- औरंगजेब का 'आतंक' अध्याय, हिंदुओं के कितने मंदिर तुड़वाए ?
- औरंगज़ेब का 'अत्याचारी' चैप्टर, आक्रांता का हिंदू विरोधी कैरेक्टर
- औरंगजेब का सबसे अनसुना सच, मुगलिया काल की कड़वी हकीकत
नई दिल्ली: औरंगेजब कितना क्रूर था आज आप ये जानेंगे तो दंग रह जाएंगे। औरंगजेब के बारे में आज ऐसे-ऐसे राज खुलेंगे कि आप दहशत से भर उठेंगे। काशी, मथुरा विवाद के बीच आज सामने आएगा औरंगेजब का वो सच जिससे इतिहासकारों के अलावा शायद की कोई आम इंसान वाकिफ हो। पड़ताल होगी और इतिहास के दस्तावेजों से औरंगेजब के उस चेहरे से पर्दा उठेगा जिसने हिंदुओं के दमन में सारी हदें पार कर दीं। मंदिर तो सिर्फ उसकी क्रूरता का एक किरदार है। औरंगेजब के काल में हिंदुओं पर कैसे जुल्म ढहाए गए आज इतिहास के पन्ने पलटेंगे तो सारे सच सामने आएंगे।
औरंगजेब का अनकहा सच
आज देश में मंदिर-मस्जिद, हिंदू-मुस्लिम का जो पूरा विवाद छिड़ा है। उस सबके पीछे औरंगजेब का ही नाम आ रहा है। इसके अलावा औरंगजेब का एक और अनसुना सच है जिससे दुनिया वाकिफ नहीं है। आज हम ऐतिहासिक प्रमाणों से वो अनसुना सच सामने लाने वाले हैं। औरंगजेब सिर्फ मंदिर तोड़कर मस्जिद ही बनाने के लिए नहीं कुख्यात था, उसके मन-मस्तिष्क में हिंदुओं के खिलाफ जहर भरा हुआ था। वो किसी भी कीमत पर हिंदू संस्कृति का पतन करना चाहता था। इसके लिए उसके नफरती दिमाग में जो कुछ भी आया, वो किया। चाहे वो जजिया कर लगाना हो या फिर उनपर अत्याचार करना हो।
जी हां ये औरंगजेब फाइल्स है। वही आक्रांता, जिसके हिंदू विरोधी करतूतों की वजह से आज देश में नया बवाल छिड़ा हुआ है। औरंगजेब कितना क्रूर था, उसके दिमाग में हिंदुओं के खिलाफ किस तरह की नफरत थी, आज हम यही बताने जा रहे हैं। इस क्रूर मुगल-शासक का असली किरदार क्या था? उसका गुनाह क्या था ? आज इसका संपूर्ण अध्याय खुलने जा रहा है। हमारी इस खास शो को वो लोग देखें, जो औरंगजेब के बारे में बहुत कम जानते हैं, लेकिन वो लोग भी देखें, जो औरंगजेब का बचाव करते हुए नजर आते हैं।
किताब में है गुनाहों का सबूत
अब्दुल मुज़फ़्फ़र मुहीउद्दीन औरंगज़ेब आलमगीर हिंदुओं पर अत्याचार करने वाला, हिंदुओं के मंदिरों को ध्वस्त करने वाला, काशी विश्वनाथ मंदिर का वजूद मिटाने वाला, मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि को जमींदोज करने वाला,हिंदुओं के इतिहास को अपनी क्रूरता से कुचलने वाला, यही वो किरदार है जिस पर आज देश में चारों तरफ हंगामा है, बवाल है, सस्पेंस है, सवाल है...सच क्या है। जिला अदालत से लेकर सर्वोच्च अदालत तक हर जगह सिर्फ इसी की पड़ताल है।
किस्से जानकर आपको होगी हैरानी
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के भाई अकबरुद्दीन ओवैसी ने औरंगाबाद में औरंगजेब की मजार पर जाकर फूल चढ़ाए तो इतिहास के पन्नों में छिपा ये किरदार अचानक फिर से जिंदा हो गया। औरंगजेब की क्रूरता के किस्सों का आज हर तरफ चर्चा है। इतिहास का जर्रा-जर्रा चीख-चीखकर औरंगजेब के जुल्म की कहानी बयां कर रहा है। औरंगेजब के क्रूर काल की कहानी की शुरुआत हम उस किस्से के साथ करना चाहते हैं जो खुद औरंगजेब ने अपने पोते को सुनाया। ये किस्सा सुनकर आप जान जाएंगे कि औरंगजेब के सीने में हिंदुओं को लेकर किस कदर नफरत भरी थी। इसी से साबित हो जाएगा कि अगर मुगल बादशाहों की फेहरिस्त में औरंगजेब का नाम ना होता तो आज देश का इतिहास शायद कुछ और ही होता।आज अगर हिंदुओं के मंदिरों के विध्वंसक के तौर पर औरंगजेब का नाम सबसे ऊपर आता है तो क्यों आता है।
तुड़वा दिए मंदिर
औरंगजेब का खुद का इकबाली बयान कलीमत-ई-तय्यीबत में दर्ज है, जिसमें वो अपने पोते बिदार बख्त से कहता है-'औरंगाबाद के पास सतारा गांव मेरे शिकार की जगह था हां पहाड़ पर खांडेराय की छवि वाला एक मंदिर था। अल्लाह के फजल से मैंने उसे ढहा दिया।' इसी औरंगाबाद के ख़ुल्दाबाद में औरंगजेब की एक मजार है, जिसे मनसे ने ढहाने की धमकी दी तो एएसआई ने उस पर पांच दिन के लिए ताला जड़ दिया। ये सब कुछ उस मसले के बीच हुआ जिस पर आज पूरे देश में शोर है और हिंदू-मुस्लिम के बीच अपने-अपने धार्मिक स्थल होने के दावों का जोर है।
दर्ज है काला चिट्ठा
मुगलों के दरबारी इतिहासकार साकी मुस्ताद खान ने औरंगजेब पर एक प्रमाणिक किताब लिखी है। इस किताब में आक्रांत औरंगजेब का अत्याचारों का पूरा कच्चा चिट्ठा दर्ज है। किताब का नाम मासिर-ए-आलमगीरी था। किताब के पन्ने पलटने पर पता चलता है कि औरंगजेब ने अपने शासनकाल में कई हिंदू विरोधी फरमान जारी किए। मासिर-ए-आलमगीरी में दर्ज तथ्यों के मुताबिक 1669 को औरंगजेब ने काशी के प्रसिद्ध विश्वनाथ मंदिर को तोड़ने के आदेश दिए...इसी मंदिर को तोड़कर यहां पर ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण करवाया गया, जिस पर आज पूरे देश में घमासान छिड़ा है। मासिर-ए-आलमगीरी के मुताबिक 9 अप्रैल 1669 को औरंगजेब ने अपने सभी प्रांतों के गवर्नर को आदेश जारी किए कि हिंदुओं के सभी स्कूलों और मंदिरों को ध्वस्त कर दिया जाए।
मथुरा का मंदिर तोड़ा
जनवरी 1670 में औरंगजेब ने मथुरा में देहरा केशव राय मंदिर को तोड़ने के आदेश दिए। ये वही जगह थी जहां कंस के कारागार में भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। इसी मंदिर को तोड़कर औरंगजेब ने यहां मस्जिद का निर्माण करवाया जो आज शाही ईदगाह की शक्ल में सामने खड़ी है। मंदिर तोड़े जाने से भी औरंगजेब को चैन नहीं था। उसने जनवरी 1670 में एक आदेश दिया था। उस आदेश में साफ लिखा था कि मथुरा के मंदिरों से जो भी मूर्तियां निकलें उन्हें आगरा के लालकिले में बेगम साहिबा मस्जिद की सीढ़ियों में लगवा दिया जाए। इतिहास के एक औऱ दस्तावेज अखबरात के मुताबिक 7 अप्रैल 1670 को मालवा से एक खबर आई कि वजीर खान ने अपने एक गुलाम को उज्जैन के आसपास सभी मंदिर को नेस्तनाबूद करने के लिए भेजा।
दंग रह जाएंगे किस्से जानकर
इतना ही नहीं औरंगजेब ने अपने शासनकाल में गुजरात के सोमनाथ मंदिर को भी दो बार तोड़ने के आदेश जारी किए। पहली बार 1659 में और दूसरी बार 1706 में सोमनाथ मंदिर को जमींदोज करने का फरमान सुनाया गया। मुराक़त ए अबुल हसन के मुताबिक अपने शासनकाल के 10-12 सालों में ही औरंगजेब ने हर उस मंदिर को तुड़वा दिया जिसे ईट या मिट्टी से बनाया गया था।औरंगजेब का कैरेक्टर कितना अत्याचारी था। इसका एक और किस्सा सुनेंगे तो दंग रह जाएंगे। ये औरंगजेब की मौत से एक साल पहले की बात है। औरंगजेब की उम्र 88 साल हो चुकी थी। उसे पता चलता है कि कुछ हिंदुओं ने सोमनाथ के खंडित मंदिर में भी पूजा अर्चना शुरू कर दी है। बस फिर क्या था इसके बाद औरंगजेब ने बाकी हिस्से को भी ध्वस्त करा दिया।
हर तरफ मौजूद हैं सबूत
इसके अलावा महाराष्ट्र, कर्नाटक, ओडिशा, बुंदेलखंड, राजस्थान और गुजरात में भी कई प्राचीन मंदिर तुड़वा दिए गए। ये कोई कोरी लफ्फाजी नहीं है बल्कि इस बात का उल्लेख औरंगजेब को महान बताने वाले कई इतिहासकारों ने खुद किया है।मासिर-ए-आलमगीरी एक ऐसा ऐतिहासिक दस्तावेज है जिसमें औरंगजेब की हिंदू विरोधी सारी काली करतूत कैद है। मासिर-ए-आलमगीरी के ही एक और प्रमाण के मुताबिक एक बार जब औरंगजेब चित्तोड़ पहुंचा तो उसने वहां कई मन्दिरों में हिन्दुओं को पूजा करते हुए देखा. जिसके बाद उसने चित्तौड़ के 63 मन्दिरों को ध्वस्त करा दिया।