही देश में आग लगा देंगे। पुलिस स्टेशन फूंक डालेंगे। अलीगढ़ के ही टप्पल में बसों को भी निशाना बनाया गया।

पब्लिक प्रॉपर्टी को नुकसान पहुंचाने की ये हिमाकत क्यों हुई है? इसके पीछे कौन है ये जांच का विषय है। और सिर्फ एक जगह नहीं, बिहार से लेकर यूपी, राजस्थान, झारखंड में करोड़ों की प्रॉपर्टी को नुकसान पहुंचाया जाना क्या बताता है? हिंसा को जायज नहीं ठहराया जा सकता। लेकिन हिंसा के बीच छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का ये बयान आपको सुनवाती हूं। वो कह रहे हैं कि युवा 4 साल के बाद बेरोजगार होकर नक्सलियों को ट्रेनिंग दे सकते हैं।

भूपेश बघेल का बयान गंभीर है। उन्होंने किस आधार पर ये बातें कही हैं, वही जानें। भविष्य में क्या होगा मैं नहीं कह सकती है। लेकिन अभी जो हिंसा हो रही है, उसमें साजिश के तार सामने आने लगे हैं। कानपुर पुलिस ने बायकॉट TOD नाम के व्हॉट्सअप ग्रुप का पता लगाया है। TOD का मतलब TOUR OF DUTY होता है। यानी सेना में भर्ती हुए बिना उससे जुड़ना। इस  बायकॉट TOD व्हॉट्सअप ग्रुप में हाइवे जाम करने और पुलिस चौकी को फूंकने जैसी भड़काऊ बातें लिखी गई हैं। कानपुर पुलिस इस व्हॉट्सअप ग्रुप की जांच में जुट गई है।

इस बीच छात्रों को भड़काने में सेना भर्ती से जुड़े कुछ कोचिंग संस्थानों की मिलीभगत सामने आ रही है। इन कोचिंग संस्थानों पर यू ट्यूब पर अपने वीडियोज के जरिये भड़काऊ बातें कहने का आरोप लग रहा है।

सवाल पब्लिक का

1. क्या सरकार छात्रों की उम्मीदों को समझने में नाकाम रही?

2. क्या अग्निपथ स्कीम पर पहले पायलट प्रोजेक्ट लाना चाहिए था?

3. क्या अग्निपथ स्कीम के विरोध में हो रही हिंसा Planned है?

4. क्या विपक्ष छात्रों की नाराजगी को और भड़का रहा है?

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